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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

अप्रैल 27, 2010

झमाझम


हुबली में मंगलवार अपराह्न हुई झमाझम के चलते शहर की व्यस्ततम कोप्पीकर रोड पर पसरा सन्नाटा।

अप्रैल 22, 2010

खंडहर में तब्दील होती ऐतिहासिक धरोहर

उपेक्षा का शिकार १२वीं सदी का चंद्रमौलेश्वर मंदिर
हुबली, 22 अप्रेल।
भारत एक विशाल महाद्वीप होने के साथ विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं, परम्पराओं, कला, ऐतिहासिक स्थलों के महाकुम्भ के समान है। भारत में कई संस्कृतियां, कई सभ्यताएं, कई राजा, महाराजों ने अपनी शौर्य गाथा विश्व को दिखाई है। भारत में ऐसे कई मंदिर व ऐतिहासिक धरोहर हैं जिन्हें इन्हें देखने के लिए विदेशों से पर्यटक आते हैं। विदेशी हमारी कला, समृध्द संस्कृति से काफी प्रभावित होते हैं। परन्तु स्थानीय निवासियों की अनदेखी के चलते जहां कई एतिहासिक धरोहर, मंदिर, पुरातत्व इमारतें जर्जरित हो रही हैं वहीं कुछका नामों-निशां तक नहीं है। इसी प्रकार की अनदेखी का शिकार हुआ है स्थानीय उणकल गांव में स्थित चंद्रमौलेश्वर मंदिर। खूबसूरत कलाकृतियों, विभिन्न मुद्रा की कलात्मक मूर्तियों को पत्थर में कंदवाकर निर्मित सुंदर मंदिर आज विरान पड़ा है।

विशेषताओं से भरपूर है मंदिर: प्राचीन शिलालेखों के अनुसार उणकल का नाम उणकल्लु दर्ज है जो तीस गांवों का केंद्र था। यहां स्थित इस एतिहासिक मंदिर में यहां से अब तक दो शिलालेख मिले हैं। एक शिलालेख के अनुसार उगुरेश्वर के भगवान केशव को वामदेव पंडित ने प्रतिष्ठापित किया था जबकि एक और शिलालेख धुंधला है इसमें यादव मल्लिदेव का जिक्र है। इस गुंबज रहित मंदिर का निमार्ण उस दौर के महान शिल्पी जकनाचार्य ने एक ही रात में किया बताते हैं। इस गांव में चालुक्य व चोल राजाओं के बीच घमासान युध्द का जिक्र एक और शिलालेख में दर्ज है। कल्याण के चालुक्य के शासन में निर्मित यह मंदिर उत्कृष्ट कलाकृति का नमूना है। इस मंदिर का क्षेत्र विशेषताओं से भरा है। गर्भ गृह, प्रदक्षिण पथ अंतराल तथा चारों दिशाओं से मुख मंडप वाले इस मंदिर के मूल गर्भ गृह में चतुर्मुख शिवलिंग था अब इसकी जगह पर एक दूसरा शिवलिंग प्रतिष्ठापित किया गया है। चतुर्मुख शिवलिंग को पश्चिम मंडल में प्रतिष्ठापित किया गया है। इस गर्भगृह की एक और विशेषता है कि इसे चारों दिशाओं से प्रवेश द्वार है। हर द्वार की दहलिज में आकर्षक पंच प्रकार की आकृतियां खुदवाई गई हैं। बुनियाद में क्लशधारी रति, मन्मथ, द्वार पालकों को खुदवाया गया है।

आकर्षण का केन्द्र है प्रवेश द्वार: गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणापथ है। यहां भी चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार है। इनका द्वार बंद आकर्षक है। इसके पूरक चारों दिशाओं में दो मुख कमरों का मडप हैं। इनमें से पूर्व द्वार की दहलीज को छोड़कर बाकी तीन द्वार सादे हैं। इसमें त्रिशाखा पट्टी मात्र है। दोनों ओर कमल, लताओं से अलंकृत जाली है। पूर्वाभिमुख इस मंदिर का पूर्व के मुख्य द्वार त्रिशाखालंकार से भरा है। उपर आकर्षक मकर माला है। इसकी जाली नृतकी, वाद्यकलाकारों की खुदवाई हुई वृत्ताकार लताओं से भरी हैं। यह दहलीज ही एक श्रेष्ठ कलाकृति से भरा है। मंदिर के गर्भगृह, मुख मंडप की छत में कमल खुदवाया गया है। इस मंदिर के पूर्व द्वार की दोनों ओर देव कोष्ठ हैं। मंदिर के आगे सभा मंडप है। मंदिर के बाहरी हिस्से में लताओं, घोड़े, हाथी की कतार की पट्टियां हैं। मंदिर के पिल्लर विभिन्न शिखरों से अलंकारिक खम्भे हैं। बीच में देवी देवताओं की मूर्तियां खुदवाए गए हैं।
होयस्सल वास्तु शिल्प की झलक: इस मंदिर के शिखर पर नटराज, उग्रनरसिंह, गणपति, सरस्वती, महिषासुर मर्दिनी, आदि देवताओं को खुदवाया गया है। मंदिर के चारों ओर विभिन्न देवताओं के नयन मनोहारी चित्र उत्कीर्ण किए गए हैं। 12वीं सदी की इस मंदिर पर होयस्सल वास्तु शिल्प का असर नजर आता है। यह मंदिर केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आता है। इस मंदिर की एक और विशेषता है कि इस मंदिर की दीवार पर आकर्षक बलमूरी गणपति खुदवाया गया है। जिसका चेहरा व सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है। इस मंदिर में पूर्व से पश्चिम की ओर 6 तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 6 दरवाजे हैं। कुल 12 दरवाजे हैं। आठ दरवाजे अंदर हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर गज लक्ष्मी की मूर्ति है। युगादि के दिन मंदिर के मुख्य द्वार के ऊपर बने तीन कमानों से गर्भगृह में रखे शिव लिंग पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं।
उपेक्षा का शिकार विरासत: इसकी देखरेख कर रहे पुरातत्व विभाग के कर्मचारी सुरेश निलगुंद ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि इस मंदिर का रख रखाव केंद्रीय पुरातत्व विभाग करता है। 12 वीं सदी के इस मंदिर की अधिकांश मूर्तियों को क्षति पहुंचाई गई है। मंदिर के भीतर तथा बाहर एक ही शिला में खुदवाए गए नंदी के विग्रहों को क्षति पहुंचाई गई है। कान आदि निकाले गए हैं। साथ ही गर्भगृह में स्थित मूल शिवलिंग को भी क्षति पहुंचाई गई है। इसी कारण इसे बगल के गृह में रखकर इसकी जगह एक अन्य शिवलिंग प्रतिष्ठापित किया गया है। मंदिर में पर्यटक बहुत कम आते हैं।
पर्यटकों का टोटा: उणकल गांव के भीतर होने से मंदिर के बारे में अधिकांश लोगों को पता तक नहीं है। मंदिर के आस पास मकान बने हुए हैं जिसके चलते मंदिर मकानों के बीच छिप गया है। जिलाधिकारी तथा जिला प्रभारी मंत्री जगदीश शेट्टर ने इस मंदिर के विकास के लिए इसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की योजना भी बनाई थी। और मंदिर के आस पास के लोगों को स्थानांतरित करने के प्रयास भी किए । परन्तु कुछ लोग तो मान गए लेकिन अधिकांश लोगों ने यहां से स्थानांतरित करने का विरोध किया। स्थानीय निवासियों, व राजनेताओं की प्रबल इच्छा शक्ति की कमी व राजनीति के कारण मंदिर आज जर्जर अवस्था में हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा के साथ इसके प्रचार की भी जरूरत है। हूगार घराने के तीन परिवार इस मंदिर में प्रति दिन पूजा करते हैं। हर वर्ष एक-एक परिवार क्रमश: पूजा करता है।

अप्रैल 18, 2010

जाने कहां गए वो दिन

घर,बाहर व कार्यालय की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद जब भी खाली समय होता है जुबां पर मुकेश के एक गाने जाने कहां गए वो दिन के बोल आ जाते हैं। जब भी दोस्त लोग एक साथ होते हैं या अकेला होता हूं तो जगजीत सिंह की एक गजल, ये दौलत भी ले लो,ये शौहरत भी ले लो,भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी....गुनगुना उठता हूं। कहते हैं कि जब कोई अपना आपके पास होता है तब आपको उसकी मौजूदगी या यों कहें कि उसकी कमी नहीं खलती और यह भी नहीं मालूम होता कि हमारे जीवन में किसकी कितनी अहमियत है। लेकिन जब हम अपनों से दूर होते हैं तो उनकी कमी खलने लगती है और उनकी गैर मौजूदगी का अहसास होने लगता है। लेकिन पापी पेट का सवाल जो ठहरा,इसके लिए सब कुछ करना पड़ता है वरना अपना गांव,अपना प्रदेश,अपनी मिट्टी भला कौन छोडऩा चाहता है। एक छोटे से मजदूर को भी अपनी मिट्टी से उतना ही लगाव होता है जितना एक जमींदार या गांव के चौधरी यानी बड़े भू स्वामी को होता है। अपनी माटी की सौंधी महक,पूर्वजों की खून पसीने की कमाई से जोड़ी गई घर की एक एक र्इंट। गांव में गिल्ली डंडे खेलते धूल धुसरित बच्चे,होली पर दोस्तों संग हंसी ठिठोली,नल पर पानी भरतीं औरते उनकी कानाफूसी,ठिठोली,उलाहने में झलकता अतिरेक सहित कई ऐसी बंदिशें अपने प्रदेश की होती है जिस पर पार पाना काफी मुश्किल होता है। अपने देश की मिट्टी में प्रस्फुटित होती है बचपन की स्मृतियां,वे स्मृतियां जो मन में बहुत कुछ खो जाने का गम पैदा कर एकाकीपन में रुलाती है। बीते दिनों को छोड़कर आगे निकल जाने के पश्चातापकी आग में जलाती है कि वे दिन अब नहीं आएंगे जब मित्रों के साथ स्कूल से घर लौटते वक्त बस्ता गांव की नाडी के किनारे रख पानी में उतर जाते थे गर्मी कम करने के लिए। वास्तव में जीवन में वे दिन स्व्र्णिम होते हैं। कम है तो गम नहीं और ज्यादा पाने का अहम नहीं। पर एक दिन ऐसा आता है जब अपनी लहलहाती खेतों की हरियाली को हमारी उपस्थिति कचौटने लगती है। अपनी माटी के लिए ही हम पराये से लगने लगते हैं। सूनी लगती है वे गलियां जिनमें चिलचिलाती धूप में भी हमजोलियों के साथ या या तो कंचे खेलते थे या होली के दिन में पेड़ों की छावं में कोई खेल। तब न हार जाने की खीझ होती है औ न जीतने का अभिमान। पर वे गर्व के दिन बीतने के बाद सामना होता है निरंतर बढ़ते वय,छूटते बचपन और दिन ब दिन बढ़ती जिम्मेदारियों से। उस समय परेशानी से उभरने लगती है शिकनें। चल पड़ते हैं एक अंतहीन मंजिल की तलाश में। और एक अदद रोजगार पाने की जुगत शुरू हो जाती है। तब अहसास होता है कि ये खेत-खलिहान ये तालाब ये नाडिय़ां ये सखा,गांव का गुवाड़ सभी रोजगार दे पाने में सक्षम नहीं है और हम अपने ही घर में बेगाने हो जाते हैं। हर एक की अपेक्षा से अर्थ से जुड़ जाती है। माता-पिता,पत्नी,भाई,बंधु-बांधव सभी पराये से लगने लगते हैं। दिन-रात ख्याल रहता है तो बस गांव से पलायन कर कुछ गुजरने का। अपनी मिट्टी,अपना गांव तब पराया सा लगता है,नहीं चाहते हुए भी अपना प्रदेश छोड़कर चल पड़ते हैं किसी अनजान डगर पर जो किसी नगर या महानगर में जाकर खत्म होती है। यहां फिर संघर्ष शुरू होता है खुद का खुद से और पनाह लेने के लिए शुरू होता है प्रयास। इसके बाद शुरू होती है इएक नई जिजीविषा,एक नया दौर-संघर्ष का दौर। दिन भर की दम फुला देने वाली मेहनत और उसके बाद रात में गांव की यादें बैचेन कर देती है।तब अहसास होता है कि कंकरीटों के इस भयानक पत्थरों के शहर में आकर हमने गांव से कितना कुछ गंवा दिया है। कई दिनों तक रात-रात भर नींद पलकों को छूकर चली जाती या फिर दस्तक ही नहीं देती।गांव की गलियां पुकारती सी लगती है। घर का आंगन मानो अपना आंचल फैलाकर लौट आने के लिए मनुहार कर रहा हो। पर तभी याद आ जाते हैं वो दिन जिन परिस्थितियों में प्रदेश का रुख करना पड़ता है,तो मन में कड़वाहट आ जाती है। वे मुफलिसी के दिन भुलाये नहीं भूलते। अपनी मिट्टी अपने प्रदेश के प्रति नाराजगी के एक स्वर में फूट पड़ती है-जाना नहीं देश वीराना है और फिर हम खो जाते हैं दिन भर की दिनचर्या के विश्लेषण और भविष्य की जद्दोजहद में और पता ही नहीं लगता कि कब निङ्क्षदया लग गई और हम फिर वहीं पहुंच गए जहां थे यानी जाने कहां गए वो दिन......ये दौलत भी ले लो,ये शौहरत भी ले लो,भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी...।

अप्रैल 17, 2010

तस्वीर बोलती है .....

नयनाभिराम दृश्य

कर्नाटक के सिरसी जिले के कुमटा तालुक में मत्तिघट्टा जल प्रपात से २५० से ३०० फीट ऊंचाई से गिर रहा दूधिया पानी। यह नयनाभिराम दृश्य पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

बारिश ने बदला मौसम का मिजाज


दो दिनों में होगी अच्छी बारिश
हुबली, १७ अप्रेल।
पिछले कई दिनों से तन झुलसाती गर्मी व तपिश् से त्रस्त शहर वासियों को शुक्रवार अपराह्न बाद कुछ राहत मिली। शुक्रवार अपराह्न 3:15 बजे के बाद हुई मध्यम बारिश से मौसम खुशनुमा हो गया।

करीब 45 मिनट तक हुई बारिश ने शहर की सारी सड़कों को तर कर दिया। शहर के कित्तूर चेन्नम्मा सर्कल, कोप्पिकर रोड, स्टेशन रोड, जनता बाजार, दाजिबानपेट, दुर्गद बैल समेत लग-भग सभी जगहों पर सड़कों पर पानी बह रहा था।

बच्चे, युवक युवतियों ने पहली बारिश का आनंद लिया। वहीं खरीदी करने आए अधिकतर लोग औचक आई बारिश से बचने के लिए दुकानों के आगे शरण ली। पिछले दो-चार दिनों से शहर में बादल नजर आ रहे थे परन्तु बारिश नहीं हुई। शुक्रवार के बारिश से शहर के लोगों को राहत मिली है। सड़कें तालाब व नहर की तरह नजर आ रही थी।

हाल ही में शहर की सड़कें बनाई गई हैं। सड़कों के किनारे नालियां तो हैं परन्तु इसमें सड़कों का बारिश का पानी जाने की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे बारिश का सारा पानी सड़कों पर बहता है और सड़कें तालाब व नहर नजर आने लगती है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दो दिनों में शहर सहित उत्तर कर्नाटक के अन्य शहरों में हल्की से भारी बारिश की संभावना है।

अप्रैल 16, 2010

दपरे ने यात्री भाड़े में कमाए 957.12 करोड़ : चतुर्वेदी

हुबली को स्टेशन रख-रखाव व राजभाषा रोलिंग शील्ड
बेंगलूरु को समग्र दक्षता व मैसूर को सुरक्षा दक्षता शील्ड
हुबली,16अप्रेल।
दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी ने दपरे की सफलताओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि वर्ष 2009-10 में दपरे ने 154.6 7 मिलियन यात्रियों से 957.12 करोड़ कमाए हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले यात्रियों में 13.33 प्रतिशत तथा आय में 6 .48 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। चतुर्वेदी चालुक्य रेलवे इंस्टीट्यूट में दपरे मुख्यालय की ओर से आयोजित 55 वें रेल सप्ताह समारोह का उद्घाटन कर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 2008 -09 में 136.48 मिलियन यात्रियों से 898.8 5 करोड़ कमाए गए थे। इसके अलावा वर्ष 2008 -09 की तुलना में वर्ष 2009-10 में अन्य कोच व विभिन्न स्रोतों से आय में 13 प्रतिशत तथा 98.40 बढ़ोतरी हुई है।
पार्सल वैन ढुलाई में वृद्धि: वैश्विक मंदी के चलते वर्ष में 4.06 प्रतिशत माल ढुलाई में कमी के चलते वर्ष 2009-10 में माल भाड़े में 16.89 प्रतिशत का घाटा हुआ है। जेवीएसएल माल ढुलाई व कमाई में बेहतरीन सफलता पाई है। त्योहारों व अवकाश के मौसम में अतिरिक्त यात्रियों के भार के चलते दपरे ने 3934 विशेष ट्रेनों तथा 6 8 15 अतिरिक्त कोच लगाए। इस वर्ष विशेष ट्रेनों की सेवा में 15.42 प्रतिशत का सुधार तथा अतिरिक्त कोच को शामिल कर 3.22 प्रतिशत सुधार किया गया है। वर्ष 2009-10 में 8031 पार्सल वैन की ढुलाई की गई जबकि वर्ष 2008 -09 में 6389 पार्सल वैन की ढुलाई की गई थी। कुल 25.7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

हुबली में दपरे की ओर से शुक्रवार को आयोजित रेल सप्ताह कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते दपरे महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी।
राजधानी एक्सप्रेस को किया दैनिक: दपरे ने वर्ष 2009 के बजट में घोषित सभी ट्रेनों को शुरू किया है। बेंगलूरु व दिल्ली को जोडऩेवाली राजधानी एक्सप्रेस को सप्ताह में चार दिन के बजाए दैनिक किया गया है। हावड़ा व बेंगलूरु के बीच चलाई जा रही पहली दुरंटो ट्रेन को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इस ट्रेन में चिकित्सक की अतिरिक्त सेवा भी दी जा रही है। यशवंतपुर व देवनहल्ली तथा यशवंतपुर से होसूर के बीच लोकल ट्रन चलाने की बेंगलूरु के यात्रियों की बहुत दिनों से लंबित मांग को पूरा किया गया। पिछले वर्ष माल ढुलाई के दौरान लोको विफलता में 6 प्रतिशत का सुधार किया गया है। हुबली व मैसूर वर्कशाप का कार्य संतोषजनक रहा।
यात्री सुविधाओं में इजाफा: यात्रियों की सुविधा को देखते हुए दपरे ने रेलवे स्टेशनों के सुधार के साथ उन्नतीकरण भी किया है। रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफार्मों का विकास, पैदल यात्रियों के लिए पुल, स्टेशन भवनों तथा आसपास के इलाके का सुधार, प्लाटफार्मों पर आधुनिक लाइटिंग की व्यवस्था आदि सुधार किए गए हैं। आसानी से टिकटों के वितरण के लिए 178 स्टेशनों में बिना आरक्षण टिकट व्यवस्था (यूटीएस) तथा 49 स्टेशनों में यूटीए कम पीआरएस सेवा शुरू की है। इसके अलावा 40 स्थानों पर अतिरिक्त पीआरएस केंद्र स्थापित किए गए हैं। 19 इंडिया पोस्ट पीआरएस तथा 2 पीआरएस केंद्र सैनिक इलाके में शुरू किए गए हैं। यात्रियों को बिना आरक्षण के टिकट वितरण के लिए 15 जन साधारण टिकट बुकिंग सेवकों को नियुक्त किया गया है।
मोबाइल वैन के जरिए टिकट: उन्होंने कहा कि बेंगलूरु में मोबाइल वैन के जरिए टिकट देने की योजना बनाई जा रही है। तुमकुर, धरमापुरी, बंगारपेट, दावणगेरे, टिपटूर, केंगेरी तथा हावेरी रेलवे स्टेशन भवनों का उन्नतीकरण कार्य किया गया है। हुबली के नए स्टेशन भवन का कार्य चल रहा है। बेलगाम स्टेशन भवन का कार्य जल्द पूरा हो जाएगा। मैसूर, हुबली, बेल्लारी, दावणगेरे, शिमोग्गा शहर, तुमकुर तथा यशवंतपुर में विभिन्न सेवाओं वाले वाणिज्य भवन के निर्माण की योजना बनाई गई है।
बेंगलूरु स्टेशन होगा विश्वस्तरीय: उन्होंने कहा कि बेंगलूरु सिटी तथा बैयप्पनहल्ली स्टशनों को विश्व स्तरीय बनाने की योजना है। लोंडा तथा चामराजनगर स्टेशन सहित बागलकोट, देवनहल्ली, दोड बल्लापुर, गौरीबिदनूर, गोकाक रोड तथा यलहंका जंक्शनों को भी आदर्श स्टेशन के रुप में विकसित किया जाएगा। हुबली स्टेशन में आधुनिक सुविधाओं से लैस सेल किचन को शुरू किया गया है। हुबली-हेबसूर के बीच पटरी दोहरीकरण कार्य किया गया है। धारवाड़-कम्बारगणी के बीच बिछाई गई नई दोहरी लाईन कार्य का सीआरएस निरीक्षण किया गया है।

हुबली में दपरे की ओर से शुक्रवार को आयोजित रेल सप्ताह कार्यक्रम में बेंगलूरु मंडल प्रबंधक अखिल अग्रवाल को समग्र दक्षता शील्ड प्रदान करते दपरे महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी।
मंडलों का कार्य संतोषजनक: चतुर्वेदी ने दपरे के सभी मंडलों के कार्य पर अपनी संतुष्ठि जताई। इस अवसर पर बेंगलूरु मंडल के मंडल प्रबंधक अखिल अग्रवाल ने समग्र दक्षता शील्ड ग्रहण की। वाणिज्य शील्ड मैसूर तथा बेंगलूरु मंडल को दिया गया। मैसूर मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अनुप दयानंद तथा बेंगलूरु के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक प्रवीण पांडे को शिल्ड दी गई। इस अवसर पर 8 अधिकारियों तथा 156 रेलकर्मियों को उच्च सेवा तथा 19 शील्ड मंडलों की सफलता पर वितरित की गई। इस अवसर पर दपरे महिला कल्याण संगठन की कल्पना चतुर्वेदी, मुख्य कार्मिक अधिकारी मोहन मेनन के अलावा बेंगलूरु, मैसूर मंडल बी.बी वर्मा, हुबली मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा, वरिष्ठ अधिकारी, पुरस्कृत कर्मचारी व अधिकारी, समेत दपरे के सभी मंडलों के मजदूर संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।

दपरे जाने के वर्ष २००९-१० में दक्षता शील्ड विजेता
शील्ड विजेता मंडल
परिचालन दक्षता शील्ड - बेंगलूरु
वाणिज्य दक्षता शील्ड - मैसूर व बेंगलूरु
अंतर मंडल राजभाषा रोलिंग शील्ड-हुबली
सुरक्षा दक्षता शील्ड - मैसूर
लेखा दक्षता शील्ड - बेंगलूरु व हुबली
अभियांत्रिकी दक्षता शील्ड-हुबली व बेंगलूरु
यांत्रिकी दक्षता शील्ड- बेंगलूरु
कार्यशाला दक्षता शील्ड- हुबली
श्रेष्ठ निर्माण ईकाई प्रदर्शन दक्षता-डीई/सीई/सीएन/एचएएस
श्रेष्ठ रख-रखाव स्टेशन (प्रमुख)- वास्को डि गामा/हुबली
श्रेष्ठ रख-रखाव परिचालन कक्ष-एसबीएचआर/मैसूर मंडल
अंतर मंडल सुरक्षा शील्ड - मैसूर
श्रेष्ठ रख-रखाव स्टेशन (सामान्य)अलमात्ती/हुबली
चिकित्सा दक्षता शील्ड-बेंगलूरु
भंडार दक्षता शील्ड-डीएसडी/बेंगलूरु
कार्मिक दक्षता शील्ड-बेंगलूरु
विद्युत दक्षता शील्ड- बेंगलूरु
सिग्नल एवं टेलिकॉम दक्षता- बेंगलूरु
समग्र दक्षता शील्ड-बेंगलूरु
-लेखा दक्षता शील्ड बेंगलूरु व हुबली को संयुक्त रूप से दी गई है। यह पहले छह माह तक बेंगलूरु मंडल के पास व बाद में हुबली के पास रहेगी।
-वाणिज्य दक्षता शील्ड मैसूर व बेंगलूरु को संयुक्त रूप से दी गई है। यह पहले छह माह तक मैसूर मंडल के पास व बाद में बेंगलूरु के पास रहेगी।
-अभियांत्रिकी दक्षता शील्ड हुबली व बेंगलूरु को संयुक्त रूप से दी गई है। यह पहले छह माह तक हुबली मंडल के पास व बाद में बेंगलूरु के पास रहेगी।

अप्रैल 14, 2010

मुसीबत बने धरना-प्रदर्शन

घंटों यातायात जाम में फंसे रहे लोग
हुबली,अप्रेल।
लोकतंत्र में अपने हक के लिए धरना-प्रदर्शन करना सबका अधिकार है लेकिन यही अधिकार जब अन्य लोगों के लिए आफत बन जाए तो क्या किया जाए। कुछ ऐसा ही मंगलवार को हुबली शहर में देखने को मिला। जब हुबली बस स्टैण्ड के पास अपनी मांगों को लेकर रास्ता जाम करने से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। सुबह ९.३० बजे से सड़क पर प्रदर्शन कर हुबली-धारवाड़ की ओर जाने वाले सड़क मार्ग को बंद कर देने के चलते वाहनों की लम्बी कतार लग गई व बाद में तारिहाल, एयरपोर्ट, गोकुल रोड, पुरानी हुबली व धारवाड़,गदग,होसपेट,सहित अन्य शहरों की ओर जाने वाली सभी छोटे-बड़े वाहनों को मार्ग बदल कर भेजा गया।

सुबह दफ्तर व दुकान जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दुपहिया व अन्य बड़े वाहनों एवं सरकारी बसों से सफर कर गंतव्य तक पहुंचने वाले लोग काफी देर तक बीच रास्ते में अटक गए जिसके चलते वे कार्य स्थल भी विलंब से पहुंचे। पुलिस उन लोगों को समझाकर मार्ग खोलने पर राजी करने की कोशिश में जुटी थी कि चेन्नम्मा सर्कल पर स्थानीय अर्थमूवर्स मशीनरी ओनर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार की ओर से जेसीबी, एलएण्डटी, टेरेक्स, एसीई, कैटरपिल्लर, एसकार्ट्स आदि भारी वाहनों पर कर बढ़ोतरी के विरोध में कित्तूर चेन्नम्मा सर्कल में जेसीबी के साथ प्रदर्शन किया।

भारी भरकम मशीनों ने लगभग पूरी सड़क को घेर रखा था जिसके चलते रास्ते से वाहनों का गुजरना कठिन हो गया। इसके अलावा राज्य में इसाइयों पर हो रहे प्रताडऩ के खिलाफ हुबली-धारवाड़ जिला अल्पसंख्यक इसाई कल्याण संगठन की ओर से बड़ी संख्या में एकत्र लोगों ने प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री के नाम सहायक तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।

क्या कहते हैं अधिकारी - यह सही है कि जुड़वा शहर में आए दिन हो रहे धरना-प्रदर्शन से आम जन को तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन के चलते घंटों यातायात जाम रहता है और लोगों को आवागमन में तकलीफ हो रही है। धरना प्रदर्शन से होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए शहर पुलिस आयुक्त से बातचीत चल रही है और शीघ्र ही इस मसले को लेकर कोई सकारात्मक हल निकाला जाएगा। - दर्पण जैन,जिलाधिकारी

भाषा व जाति बंधन से दूर है धर्म

देश विकास के लिए युवाओं का सुदृढ होना जरुरी: नयपदमसागर महाराज
बेलगाम,१३ अप्रेल। जैन धर्म भाषा और प्रांतवाद में नहीं बल्कि देश प्रेम में विश्वास करता है और देश का समुचित विकास करने के लिए युवाओं को सुदृढ बनाना जरुरी है। बेलगाम प्रवास पर आए नयपदमसागर महाराज ने पांगुल गली स्थित चन्द्रप्रभु जैन मंदिर में पत्रिका से विशेष वार्ता में यह बात कही। उन्होंने कहा कि मन में देश प्रेम की भावना,मांसाहार का त्याग व माता-पिता की सेवा आदि तीन नियमों का पालन करने से युवा अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं।
भाषा व जाति बंधन से दूर है धर्म: उन्होंने कहा कि धर्म भाषा व जाति से दूर होता है। वह तो केवल जीवन जीने की शैली बताता है। माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा करने व सदाचार युक्त जीवन जीने वाला व्यक्ति कर्म मुक्त हो सकता है। युवाओं को चाहिए कि वे माता-पिता को वृद्धश्रम भेजने के बजाय घर में ही सेवा सुश्रुषा करें।
भारत में ज्यादा सुरक्षित है मुस्लिम: उन्होंने अपने विदेश भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की है और वहां के जन जीवन को नजदीकी से देखा है। लेकिन भारत भूमि में जो पवित्रता की भावना, मित्रता, आतिथ्य व आदर सत्कार है वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा। इसलिए अन्य स्थानों की अपेक्षा मुसलमान देश में ज्यादा सुरक्षित हैं।
युवाओं का सही मार्गदर्शन जरुरी:उन्होंने कहा कि पैदल भ्रमण जैन साधु की दिनचर्या का हिस्सा है और वे भी ५५ हजार किमी पैदल घूम चुके हैं। इस दौरान उन्होंने महसूस किया है कि युवाओं को धर्म को सही व तार्किक ढ़ंग से कोई बात बताई जाए तो वे जल्दी समझ जाते हैं। अगर उनका सही प्रकार से मार्गदर्शन कर भारतीय संस्कृति के बारे में बताया जाए तो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे नहीं भागेंगे। उन्होंने कहा कि साधु-संतों का मुख्य कार्य समाज में जागृति लाना है। व्यसन मुक्त समाज का निर्माण कर उनको नई दिशा देना है। जीव दया,अहिंसा का प्रचार करना ही एक साधु का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। भारत की आत्मा गांवों में बसी है इसलिए गांव पवित्र बनने से पूरा देश पवित्र बन जाएगा।
प्रामाणिकता से कार्य करें व्यापारी: उन्होंने कहा कि व्यापारी भी प्रामाणिकता से कार्य करें। अगर वे साधु-संतों के सान्निध्य में आकर प्रामाणिकता अपना व्यवसाय कर समय पर कर अदायगी करेंगे तो उनका लाभ और अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र में खाद्यान्न से शराब बनाने को गलत बताते हुए कहा कि एक तरफ समाज को नशा मुक्त किया जा रहा है वहीं दूसरी गांवों में शराब उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता धर्म प्रिय है और सभी के मन में परोपकार व कर्मठता की भावना जरुरी है। - प्रकाश बिलागोजी

अप्रैल 13, 2010

हुबली मंडल ने मनाया रेल सप्ताह


हुबली मंडल ने मनाया रेल सप्ताह
हुबली, १४ अप्रेल। बोरीबंदर से थाने के बीच ३४ किलोमीटर मार्ग पर देश में पहली बार १६ अप्रेल १८५३ को रेल गाड़ी चलाए जाने के उपलक्ष्य में रेलवे की ओर से हर साल मनाए जाने वाले रेल सप्ताह के अन्तर्गत दपरे के हुबली मंडल की ओर से मंगलवार को ५५वां रेल सप्ताह मनाया गया।

चालुक्या रेलवे इंस्टीट्यूट में शाम चार बजे आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मंडल प्रबंधक व मुख्य अतिथि आदेश शर्मा ने मुख्य उद्बोधन में मंडल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने रेलवे बोर्ड व दपरे की ओर से मंडल को विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए लक्ष्यों को हासिल करने में विशेष योगदान देने वाले कर्मचारियों को शील्ड प्रदान कर व नकद पुरस्कार से सम्मानित किया।

अतिरिक्त मंडल प्रबंधक प्रेमचंद ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। वरिष्ठ मंडल पर्सोनेल अधिकारी तिमोती टी. गोन्मई ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में मंडल के विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी व मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। भारत स्काउट व गाइड व रेलवे स्कूल के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

अपराधियों की खैर नहीं : सिन्हा

जीआरपी व आरपीएफ की संयुक्त टास्क फोर्स गठित
एकीकृत सुरक्षा प्रणाली के लिए ९.७५ करोड़ मंजूर
धर्मेन्द्र गौड़
हुबली,१३ अप्रेल।
दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के तीन स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली लगाने,यात्री व रेलवे संपति सुरक्षा एवं जोन में अपराध के ग्राफ में कमी करने सहित अनेक मुद्दों पर दपरे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त सुभाष चन्द्र सिन्हा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में विस्तार से जानकारी दी। पेश है सिन्हा से बातचीत के सम्पादित अंश:

पत्रिका: रेलवे में अपराध दर कम करने के लिए क्या प्रयास किया जा रहा है?
सिन्हा: दक्षिण पश्चिम रेलवे में अपराध की दर अन्य जोन से काफी कम है और इसके ग्राफ में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है। यात्रियों व रेलवे माल की सुरक्षा में मुस्तैद रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के साथ बेहतर तालमेल से अपराधियों पर नकैल कसने की तैयारी में है। अपराध दर में कमी के लिए जीआरपी व आरपीएफ संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके तहत जोन के बेंगलूरु,हुबली व मैसूर मंडल में टास्क फोर्स का गठन कर अपराधियों पर नजर रखी जा रही है।
पत्रिका: जीआरपी व रेलवे सुरक्षा बल में कितना तालमेल?
सिन्हा: बेशक,दोनों में बेहतर सामंजस्य है। अपराधियों पर नियंत्रण के लिए जीआरपी व आरपीएफ सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं ताकि अपराधियों तक जल्द से जल्द कार्रवाई की जा सके। रेल में जेब कतरने व सामान चोरी की घटनाओं के मद्देजनर दोनों की संयुक्त टास्क फोर्स काम कर रही है। इस संबंध में गृह सचिवों,आईबी व एमएचए के अधिकारियों की रेलवे बोर्ड अधिकारियों व सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों(आईजी/एडीजी)की मौजूदगी में हाल ही हुई बैठक में देश भर में रेलवे में अपराध दर में कमी लाने के लिए अन्तरराज्यीय स्तर पर सामंजस्य बनाने पर जोर दिया गया। साथ ही बैठक में जीआरपी व बल द्वारा संयुक्त रूप से काम करने की जरुरत महसूस की गई।
पत्रिका: जोन में एकीकृत सुरक्षा प्रणाली कब तक शुरू होगी?
सिन्हा: जोन में बेंगलूरु,यशवंतपुर व मैसूर स्टेशन पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली (इंटीग्रेटेड सिक्यूरिटी सिस्टम) लगाई जानी है। इसके लिए बोर्ड को भेजे गए १४ करोड़ के प्रस्ताव पर बोर्ड ने फिलहाल ९.७५ करोड़ रूपए मंजूर किए हैं। इसे दपरे महाप्रबंधक की मंजूरी भी मिल गई है। शीघ्र ही इस संबंध में निविदा बुलाई जानी है।
पत्रिका: १४ करोड़ की मांग पर बोर्ड द्वारा स्वीकृत ९।७५ करोड़ की राशी पर्याप्त है?
सिन्हा: पर्याप्त तो नहीं है लेकिन हमने प्रथम चरण में जरुरी कार्यों को शामिल किया है। इस राशी से तीनों चयनित स्थानों पर लगाए जाने वाली प्रणाली की गुणवत्ता अच्छी रखी है लेकिन प्रणाली के तहत उपकरणों की संख्या में कमी कर दी है। जिन्हें दूसरे चरण में पूरा किया जाएगा। इसके लिए सुरक्षा विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएगी और सुरक्षा के मानदंडों पर खरा उतरने वाली कंपनी को यह कार्य दिया जाएगा।
पत्रिका: इस प्रणाली के अन्तर्गत क्या-क्या सुविधाएं होंगी?
सिन्हा: क्लोज सर्किट टीवी कैमरा (सीसीटीवी) इस प्रणाली में अहम है। इसके जरिए रेलवे स्टेशन,प्लेटफार्म,पार्किंग क्षेत्र,यार्ड,पार्सल कार्यालय,लॉबी आदि पर नजर रखी जा सकेगी। प्रणाली के अन्तर्गत लगाए जाने वाले उपकरण अद्यतन व उच्च तकनीक युक्त होंगे जिसके कारण सब कुछ कैमरे की नजर में होगा। इसके अलावा लगेज स्केनर,वाहन स्केनर,हैंड हेल्ड मैटल डिटेक्टर भी लगाए जाएंगे। इनके जरिए स्टेशन के चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा सकेगी।
पत्रिका: रेलों में यात्री सुरक्षा को लेकर क्या कर रहे हैं?
सिन्हा: देखिए,जहां तक यात्री सुरक्षा की बात है बल ने इसे लेकर कभी कोई समझौता नहीं किया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर है। जहरखुरानी,चोरी,हत्या की घटनाओं में कमी आई है और सुरक्षा बल का एंटी ड्रग स्क्वाड की ओर से समय-समय पर यात्रियों को सह यात्रियों से सजग रहने के लिए जागरुक किया जाता है। इसके लिए यात्रियों को भी थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। कई बार देखा गया है कि यात्री अनजान लोगों से खाद्य सामग्री खाने के बाद अपना नुकसान खुद कर लेते हैं। इसलिए यात्रियों को सजग रहना चाहिए।

अप्रैल 11, 2010

हुबली मंडल ने पूरा किया माल ढुलाई लक्ष्य

माल ढुलाई-३३.६ मिलियन टन, राजस्व -२७६२ करोड
हुबली अव्वल,मैसूर द्वितीय व बेंगलूर तीसरे स्थान पर
धर्मेन्द्र गौड़

हुबली , अप्रेल। देश भर में माल परिवहन से राजस्व संग्रहण में अव्वल 6 4 मंडलों में पहले पांच मंडलों में शुमार दक्षिण पश्चिम रेलवे के हुबली मंडल ने गत वर्ष में अप्रेल ०९ से मार्च १० तक माल परिवहन ढुलाई के लक्ष्य को शत प्रतिशत पूरा करते हुए ३३।६ मिलियन टन माल का परिवहन किया। मंडल का इस अवधि में ३३.६ मिलियन टन माल परिवहन का लक्ष्य था और मंडल ने मंदी के बावजूद लक्ष्य को छूते हुए २७६२ करोड़ का राजस्व अर्जित किया। हालांकि मंडल को पहले ३१ मिलियन टन का लक्ष्य दिया गया था जिसे बाद में बढ़ाकर ३३.६ किया गया। गत वर्षसमान अवधि में मंडल ने ३५ मिलियन टन माल ढुलाईकर ३३०० करोड़ का राजस्व अर्जित किया। हुबली मंडल के प्रबंधक आदेश शर्मा ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि दपरे जोन में कुल ४० मिलियन टन माल ढुलाई में से ३३.६ मिलियन टन अकेले हुबली मंडल ने की जो कुल माल ढुलाई का ८४ प्रतिशत है। मैसूर का इस अवधि में ५.४६ मिलियन टन जबकि बेंगलूरु का योगदान महज १.०६ प्रतिशत रहा।
माल ढुलाई बढ़ी, आय घटी: हुबली मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने बताया कि मंदी के चलते मई 2009 में रेलवे में माल परिवहन में जबरदस्त कमी दर्ज की गई। माल परिवहन के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के लिए रेलवे बोर्ड की ओर से माल परिवहन में रियायत देने का निर्णय लिया गया जिसके बाद कंपनियों ने माल ढ़ुलाई के लिए रेलवे का रुख किया। इसकी वजह से मंडल का माल ढुलाई का लक्ष्य तो पूरा हो गया लेकिन आय कम हो गई। शर्मा ने बताया कि दिसम्बर तक मंडल ने 24.6 7 मिलियन टन माल की ढुलाई कर 2140 करोड़ रुपए अर्जित किए। जो कि गत वर्ष से लगभग 500 करोड़ कम है। पिछले वर्ष 25.6 0 मिलियन टन माल की ढ़ुलाई कर मंडल ने 26 6 0 करोड़ रूपए अर्जित किए थे।
राजस्व वृद्धि की उम्मीद: उन्होंने बताया कि मंडल ने फरवरी माह में २३७ करोड़ व अकेले मार्च माह में ३१३ करोड़ की माल ढुलाईकी। निर्यात किए जाने वाले लोह अयस्क पर मंडल द्वारा १७ मार्च से माल भाड़ा बढ़ाने के कारण मार्चमाह में राजस्व बढ़ा। इसके आगामी तीन महीनों में और बढऩे की संभावना है। शर्माने बताया कि यात्री भाड़ा,माल ढुलाईव अन्य स्रोतों से मंडल को २९६८ करोड़ रूपए की आय हुई है जो कि गत वर्ष समान अवधि में ३५०० करोड़ थी। रेलवे बोर्ड द्वारा माल भाड़े में कमी करने के चलते आय में कमी आई। मंडल में बेटिकट यात्रियों से ४.०६ लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया पिछले वर्षसमान अवधि में यह आंकड़ा ३.७९ करोड़ था।
लेटलतीफी का ग्राफ कम: शर्मा ने बताया कि हुबली मंडल दपरे के कुल राजस्व का अस्सी प्रतिशत राजस्व दे रहा है। जिसमें माल भाड़े के रूप में अर्जित आय,यात्री भाड़ा व अन्य स्रोतों से प्राप्त आय शामिल है। उन्होंने बताया कि मंडल द्वारा चलाई जाने वाली गाडिय़ों के संचालन मामले में भी मंडल आगे हैंं और मंडल की गाडिय़ों का लेटलतीफी का ग्राफ कम है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन हुबली से संचालित होने वाली गाडिय़ों का समय पालन का प्रतिशत 92 है जबकि दपरे के अन्य मंडलों का समय पालन का ग्राफ लगभग 8 0 फीसदी है।

हुबली मंडल ने कमाए १७८ करोड़, यात्री भार में १३.४ वृद्धि


यात्री सुविधाओं व रख-रखाव में जोन में अव्वल
धर्मेन्द्र गौड़
हुबली,११ अप्रेल।
दपरे का हुबली मंडल माल परिवहन के साथ-साथ यात्री परिवहन व यात्री सुविधाओं में भी जोन के तीनों मंडलों में अव्वल रहा है। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में ३१ मार्च तक हुबली मंडल की कुल आय १७८ करोड़ रही और इस अवधि में मंडल ने २९.७ यात्री परिवहन के लक्ष्य को पार कर ३.६२ करोड़ यात्री ढ़ोए। यह आंकड़ा गत वर्ष १५७ करोड़ था और इस वर्ष इसमें १३.४ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) के हुबली मंडल के मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बताया कि गत वर्ष समान अवधि में यात्रियों की संख्या ३.०४ करोड़ थी जिसमें २० प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। यात्री आय में भी गत वर्ष की अपेक्षा १३ प्रतिशत वृद्धि हुई।
यात्री भार व राजस्व में वृद्धि: माल परिवहन के उलट मंडल में न केवल यात्री भार में वृद्धि दर्ज की बल्कि इसकी आय भी गत वर्ष की अपेक्षा बढ़ी। उन्होंने बताया कि मंडल ने इस वर्ष अप्रेल से दिसम्बर की अवधि में 130.52 लाख यात्रियों से 131.50 करोड़ रुपए कमाए। इस वर्ष बढ़े लगभग 18 लाख से अधिक यात्रियों से मंडल को 18 करोड़ रुपए अधिक की आमदनी हुई। गत वर्ष मंडल ने 112.97 लाख यात्रियों से 113.91 करोड़ रुपए अर्जित किए थे।
सुरक्षा में भी अव्वल : उन्होंने बताया कि मंडल में गत वर्ष में एक भी दुर्घटना नहीं हुई है। मंडल के क्षेत्र से एक्सप्रेस व सवारियों गाडिय़ों सहित लगभग ९५ गाडिय़ां गुजरती है। गत वर्ष के अप्रेल माह से मार्च तक मंडल द्वारा संचालित में एक भी गाड़ी हादसे का शिकार नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मंडल द्वारा संचालित गाडिय़ों के रख-रखाव की दिशा में बेहतर प्रयास व सावधानी के चलते यह संभव हो पाया है। मंडल की ओर से रख-रखाव की जाने वाली गाडिय़ों की पिट लाईन में छह घंटों में जांच के साथ मंडल के दायरे में आने वाले रेलवे ट्रेक पर कड़ी नजर रखने से दुर्घटनाओं को टालने में मदद मिली है। रेलवे कर्मचारी यात्रियों को बेहतर सुविधा व सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसी का परिणाम है कि मंडल में हादसे शून्य के बराबर हैं।
इज्जत टिकट से मिले ५८ हजार: शर्मा ने बताया कि मंडल में सिंगल रेल लाइन के बावजूद समय पर गाडिय़ों के परिचालन का ही नतीजा है कि मंडल में रेल यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि मंडल ने रेल मंत्रालय की विशेष योजना के तहत २३१४ इज्जत टिकटों की बिक्री की। मंडल ने फरवरी में ५४५ व मार्च में ५५३ इज्जत टिकट बेचकर लगभग ५८ हजार का राजस्व अर्जित किया।

अप्रैल 10, 2010

तल्ख हुए सूर्य के तेवर

हुबली में चिलचिलाती धूप में गर्मी से बचने के लिए छत्री का सहारा लेती युवतियां।

































































तल्ख हुए सूर्य के तेवर


गुलबर्गा, रायूचर सबसे गर्म
धर्मेन्द्र गौड
हुबली, अप्रेल।
उत्तर कर्नाटक में गर्मी के तीखे तेवर बुधवार को भी बरकरार रहे। दिन चढऩे के साथ ही शुरू होने वाला गर्मी का दौर देर शाम तक बना रहता है। सुबह से ही सूर्यदेव अपने तेवर दिखाने शुरू कर देते हंै। दोपहर के समय की गर्मी व तन झुलसाने वाली उमस से लोगों का बुरा हाल है। इस दौरान मुख्य मार्गों पर पसरे सन्नाटे को देखकर यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि यहां गर्मी का प्रकोप कितना है। मौसम विभाग के अनुसार गत सप्ताह हुबली शहर का अधिकतम तापमान ३५ डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा था जो अब ३९ तक पहुंच गया है। इन दिनों उत्तर कर्नाटक में गुलबर्गा ४१, रायचूर ४१, बीदर ४१, बीजापुर ४२, बेल्लारी ४० डिग्री तापमान के साथ सबसे गर्म हैं।
सूरज ने दिखाए तेवर : सूर्य देव ने तल्ख तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। गत सोमवार को खनन क्षेत्र बेल्लारी में अधिकतम 41.४ व न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ऐसे में वे गर्मी में या तो घर जाकर विश्राम करते हंै या फिर दुकान में पंखों, एसी व कूलरों का सहारा लेते हैं। छोटा मुम्बई के नाम से प्रसिद्ध राज्य के दूसरे बड़े शहर हुबली में भीषण गर्मी से आम जनजीवन त्रस्त है। इन दिनों परीक्षाओं के चलते विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना पड़ रहा है। बाइक से जाने वाली युवतियां दुपट्टे से सिर ढाक कर गाड़ी चला रही हंै।
पशु-पक्षियों का हाल बेहाल : हुबली शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां सप्ताह में केवल एक बार पेयजलापूर्ति की जाती है ऐसे में पशु-पक्षियों को पानी की तलाश में दर-दर भटकना पड़ रहा है। सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशु बाजार में इधर-उधर पानी की तलाश में घूमते देखे जा सकते हैं। वहीं परिंदें घरोंं में नल या फिर बाल्टियों में रखे पानी से प्यास बुझा रहे हैं। आमतौर पर आदमी से दूर रहने वाले पक्षी इन दिनों सड़क किनारे शीतल पेय बेचने वालों के आसपास डेरा डाले दिखाई दे जाते हैं ,
ग्राहकी को लगा ग्रहण : गर्मी बढऩे से ग्राहकी में अपेक्षाकृत कमी हुई है, जिसका सीधा असर बाजार में देखने को मिल रहा है। ग्राहकी मंद होने से व्यापारियों को अधिकांश समय बैठे ही रहना पड़ रहा है। लोग सुबह या फिर शाम को ही खरीदी करने घरों से निकल रहे हैं। गर्मी के कारण व्यावसायिक मंदी की मार वाहन चालकों को भी झेलनी पड़ रही है। शहर में रेलवे स्टैण्ड के समीप व ईदगाह मैदान में वाहन दिन भर ग्राहकों के लिए तरसते दिखाई दे रहे हैं। वाहन चालकों के वाहन भी ग्राहकों के इंतजार में खड़े ही रहते है। गर्मी की मार के कारण लोग कहीं आना या जाना पसंद ही नहीं करते, ऐसे में वाहन चालकों को आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है ।
शीतल पेय विक्रेताओं की चांदी : हालांकि शाम के समय भी गर्मी व उमस से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। गर्मी के कारण लोगों की दिनचर्या में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। गर्मी से बचने के लिए लोगों को पंखे, कूलर व एसी का सहारा लेना पड़ रहा है। भीषण गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए बाजारों में ज्यूस व आइसक्रीम की दुकानों पर भीड़ देखने को मिल रही है। इसके अलावा नारियल पानी के लिए थड़ी पर लोगों को गला तर करते देखा जा सकता है। इसके अलावा दोपहर में लस्सी, छाछ, दही या अन्य शीतल पेय पदार्थ पीकर गर्मी दूर करने का जतन कर रहे हैं।
मुश्किल हुआ रोटी का जुगाड़ : गर्मी की मार का असर लोगों के रोजगार पर दिखाई दे रहा है। गर्मी के कारण दिन चढ़ते ही सड़कें सूनी हो जाती हैं व व्यस्ततम रहने वाले चौराहों पर सन्नाटा छा जाता है। ऐसे में दुकानदारों को भी मंद ग्राहकी झेलनी पड़ रही है। गर्मी के कारण सामान्य श्रमिक से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों के पास ग्राहकों का टोटा दिखाई दे रहा है। जुड़वां शहर में इन दिनों लगातार बढ़ती गर्मी के कारण आमजन बेहाल है। शहर में बुधवार को भी सूर्यदेवता अंगारे बरसाते रहे। इन दिनों गर्मी परवान पर है, जिसके कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है। दिहाड़ी मजदूरी पर काम कर आजीविका चलाने वाले मजदूरों का हाल बेहाल है। गर्मी के चलते काम नहीं मिलने पर परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।
बैरन बनी गर्मी के कारण शहर का आम व्यापारी व छोटा व्यवसायी गर्मी से परेशान है। गर्मी के कारण बाजार सूने है और इसका सीधा ग्राहकी पर पड़ रहा है। ग्राहक केवल सुबह या शाम को ही खरीदी के लिए आ रहे हैं। जिसके चलते बिजनेस पर पर असर पड़ा है। - महावीर कुमार जैन, व्यवसायी

तल्ख हुए सूर्य के तेवर




गुलबर्गा, रायूचर सबसे गर्म
धर्मेन्द्र गौड
हुबली, अप्रेल।
उत्तर कर्नाटक में गर्मी के तीखे तेवर बुधवार को भी बरकरार रहे। दिन चढऩे के साथ ही शुरू होने वाला गर्मी का दौर देर शाम तक बना रहता है। सुबह से ही सूर्यदेव अपने तेवर दिखाने शुरू कर देते हंै। दोपहर के समय की गर्मी तन झुलसाने वाली उमस से लोगों का बुरा हाल है। इस दौरान मुख्य मार्गों पर पसरे सन्नाटे को देखकर यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि यहां गर्मी का प्रकोप कितना है। मौसम विभाग के अनुसार गत सप्ताह हुबली शहर का अधिकतम तापमान ३५ डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा था जो अब ३९ तक पहुंच गया है। इन दिनों उत्तर कर्नाटक में गुलबर्गा ४१, रायचूर ४१, बीदर ४१, बीजापुर ४२, बेल्लारी ४० डिग्री तापमान के साथ सबसे गर्म हैं।
सूरज ने दिखाए तेवर : सूर्य देव ने तल्ख तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। गत सोमवार को खनन क्षेत्र बेल्लारी में अधिकतम 41. न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ऐसे में वे गर्मी में या तो घर जाकर विश्राम करते हंै या फिर दुकान में पंखों, एसी कूलरों का सहारा लेते हैं। छोटा मुम्बई के नाम से प्रसिद्ध राज्य के दूसरे बड़े शहर हुबली में भीषण गर्मी से आम जनजीवन त्रस्त है। इन दिनों परीक्षाओं के चलते विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना पड़ रहा है। बाइक से जाने वाली युवतियां दुपट्टे से सिर ढाक कर गाड़ी चला रही हंै।
पशु-पक्षियों का हाल बेहाल : हुबली शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां सप्ताह में केवल एक बार पेयजलापूर्ति की जाती है ऐसे में पशु-पक्षियों को पानी की तलाश में दर-दर भटकना पड़ रहा है। सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशु बाजार में इधर-उधर पानी की तलाश में घूमते देखे जा सकते हैं। वहीं परिंदें घरोंं में नल या फिर बाल्टियों में रखे पानी से प्यास बुझा रहे हैं। आमतौर पर आदमी से दूर रहने वाले पक्षी इन दिनों सड़क किनारे शीतल पेय बेचने वालों के आसपास डेरा डाले दिखाई दे जाते हैं।



ग्राहकी को लगा ग्रहण : गर्मी बढऩे से ग्राहकी में अपेक्षाकृत कमी हुई है, जिसका सीधा असर बाजार में देखने को मिल रहा है। ग्राहकी मंद होने से व्यापारियों को अधिकांश समय बैठे ही रहना पड़ रहा है। लोग सुबह या फिर शाम को ही खरीदी करने घरों से निकल रहे हैं। गर्मी के कारण व्यावसायिक मंदी की मार वाहन चालकों को भी झेलनी पड़ रही है। शहर में रेलवे स्टैण्ड के समीप ईदगाह मैदान में वाहन दिन भर ग्राहकों के लिए तरसते दिखाई दे रहे हैं। वाहन चालकों के वाहन भी ग्राहकों के इंतजार में खड़े ही रहते है। गर्मी की मार के कारण लोग कहीं आना या जाना पसंद ही नहीं करते, ऐसे में वाहन चालकों को आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है।
शीतल पेय विक्रेताओं की चांदी : हालांकि शाम के समय भी गर्मी उमस से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। गर्मी के कारण लोगों की दिनचर्या में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। गर्मी से बचने के लिए लोगों को पंखे, कूलर एसी का सहारा लेना पड़ रहा है। भीषण गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए बाजारों में ज्यूस आइसक्रीम की दुकानों पर भीड़ देखने को मिल रही है। इसके अलावा नारियल पानी के लिए थड़ी पर लोगों को गला तर करते देखा जा सकता है। इसके अलावा दोपहर में लस्सी, छाछ, दही या अन्य शीतल पेय पदार्थ पीकर गर्मी दूर करने का जतन कर रहे हैं।
मुश्किल हुआ रोटी का जुगाड़ : गर्मी की मार का असर लोगों के रोजगार पर दिखाई दे रहा है। गर्मी के कारण दिन चढ़ते ही सड़कें सूनी हो जाती हैं व्यस्ततम रहने वाले चौराहों पर सन्नाटा छा जाता है। ऐसे में दुकानदारों को भी मंद ग्राहकी झेलनी पड़ रही है। गर्मी के कारण सामान्य श्रमिक से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों के पास ग्राहकों का टोटा दिखाई दे रहा है। जुड़वां शहर में इन दिनों लगातार बढ़ती गर्मी के कारण आमजन बेहाल है। शहर में बुधवार को भी सूर्यदेवता अंगारे बरसाते रहे। इन दिनों गर्मी परवान पर है, जिसके कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा नजर रहा है। दिहाड़ी मजदूरी पर काम कर आजीविका चलाने वाले मजदूरों का हाल बेहाल है। गर्मी के चलते काम नहीं मिलने पर परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।
बैरन बनी गर्मी के कारण शहर का आम व्यापारी छोटा व्यवसायी गर्मी से परेशान है। गर्मी के कारण बाजार सूने है और इसका सीधा ग्राहकी पर पड़ रहा है। ग्राहक केवल सुबह या शाम को ही खरीदी के लिए रहे हैं। जिसके चलते बिजनेस पर पर असर पड़ा है। - महावीर कुमार जैन, व्यवसायी