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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

जुलाई 19, 2010

आचार्य भगवंतों ने किया मंगल प्रवेश

-भव्य वरघोड़ा निकाला
आचार्य विजय अजीतशेखर सूरीश्वर ने किया चातुर्मासार्थ प्रवेशहुबली। आचार्य विजय अजीत शेखरसूरीश्वर आदि ठाणा एवं साध्वी चारित्रवर्धनाश्री आदि ठाणा ने सोमवार को संसघ कंचगार गली स्थित जैन उपाश्रय में चातुर्मासार्थ प्रवेश किया। इस उपलक्ष्य में सुबह मधु वन, कोप्पीकर रोड से भव्य वरघोड़ा निकाला गया। आचार्य व साध्वी वरघोड़े के साथ कंचगार गली स्थित जैन उपाश्रय में प्रवेश किया। आचार्य ने वहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं को चातुर्मास के समय को श्रेष्ठ समय बताते हुए इस अवधि में धर्म ध्यान करने का आग्रह किया। गब्बूर स्थित पाश्र्व पद्मालय में आयोजित दीक्षा कार्यक्रम में निश्रा प्रदान करने रवाना हो गए। आचार्य के शिष्य पंन्यास विमलबोधि विजय, मुनि ज्ञानशेखर विजय ऊॅंकारशेखरविजय सहित अन्य मुनि, साध्वी ज्योतिवर्धनाश्री, हर्षज्योतिश्री, मौनज्योतिश्री, विमलज्योतिश्री, दक्षज्योतिश्री, कृपा ज्योतिश्री, अर्हंज्योतिश्री व रत्नज्योतिश्री आदि भी मंगल प्रवेश मेंं उनके साथ थे। वरघोड़े में स्थानीय श्री जैन मरुधर संघ के ट्रस्टी, पदाधिकारी व सदस्य, श्रीअलबेला भक्ति कल्याण मंडल, बहु मंडल, रेवती मंडल, होसूर महिला मंडल, महावीर यूथ फेडरेशन, चंदनबाला मंडल सहित अनेक मंडलों व संघ-संस्थाओं के पदाधिकारियों व सदस्यों का सक्रिय सहयोग रहा। वरघोड़े में मुम्बई, चेन्नई, राजस्थान व कर्नाटक के हावेरी,दावणगेरे, हरिहर, राणेबेन्नूर,बेंगलूरु सहित अनेक शहरों व शहर की अनेक सभा-संस्थाओं के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

हुबली में सोमवार को चातुर्मासार्थ प्रवेश कर रहे आचार्य विजय अजीत शेखर सूरीश्वर म.सा. की अगवानी करते श्रद्धालु।

साध्वी अशोकश्री ने किया चातुर्मास प्रवेश
हुबली। साध्वी अशाोकश्री आदि ठाणा-चार ने सोमवार को स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में जुलूस के रूप में मंगल प्रवेश किया। जुलूस भवन पहुंचकर धर्मसभा में बदल गया। वहां पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए साध्वी ने कहा कि गुरु की कृपा से असहाय भी पहाड़ पर चढ़ सकता है, मूक बोलने लगता है और बधिर सुनने लगता है। गुरु की असीम कृपा से ही व्यक्ति अज्ञानी से ज्ञानी बन सकता है। इस अवसर पर सभा ने साध्वी वृंद का स्वागत किया। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष व अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्यारे लाल पितलिया, हुबली मूर साविर मठ के गुरु सिद्धेश्वर राजयोगीन्द्र महास्वामी, उत्तर कर्नाटक एरिया सेवा समिति के अध्यक्ष धनराज तातेड़ व महामंत्री केवलचंद बाफना मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। किशोर मंडल द्वारा महावीर स्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सभा के उपाध्यक्ष पारसमल बाफणा ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर अतिथियों,अमृत संसद के रावतमल गोठी, सभा अध्यक्ष मांगीलाल बडेरा, पूर्व अध्यक्ष सोहनलाल कोठारी, तेयुप के अध्यक्ष रतनलाल बागरेचा, महिला मंडल अध्यक्ष मंजुदेवी वेदमूथा, ज्ञान शाला संयोजिका कंकुबाई लूंकड़,पारसमल बोहरा, महावीर कोठारी विशेष रूप से उपस्थित थे। हिरियूर सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष उदयराज चौपड़ा को प्यारे लाल पितलिया ने शपथ ग्रहण कराई। तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद,तेरापंथ महिला मंडल,कन्या मंडल,किशोर मंडल एवं ज्ञानशाला के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं एवं हिरियूर, चित्रदुर्गा, दावणगेरे, हरिहर, राणेबेन्नूर, हावेरी आदि शहरों से श्रद्धालुओं ने भी शिरकत की।

हुबली में सोमवार को तेरापंथ सभा भवन में चातुर्मासार्थ प्रवेश कर सभा को संबोधित करतीं साध्वी अशोकश्री।

आचार्य विजयराज ने किया चातुर्मास प्रवेश
होसपेट। जैन धर्म की जय, वंदे वीरम् जय महावीरम्,आचार्य भगवंत की जय के गगनभेदी नारों के बीच आचार्य विजयराज म.सा.ने चातुर्मास प्रवेश किया। आचार्य विजयराज अपने शिष्य अजीत मुनि, विनोद मुनि, नवीनप्रज्ञ मुनि, कौशल मुनि व आलेख मुनि के साथ राज्य के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्री आदिनाथ जैन धर्मशाला में चातुर्मासार्थ प्रवेश किया। शोभायात्रा में गणवेशधारी महावीर मित्र मंडल के युवा,नवकार बालिका मंडल की बालिकाएं व महिला मंडल की महिलाएं आकर्षण का केन्द्र बने हुएथे। होसपेट के इतिहास में यह पहला मौका था जब चातुर्मास प्रवेश के मौके पर इतनी संख्या में श्रद्धालुओं को सैलाब उमड़ पड़ा। मंगल प्रवेश के मंगल प्रसंग पर साध्वी प्रभावती, साध्वी मयंकमणी,साध्वी अभिलाषा,साध्वी युगप्रभा,साध्वी पराक्रमश्री ने जैनाचार्य की अगवानी की। शोभायात्रा नवकानगर से हम्पी रोड, मैन बाजार से धर्मशाला पहुंचने के बाद के.एल.एस चोल्ट्री पहुंचकर धर्मसभा में बदल गई। वहां पर जैनाचार्य ने कहा कि आज भोग व आधुनिकता की आंधी में चरित्र के मूल्य बदल रहे हैं। मानवीय संवेदनाएं खत्म हो रही है। चरम विकास को पाने की ललक व गलाकाट प्रतिस्पर्धाने भारतीय मानदंडों को न केवल पीछे धकेला है बल्कि छिन-भिन्न कर दिया है। उन्होंने कहा कि इंसानी रिश्ते तो बिखर ही रहे हैं साथ ही मानवीय संवेदनाएं दम तोड़ रही है। अजीत मुनि, विनोद मुनि,नवीनप्रज्ञ व साध्वी युगप्रभा ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। महिला मंडल व नवकार बालिका मंडल ने मंगलाचरण किया। साध्वी मंडल ने शुभ मंगल हो शुभ मंगल हो गीत व विनय कानूगा ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ के अध्यक्ष बसंतकुमार पालरेचा ने स्वागत किया व आचार्य श्रीविजय चातुर्मास व्यवस्था समिति के उप चेयरमैन मगनलाल सोलंकी ने जैनाचार्य का चातुर्मास सफल व ऐतिहासिक बनाने की अपील की। परसमल बोथरा बीजापुर,तेजमल बेताला बागलकोट, छगनलाल श्रीश्रीमाल बेल्लारी,बाबुलाल भूरट होसपेट ने चातुर्मास की महत्ता पर प्रकाश डाला। नवकार बालिका मंडल ने नाट्य प्रस्तुति दी। श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी शांत क्रंाति संघ के राष्ट्रीय महामंत्री शांतिलाल कोठारी,चेन्नई ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर जैनाचार्य द्वारा लिखित 'शिष्य ने पूछाÓ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। पुस्तक प्रकाशन में सहयोगी चेन्नई निवासी जवरीलाल बोहरा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी शांत क्रंाति संघ के अध्यक्ष धर्मीचंद कोठारी,पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद सोमावत,मदन लाल लुंकड़ आदि भी उपस्थित थे। स्वामी वात्सल्य का आयोजन भंवरलाल गौतम चंद सुरेश कुमार भंसाली परिवार की ओर से किया गया। पुुखराज बाफणा व अशोक मोदी ने संचालन किया।

होसपेट में सोमवार को आचार्य विजयराज मसा.के चातुर्मास प्रवेश के अवसर पर आयोजित वरघोड़े में आचार्य वृंद के साथ श्रद्धालु।

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