ढ़ूढंते रह जाओगे दुल्हनियां भाग-1 में देश भर में कन्याओं को कोख में ही खत्म कर दिए जाने संबंधी सामान्य जानकारी देने का प्रयास किया था। इसमें देश भर में राज्यों में लिंगानुपात की स्थिति का जिक्र कर रहा हूं जिससे यह पता चल सके कि कहां स्थिति कितनी खराब या ठीक ठाक है। राज्यों में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या(०-६ आयु वर्ष-जनगणना वर्ष २००१ )लिंगानुपात एक नजर में:
केरल-१०५८ शिक्षा,स्वास्थ्य व साक्षरता में देश में अव्वल
आन्ध्र प्रदेश-९७८, अरुणाचल प्रदेश-८९३, असम-९३५
बिहार-९८९, छत्तीसगढ़-९८९, गोवा- ९६१
गुजरात-९२०, हरियाणा- ८६१, हिमाचल-९६८
जम्मू कश्मीर-८९२,झारखंड-९४१, कर्नाटक-९६५
मध्यप्रदेश-९२०, महाराष्ट्र-९२२, मणिपुर-९७८
मेघालय-९७२, मिजोरम-९३५, नागालैण्ड-९००
उड़ीसा-९७२, पंजाब-८७६, राजस्थान-९२१
सिक्किम-८७५, तमिलनाडु-९८७, त्रिपुरा-९४८
उत्तराखंड-९६२, उत्तरप्रदेश-८९८, पं.बंगाल-९३४
केन्द्र शासित प्रदेश-अंडमान निकोबार द्वीप समूह-८४६
दादरा एवं नागर हवेली -८१२, चंडीगढ़-७७७
दिल्ली-८२१,दमन दीव-७१०,पुद्दुचेरी-१००१
सूची के अनुसार राज्यों में जहां केरल १०५८ लिंगानुपात के साथ श्रेष्ठ हैं वहीं पंजाब व हरियाणा क्रमश: ८७६,८६१ की स्थिति खराब है। इसी प्रकार केन्द्र शासित प्रदेशों में पुद्दुचेरी १००१ लिंगानुपात के साथ ठीक स्थिति में हैं वहीं चंडीगढ़ का लिंगानुपात सबसे कम ७७७ है।
मेरे बारे में
- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
मार्च 25, 2010
ढ़ूढंते रह जाओगे दुल्हनियां भाग २
जिस देश में शीर्ष पदों पर महिलाएं हो और जहां औरत को बड़ा दर्जा दिया जाता हो उसी देश में एक महिला ही एक भावी महिला (कन्या) का जीवन छीन रही है। भारत के संदर्भ में कहा तो यह जाता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं लेकिन जब नारी की इस तरह दुर्दशा होगी तो देवताओं का निवास कैसे संभव होगा यह विचारणीय प्रश्न है। ऐसा नहीं है कि कन्या भ्रूण हत्या पहले नहीं होती थी या लोग इस जघन्य अपराध से वाकिफ नहीं थे। लेकिन तब की परिस्थितियों और आज के हालात काफी बदले हुए हैं। राजा-महाराजाओं के समय में लड़की के जन्म पर मातम जैसा माहौल होता था वहीं पुत्र प्राप्ति पर जश्न। इतना ही नहीं उस समय जब भू्रण परीक्षण के साधन नहीं हुआ करते थे ऐसी स्थिति में लड़की को जन्म लेते ही मार दिया जाता था और इसके लिए अनेक तरीके,मसलन नवजात को कोरे बर्तन में डाल बंद करना या उसे ठंडे पानी में डालना आदि प्रचलित थे। समय ने करवट ली और विज्ञान ने ऐसी सुविधा दे दी जिसमें बच्चा या बच्ची का पता माता के गर्भ में ही लगाया जाने लगा। आज समाज में बड़े कहे जाने वाले परिवारों में भू्रण परीक्षण की बीमारी ज्यादा है। गरीब के पास न तो इतनी सुविधाएं होती है और ना ही वह इस पचड़े में पडऩा चाहता है। वह बेटा या ेटी को भगवान का दिया उपहार मानकर पाल-पोस कर बड़ा कर देता है लेकिन बड़े कहे जाने वाले परिवारों की (कुछ परिवार अपवाद हो सकते हैं जहां बेटियों को सम्मान मिलता है) बात कुछ ओर है। वहां आज भी बेटी को हैय नजरों से देखा जाता है। देश भर में सभी राज्यों में लगभग एक समान स्थिति है इस मामले में केरल को अपवाद कहा जा सकता है जहां लिंगानुपात व साक्षरता दर दोनों सकारात्मक है। अन्य राज्यों में यह स्थिति काफी चिंताजनक है। पहले बारह साल या इसके आसपास लड़की के हाथ पीले कर देना यानी शादी कर देना ठीक समझा जाता था ताकि लड़की के बड़ी होने पर कुछ ऊंच नीच जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। हालांकि आज भी कुछ राज्यों में बारह और १५ साल तक कन्याओं को परिणय सूत्र में बंाध कर अभिभावक अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। एक समय में जैन समाज में लड़कियों की कमी बताई जाती थी लेकिन आज कमोबेश सभी समाज में लड़कियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और इसके चलते उन्हें जिले या फिर राज्य से बाहर रिश्ते तय करने पड़ रहे हैं। पहले लड़की को बोझ समझा जाता था लेकिन आज बेटी या बेटियों के पिता बड़े गर्व से कहते हैं कि उनके पास बेटी है। क्योंकि आज विवाह योग्य लड़कों की संख्या ज्यादा है लेकिन उनके लिए योग्य वधु नहीं मिल रही है। कारण स्पष्ट है कि हर समाज में लड़कियों की संख्या कम हो रही है। मेरा रिश्ता तय होने के पांच साल बाद शादी हुई और शादी को मई १० में सात साल भी हो जाएंगे। लेकिन इस बीच जिस तेजी से परिस्थितियां बदली,मैं खुद यकीन नहीं कर सकता। क्योंकि उस समय बेटी के बाप को गांव-गांव,शहर-शहर घूमना पड़ता था। मैंने देखा है कि कई महीनों या साल भर चक्कर काटने के बाद रिश्ता तय होता था लेकिन अब स्थिति ठीक इसके उलट है। अब बेटी के बाप को उसके रिश्ते की जितनी ङ्क्षचता नहीं है उससे ज्यादा बेटे के बाप को होती है। इसलिए वह बेटे के परिपक्व होने से पहले ही दुल्हन की तलाश शुरू कर देता है। क्योंकि समय पर लड़की नहीं मिली तो फिर रिश्ता करने में पसीने आ जाते हैं। लड़कियों की कमी के कारण आज ऐसेे कितने मित्र हैं जो शादी की उम्र हो जाने के बावजूद अब तक दुल्हे नहीं बन पाए है। कहने का तात्पर्य है कि लड़कियों की उपेक्षा के कारण आज लड़के स्वत:उपेक्षित हो गए हैं।
मार्च 22, 2010
Mass marriage function turned into bollywood function
HUBLI,22 MARCH.
A mass marriage organised at Kalghatgi in Dharwad district by MLA Santhosh Lad turned into a function for Bollywood and Sandalwood actors. People had thronged to see their favorite actors. Amidst this, 500 couples tied the knot. A black mark in the function was that some underage girls were also married off.
Looking at the Bollywood and Sandalwood stars sitting here, one might think this is some award ceremony. But this was a mass marriage organised for the poor belonging to various communities. Over 100 stars including Jackie Shroff, Sohail Khan, Sameera Reddy, Jimmy, Sharmila Mandre, Anu Prabhakar, Nisha Kothari, Alka Lamba, Tina, Tanushree Datta, Sonu, Haripriya, Murali, Nagathihalli Chandrashekhar, Subhash Ghai, Reena, Miss UK Lisa Lazarus, Miss Afghanistan Liza Lizaruzi were present at the function.
The mass marriage was organised at Kalghatgi in Dharwad. A shamiyan was set up in 10 acres of a 30 acre ground. Lakhs of people had gathered to have a look at their favorite actors. But the actors who had come down started speaking about their films instead of wishing the newly weds. Sandalwood actor Murali went a step ahead and sang a song as well.
Bollywood’s yesteryear actor Jackie Shroff arrived in a helicopter becoming the centre of attraction. Sandalwood actress Sharmila Mandre was also no less. She advised the newly weds to watch latest flick ‘Swayamvara’. While Sameera Reddy and Sohail Khan entertained the audiences with their short speeches, Miss Afghanistan and Miss London were no less. The Swamiji who was seated next to the hot ladies changed his seat after sometime. Finally after all this, the brides and grooms who were waiting from morning, finally tied the knot. Over 500 couples entered into wedlock in this function. Over 13 underage girls also entered into wedlock here.
More than witnessing the marriage, people were curious to know which actors were present there. Police also resorted to Lathi Charge unable to control the crowd. Former CM of Madhya Pradesh Digvijay Singh who inaugurated the function said this was an unusual function. This was a rare event at Kaghatgi. But was all the pomp and grandeur required when the mass marriage could be organised in a simple way?
A mass marriage organised at Kalghatgi in Dharwad district by MLA Santhosh Lad turned into a function for Bollywood and Sandalwood actors. People had thronged to see their favorite actors. Amidst this, 500 couples tied the knot. A black mark in the function was that some underage girls were also married off.
Looking at the Bollywood and Sandalwood stars sitting here, one might think this is some award ceremony. But this was a mass marriage organised for the poor belonging to various communities. Over 100 stars including Jackie Shroff, Sohail Khan, Sameera Reddy, Jimmy, Sharmila Mandre, Anu Prabhakar, Nisha Kothari, Alka Lamba, Tina, Tanushree Datta, Sonu, Haripriya, Murali, Nagathihalli Chandrashekhar, Subhash Ghai, Reena, Miss UK Lisa Lazarus, Miss Afghanistan Liza Lizaruzi were present at the function.
The mass marriage was organised at Kalghatgi in Dharwad. A shamiyan was set up in 10 acres of a 30 acre ground. Lakhs of people had gathered to have a look at their favorite actors. But the actors who had come down started speaking about their films instead of wishing the newly weds. Sandalwood actor Murali went a step ahead and sang a song as well.
Bollywood’s yesteryear actor Jackie Shroff arrived in a helicopter becoming the centre of attraction. Sandalwood actress Sharmila Mandre was also no less. She advised the newly weds to watch latest flick ‘Swayamvara’. While Sameera Reddy and Sohail Khan entertained the audiences with their short speeches, Miss Afghanistan and Miss London were no less. The Swamiji who was seated next to the hot ladies changed his seat after sometime. Finally after all this, the brides and grooms who were waiting from morning, finally tied the knot. Over 500 couples entered into wedlock in this function. Over 13 underage girls also entered into wedlock here.
More than witnessing the marriage, people were curious to know which actors were present there. Police also resorted to Lathi Charge unable to control the crowd. Former CM of Madhya Pradesh Digvijay Singh who inaugurated the function said this was an unusual function. This was a rare event at Kaghatgi. But was all the pomp and grandeur required when the mass marriage could be organised in a simple way?
ढूंढते रह जाओगे दुल्हनियां-१
इनका क्या कसूर
धर्मेन्द्र गौड़
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र व उभरती महाशक्ति कहे जाने वाले देश का राष्ट्रपति,लोकसभा अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की शीर्ष नेत्री और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद आज बेटी को बोझ समझा जाता है। इतना ही नहीं देश की लाडलियां राष्ट्र ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर वे साबित कर चुकी है कि कभी अबला कही जाने वाली मातृ शक्ति भी अब पुरुषों से दौड़ में कहीं आगे है। फिर भी देश का दुर्भाग्य कि यहां ५००000 कन्या भू्रण हत्याओं के चलते पिछले दो दशक में एक करोड़ लड़कियां कम हो गई हैं। ये वो अभागिन कन्याएं हैं जो या तो दहेज की भेंट चढ़ गई हैं या वारिस पाने की चाह में मार दी गई हैं। स्त्री-पुरुष लिंगानुपात में आजादी के बाद से काफी गिरावट आई है।
लिंगानुपात में कमी चिंताजनक: वर्ष 1951 में यह प्रति एक हजार पुरुषों पर 946 थी, जो 2001 में घटकर 933 हो गई। हालांकि 2001 में 1991 की तुलना में लिंगानुपात में वृद्धि हुई। वर्ष 1991 में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या मात्र 926 थी। आजादी के बाद इससे पहले सिर्फ एक मौके पर लिंगानुपात में वृद्धि देखी गई। वर्ष 1971 में लिंगानुपात 930 था, जो 1981 में बढ़कर 934 हो गया। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में कन्या भू्रण हत्या बदस्तूर जारी है। मानवता विरोधी यह घटना फिलहाल गुमनाम वाकया बनकर रह गई है। सिविल सर्जन गर्भ के बारे में सटीक जानकारी देने वाले अल्ट्रासाउंड जांच घरों पर नजर रखने का दावा तो करते हैं पर सच्चाई यही है कि लिंग परीक्षण खूब हो रहा है।
कलयुगी यमराजों का कारनामा: मरीज के लिए भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर चंद पैसों के लिए चिकित्सीय परीक्षण कर अजन्मी कन्याओं को गर्भ में ही मारकर उनके खून से हाथ रंग रहे हैं। भारत वर्ष में लगभग दो दशक पूर्व गर्भस्थ शिशु के क्रोमोसोम के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन के द्वारा भू्रण-परीक्षण पद्धति की शुरुआत हुई और जिसे एमिनो सिंथेसिस कहा जाता था। इसकी सहायता से यदि इनमें कोई ऐसी विकृति हो तो जिससे शिशु की मानसिक व शारीरिक स्थिति बिगड़ सकती हो, उसका उपचार करना होता था। किन्तु अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल गर्भ में बेटा या बेटी की जाँच के लिए किया जाने लगा। अगर गर्भ में लड़का है तो उसे रहने दिया जाता है व लड़की होने पर गर्भ में ही खत्म कर दिया जाने लगा।
धरे रहे कानून कायदे: लिंग चयनात्मक पद्धति को अवैध बताते हुए सन 1994 में प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग निवारण) अधिनियम बनाया गया जिसे सन1996 में प्रचलन में लाया गया। ताकि कन्या भू्रण हत्या पर लगाम कसी जा सके। इस अधिनियम के अंतर्गत, लिंग चयन करने में सहायता लेने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा ,तथा 50,000 रूपये का जुर्माना घोषित किया गया तथा लिंग चयन में शामिल चिकित्सा व्यवसायियों का पंजीकरण रद्द किया जा सकने और प्रैक्टिस करने का अधिकार समाप्त किये जाने का कानून बना। फिर भी चोरी छिपे भू्रण परीक्षण करवाया जाता रहा। जिसे रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में राष्ट्रीय निरीक्षण और निगरानी कमेटी बनाई गई। किन्तु सरकार की तमाम कोशिशें कन्याओं को गर्भ में मारने से नाकाम ही रही। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है।
हर रोज मरती है हजारों कन्याएं: कन्या भू्रण हत्या के बढ़ते आकड़े भारत के कुछ राज्यों के लिए चिंताजनक हैं जहां लिंगानुपात में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 0 से 6 वर्ष तक की आयु का अनुपात दिल्ली में 845,पंजाब में 798,हरियाणा में 819, गुजरात में 883 था। उधर यूनिसेफ की रिपोर्ट बताया गया है कि भारत में प्रतिदिन 7,000 लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। आज की ताजा स्थिति में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे इतनी विस्फोटक हो सकती है कि महिलाओं की संख्या में कमी उनके खिलाफ अपराधों को भी बढा सकती है । कन्या भू्रण हत्या से 2007 में देश के 80 प्रतिशत जिलो में लिंगानुपात में गिरावट आ गई थी।
अभी नहीं तो कभी नहीं: आज समाज में बेटे की चाह में अजन्मी कन्याओं को मारा जा रहा है लेकिन यह बात भी लड़कियों ने सिद्ध कर दी है कि वे भी कतई कम नहीं है। उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं। चाहे वह अंतरिक्ष,सेना,शिक्षा,स्वास्थ्य,राजनीति हो या समाज सेवा हर क्षेत्र में इनकी प्रतिभा सिर चढ़कर बोलती है। लेकिन समाज अभी नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब देश में कुंआरों की संख्या बढ़ जाएगी जो कतई समाज हित में नहीं होगी। प्रति1000 लड़कों पर भारत में लिंगानुपात 927, पाकिस्तान में 958,नाइजीरिया में 965 आकां गया था।
शिक्षित व सभ्य भी पीछे नहीं: आज यह मानना गलत साबित हो गया है कि भू्रण हत्या का कारण अशिक्षा व गरीबी है, वरन शिक्षित व सम्पंन परिवार भी इस तरह के कृत्य में ज्यादा शामिल है। कन्या भू्रण हत्याओं का पहला और प्रमुख कारण तो यही है कि आज भी बेटे को बुढापे की लाठी ही समझा जा रहा है और कहा जाता है कि पुत्र ही मां-बाप का अंतिम संस्कार करता है व वंश को आगे बढ़ाता है। इधर शुरू हुए कुछ सामाजिक संस्थानिक प्रयास इस अवधारणा को बदलने में लगे हैं। गुजरात में डिकरी यानी लड़की बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश ने भी कन्या भू्रण हत्या करवाने वाले की खबर देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा कर्नाटक,राजस्थान सहित अनेक राज्य सरकारों ने कन्या भू्रण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। सरकार देश में बाहर से आयातित लिंग परीक्षण किट पर भी रोक लगा रही है।
धर्मेन्द्र गौड़
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र व उभरती महाशक्ति कहे जाने वाले देश का राष्ट्रपति,लोकसभा अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की शीर्ष नेत्री और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद आज बेटी को बोझ समझा जाता है। इतना ही नहीं देश की लाडलियां राष्ट्र ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर वे साबित कर चुकी है कि कभी अबला कही जाने वाली मातृ शक्ति भी अब पुरुषों से दौड़ में कहीं आगे है। फिर भी देश का दुर्भाग्य कि यहां ५००000 कन्या भू्रण हत्याओं के चलते पिछले दो दशक में एक करोड़ लड़कियां कम हो गई हैं। ये वो अभागिन कन्याएं हैं जो या तो दहेज की भेंट चढ़ गई हैं या वारिस पाने की चाह में मार दी गई हैं। स्त्री-पुरुष लिंगानुपात में आजादी के बाद से काफी गिरावट आई है।
लिंगानुपात में कमी चिंताजनक: वर्ष 1951 में यह प्रति एक हजार पुरुषों पर 946 थी, जो 2001 में घटकर 933 हो गई। हालांकि 2001 में 1991 की तुलना में लिंगानुपात में वृद्धि हुई। वर्ष 1991 में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या मात्र 926 थी। आजादी के बाद इससे पहले सिर्फ एक मौके पर लिंगानुपात में वृद्धि देखी गई। वर्ष 1971 में लिंगानुपात 930 था, जो 1981 में बढ़कर 934 हो गया। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में कन्या भू्रण हत्या बदस्तूर जारी है। मानवता विरोधी यह घटना फिलहाल गुमनाम वाकया बनकर रह गई है। सिविल सर्जन गर्भ के बारे में सटीक जानकारी देने वाले अल्ट्रासाउंड जांच घरों पर नजर रखने का दावा तो करते हैं पर सच्चाई यही है कि लिंग परीक्षण खूब हो रहा है।
कलयुगी यमराजों का कारनामा: मरीज के लिए भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर चंद पैसों के लिए चिकित्सीय परीक्षण कर अजन्मी कन्याओं को गर्भ में ही मारकर उनके खून से हाथ रंग रहे हैं। भारत वर्ष में लगभग दो दशक पूर्व गर्भस्थ शिशु के क्रोमोसोम के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन के द्वारा भू्रण-परीक्षण पद्धति की शुरुआत हुई और जिसे एमिनो सिंथेसिस कहा जाता था। इसकी सहायता से यदि इनमें कोई ऐसी विकृति हो तो जिससे शिशु की मानसिक व शारीरिक स्थिति बिगड़ सकती हो, उसका उपचार करना होता था। किन्तु अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल गर्भ में बेटा या बेटी की जाँच के लिए किया जाने लगा। अगर गर्भ में लड़का है तो उसे रहने दिया जाता है व लड़की होने पर गर्भ में ही खत्म कर दिया जाने लगा।
धरे रहे कानून कायदे: लिंग चयनात्मक पद्धति को अवैध बताते हुए सन 1994 में प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग निवारण) अधिनियम बनाया गया जिसे सन1996 में प्रचलन में लाया गया। ताकि कन्या भू्रण हत्या पर लगाम कसी जा सके। इस अधिनियम के अंतर्गत, लिंग चयन करने में सहायता लेने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा ,तथा 50,000 रूपये का जुर्माना घोषित किया गया तथा लिंग चयन में शामिल चिकित्सा व्यवसायियों का पंजीकरण रद्द किया जा सकने और प्रैक्टिस करने का अधिकार समाप्त किये जाने का कानून बना। फिर भी चोरी छिपे भू्रण परीक्षण करवाया जाता रहा। जिसे रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में राष्ट्रीय निरीक्षण और निगरानी कमेटी बनाई गई। किन्तु सरकार की तमाम कोशिशें कन्याओं को गर्भ में मारने से नाकाम ही रही। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है।
हर रोज मरती है हजारों कन्याएं: कन्या भू्रण हत्या के बढ़ते आकड़े भारत के कुछ राज्यों के लिए चिंताजनक हैं जहां लिंगानुपात में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 0 से 6 वर्ष तक की आयु का अनुपात दिल्ली में 845,पंजाब में 798,हरियाणा में 819, गुजरात में 883 था। उधर यूनिसेफ की रिपोर्ट बताया गया है कि भारत में प्रतिदिन 7,000 लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। आज की ताजा स्थिति में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे इतनी विस्फोटक हो सकती है कि महिलाओं की संख्या में कमी उनके खिलाफ अपराधों को भी बढा सकती है । कन्या भू्रण हत्या से 2007 में देश के 80 प्रतिशत जिलो में लिंगानुपात में गिरावट आ गई थी।
अभी नहीं तो कभी नहीं: आज समाज में बेटे की चाह में अजन्मी कन्याओं को मारा जा रहा है लेकिन यह बात भी लड़कियों ने सिद्ध कर दी है कि वे भी कतई कम नहीं है। उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं। चाहे वह अंतरिक्ष,सेना,शिक्षा,स्वास्थ्य,राजनीति हो या समाज सेवा हर क्षेत्र में इनकी प्रतिभा सिर चढ़कर बोलती है। लेकिन समाज अभी नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब देश में कुंआरों की संख्या बढ़ जाएगी जो कतई समाज हित में नहीं होगी। प्रति1000 लड़कों पर भारत में लिंगानुपात 927, पाकिस्तान में 958,नाइजीरिया में 965 आकां गया था।
शिक्षित व सभ्य भी पीछे नहीं: आज यह मानना गलत साबित हो गया है कि भू्रण हत्या का कारण अशिक्षा व गरीबी है, वरन शिक्षित व सम्पंन परिवार भी इस तरह के कृत्य में ज्यादा शामिल है। कन्या भू्रण हत्याओं का पहला और प्रमुख कारण तो यही है कि आज भी बेटे को बुढापे की लाठी ही समझा जा रहा है और कहा जाता है कि पुत्र ही मां-बाप का अंतिम संस्कार करता है व वंश को आगे बढ़ाता है। इधर शुरू हुए कुछ सामाजिक संस्थानिक प्रयास इस अवधारणा को बदलने में लगे हैं। गुजरात में डिकरी यानी लड़की बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश ने भी कन्या भू्रण हत्या करवाने वाले की खबर देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा कर्नाटक,राजस्थान सहित अनेक राज्य सरकारों ने कन्या भू्रण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। सरकार देश में बाहर से आयातित लिंग परीक्षण किट पर भी रोक लगा रही है।
ढूंढते रह जाओगे दुल्हनियां-१
इनका क्या कसूर
धर्मेन्द्र गौड़
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र व उभरती महाशक्ति कहे जाने वाले देश का राष्ट्रपति,लोकसभा अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की शीर्ष नेत्री और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद आज बेटी को बोझ समझा जाता है। इतना ही नहीं देश की लाडलियां राष्ट्र ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर वे साबित कर चुकी है कि कभी अबला कही जाने वाली मातृ शक्ति भी अब पुरुषों से दौड़ में कहीं आगे है। फिर भी देश का दुर्भाग्य कि यहां ५००000 कन्या भू्रण हत्याओं के चलते पिछले दो दशक में एक करोड़ लड़कियां कम हो गई हैं। ये वो अभागिन कन्याएं हैं जो या तो दहेज की भेंट चढ़ गई हैं या वारिस पाने की चाह में मार दी गई हैं। स्त्री-पुरुष लिंगानुपात में आजादी के बाद से काफी गिरावट आई है।
लिंगानुपात में कमी चिंताजनक: वर्ष 1951 में यह प्रति एक हजार पुरुषों पर 946 थी, जो 2001 में घटकर 933 हो गई। हालांकि 2001 में 1991 की तुलना में लिंगानुपात में वृद्धि हुई। वर्ष 1991 में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या मात्र 926 थी। आजादी के बाद इससे पहले सिर्फ एक मौके पर लिंगानुपात में वृद्धि देखी गई। वर्ष 1971 में लिंगानुपात 930 था, जो 1981 में बढ़कर 934 हो गया। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में कन्या भू्रण हत्या बदस्तूर जारी है। मानवता विरोधी यह घटना फिलहाल गुमनाम वाकया बनकर रह गई है। सिविल सर्जन गर्भ के बारे में सटीक जानकारी देने वाले अल्ट्रासाउंड जांच घरों पर नजर रखने का दावा तो करते हैं पर सच्चाई यही है कि लिंग परीक्षण खूब हो रहा है।
कलयुगी यमराजों का कारनामा: मरीज के लिए भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर चंद पैसों के लिए चिकित्सीय परीक्षण कर अजन्मी कन्याओं को गर्भ में ही मारकर उनके खून से हाथ रंग रहे हैं। भारत वर्ष में लगभग दो दशक पूर्व गर्भस्थ शिशु के क्रोमोसोम के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन के द्वारा भू्रण-परीक्षण पद्धति की शुरुआत हुई और जिसे एमिनो सिंथेसिस कहा जाता था। इसकी सहायता से यदि इनमें कोई ऐसी विकृति हो तो जिससे शिशु की मानसिक व शारीरिक स्थिति बिगड़ सकती हो, उसका उपचार करना होता था। किन्तु अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल गर्भ में बेटा या बेटी की जाँच के लिए किया जाने लगा। अगर गर्भ में लड़का है तो उसे रहने दिया जाता है व लड़की होने पर गर्भ में ही खत्म कर दिया जाने लगा।
धरे रहे कानून कायदे: लिंग चयनात्मक पद्धति को अवैध बताते हुए सन 1994 में प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग निवारण) अधिनियम बनाया गया जिसे सन1996 में प्रचलन में लाया गया। ताकि कन्या भू्रण हत्या पर लगाम कसी जा सके। इस अधिनियम के अंतर्गत, लिंग चयन करने में सहायता लेने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा ,तथा 50,000 रूपये का जुर्माना घोषित किया गया तथा लिंग चयन में शामिल चिकित्सा व्यवसायियों का पंजीकरण रद्द किया जा सकने और प्रैक्टिस करने का अधिकार समाप्त किये जाने का कानून बना। फिर भी चोरी छिपे भू्रण परीक्षण करवाया जाता रहा। जिसे रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में राष्ट्रीय निरीक्षण और निगरानी कमेटी बनाई गई। किन्तु सरकार की तमाम कोशिशें कन्याओं को गर्भ में मारने से नाकाम ही रही। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है।
हर रोज मरती है हजारों कन्याएं: कन्या भू्रण हत्या के बढ़ते आकड़े भारत के कुछ राज्यों के लिए चिंताजनक हैं जहां लिंगानुपात में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 0 से 6 वर्ष तक की आयु का अनुपात दिल्ली में 845,पंजाब में 798,हरियाणा में 819, गुजरात में 883 था। उधर यूनिसेफ की रिपोर्ट बताया गया है कि भारत में प्रतिदिन 7,000 लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। आज की ताजा स्थिति में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे इतनी विस्फोटक हो सकती है कि महिलाओं की संख्या में कमी उनके खिलाफ अपराधों को भी बढा सकती है । कन्या भू्रण हत्या से 2007 में देश के 80 प्रतिशत जिलो में लिंगानुपात में गिरावट आ गई थी।
अभी नहीं तो कभी नहीं: आज समाज में बेटे की चाह में अजन्मी कन्याओं को मारा जा रहा है लेकिन यह बात भी लड़कियों ने सिद्ध कर दी है कि वे भी कतई कम नहीं है। उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं। चाहे वह अंतरिक्ष,सेना,शिक्षा,स्वास्थ्य,राजनीति हो या समाज सेवा हर क्षेत्र में इनकी प्रतिभा सिर चढ़कर बोलती है। लेकिन समाज अभी नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब देश में कुंआरों की संख्या बढ़ जाएगी जो कतई समाज हित में नहीं होगी। प्रति1000 लड़कों पर भारत में लिंगानुपात 927, पाकिस्तान में 958,नाइजीरिया में 965 आकां गया था।
शिक्षित व सभ्य भी पीछे नहीं: आज यह मानना गलत साबित हो गया है कि भू्रण हत्या का कारण अशिक्षा व गरीबी है, वरन शिक्षित व सम्पंन परिवार भी इस तरह के कृत्य में ज्यादा शामिल है। कन्या भू्रण हत्याओं का पहला और प्रमुख कारण तो यही है कि आज भी बेटे को बुढापे की लाठी ही समझा जा रहा है और कहा जाता है कि पुत्र ही मां-बाप का अंतिम संस्कार करता है व वंश को आगे बढ़ाता है। इधर शुरू हुए कुछ सामाजिक संस्थानिक प्रयास इस अवधारणा को बदलने में लगे हैं। गुजरात में डिकरी यानी लड़की बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश ने भी कन्या भू्रण हत्या करवाने वाले की खबर देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा कर्नाटक,राजस्थान सहित अनेक राज्य सरकारों ने कन्या भू्रण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। सरकार देश में बाहर से आयातित लिंग परीक्षण किट पर भी रोक लगा रही है।
धर्मेन्द्र गौड़
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र व उभरती महाशक्ति कहे जाने वाले देश का राष्ट्रपति,लोकसभा अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की शीर्ष नेत्री और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद आज बेटी को बोझ समझा जाता है। इतना ही नहीं देश की लाडलियां राष्ट्र ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर वे साबित कर चुकी है कि कभी अबला कही जाने वाली मातृ शक्ति भी अब पुरुषों से दौड़ में कहीं आगे है। फिर भी देश का दुर्भाग्य कि यहां ५००000 कन्या भू्रण हत्याओं के चलते पिछले दो दशक में एक करोड़ लड़कियां कम हो गई हैं। ये वो अभागिन कन्याएं हैं जो या तो दहेज की भेंट चढ़ गई हैं या वारिस पाने की चाह में मार दी गई हैं। स्त्री-पुरुष लिंगानुपात में आजादी के बाद से काफी गिरावट आई है।
लिंगानुपात में कमी चिंताजनक: वर्ष 1951 में यह प्रति एक हजार पुरुषों पर 946 थी, जो 2001 में घटकर 933 हो गई। हालांकि 2001 में 1991 की तुलना में लिंगानुपात में वृद्धि हुई। वर्ष 1991 में लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या मात्र 926 थी। आजादी के बाद इससे पहले सिर्फ एक मौके पर लिंगानुपात में वृद्धि देखी गई। वर्ष 1971 में लिंगानुपात 930 था, जो 1981 में बढ़कर 934 हो गया। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में कन्या भू्रण हत्या बदस्तूर जारी है। मानवता विरोधी यह घटना फिलहाल गुमनाम वाकया बनकर रह गई है। सिविल सर्जन गर्भ के बारे में सटीक जानकारी देने वाले अल्ट्रासाउंड जांच घरों पर नजर रखने का दावा तो करते हैं पर सच्चाई यही है कि लिंग परीक्षण खूब हो रहा है।
कलयुगी यमराजों का कारनामा: मरीज के लिए भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर चंद पैसों के लिए चिकित्सीय परीक्षण कर अजन्मी कन्याओं को गर्भ में ही मारकर उनके खून से हाथ रंग रहे हैं। भारत वर्ष में लगभग दो दशक पूर्व गर्भस्थ शिशु के क्रोमोसोम के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन के द्वारा भू्रण-परीक्षण पद्धति की शुरुआत हुई और जिसे एमिनो सिंथेसिस कहा जाता था। इसकी सहायता से यदि इनमें कोई ऐसी विकृति हो तो जिससे शिशु की मानसिक व शारीरिक स्थिति बिगड़ सकती हो, उसका उपचार करना होता था। किन्तु अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल गर्भ में बेटा या बेटी की जाँच के लिए किया जाने लगा। अगर गर्भ में लड़का है तो उसे रहने दिया जाता है व लड़की होने पर गर्भ में ही खत्म कर दिया जाने लगा।
धरे रहे कानून कायदे: लिंग चयनात्मक पद्धति को अवैध बताते हुए सन 1994 में प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग निवारण) अधिनियम बनाया गया जिसे सन1996 में प्रचलन में लाया गया। ताकि कन्या भू्रण हत्या पर लगाम कसी जा सके। इस अधिनियम के अंतर्गत, लिंग चयन करने में सहायता लेने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा ,तथा 50,000 रूपये का जुर्माना घोषित किया गया तथा लिंग चयन में शामिल चिकित्सा व्यवसायियों का पंजीकरण रद्द किया जा सकने और प्रैक्टिस करने का अधिकार समाप्त किये जाने का कानून बना। फिर भी चोरी छिपे भू्रण परीक्षण करवाया जाता रहा। जिसे रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में राष्ट्रीय निरीक्षण और निगरानी कमेटी बनाई गई। किन्तु सरकार की तमाम कोशिशें कन्याओं को गर्भ में मारने से नाकाम ही रही। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है।
हर रोज मरती है हजारों कन्याएं: कन्या भू्रण हत्या के बढ़ते आकड़े भारत के कुछ राज्यों के लिए चिंताजनक हैं जहां लिंगानुपात में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 0 से 6 वर्ष तक की आयु का अनुपात दिल्ली में 845,पंजाब में 798,हरियाणा में 819, गुजरात में 883 था। उधर यूनिसेफ की रिपोर्ट बताया गया है कि भारत में प्रतिदिन 7,000 लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। आज की ताजा स्थिति में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है। यह स्थिति धीरे-धीरे इतनी विस्फोटक हो सकती है कि महिलाओं की संख्या में कमी उनके खिलाफ अपराधों को भी बढा सकती है । कन्या भू्रण हत्या से 2007 में देश के 80 प्रतिशत जिलो में लिंगानुपात में गिरावट आ गई थी।
अभी नहीं तो कभी नहीं: आज समाज में बेटे की चाह में अजन्मी कन्याओं को मारा जा रहा है लेकिन यह बात भी लड़कियों ने सिद्ध कर दी है कि वे भी कतई कम नहीं है। उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं। चाहे वह अंतरिक्ष,सेना,शिक्षा,स्वास्थ्य,राजनीति हो या समाज सेवा हर क्षेत्र में इनकी प्रतिभा सिर चढ़कर बोलती है। लेकिन समाज अभी नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब देश में कुंआरों की संख्या बढ़ जाएगी जो कतई समाज हित में नहीं होगी। प्रति1000 लड़कों पर भारत में लिंगानुपात 927, पाकिस्तान में 958,नाइजीरिया में 965 आकां गया था।
शिक्षित व सभ्य भी पीछे नहीं: आज यह मानना गलत साबित हो गया है कि भू्रण हत्या का कारण अशिक्षा व गरीबी है, वरन शिक्षित व सम्पंन परिवार भी इस तरह के कृत्य में ज्यादा शामिल है। कन्या भू्रण हत्याओं का पहला और प्रमुख कारण तो यही है कि आज भी बेटे को बुढापे की लाठी ही समझा जा रहा है और कहा जाता है कि पुत्र ही मां-बाप का अंतिम संस्कार करता है व वंश को आगे बढ़ाता है। इधर शुरू हुए कुछ सामाजिक संस्थानिक प्रयास इस अवधारणा को बदलने में लगे हैं। गुजरात में डिकरी यानी लड़की बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश ने भी कन्या भू्रण हत्या करवाने वाले की खबर देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा कर्नाटक,राजस्थान सहित अनेक राज्य सरकारों ने कन्या भू्रण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। सरकार देश में बाहर से आयातित लिंग परीक्षण किट पर भी रोक लगा रही है।
मार्च 21, 2010
काव्य सृजन
दिल का दर्द जब नयनों से नीर बनकर छलकता है
कंठ रुंध जाता है, मूक हो जाते हैं अधर
जिह्वा निष्क्रिय और मस्तिष्क हो जाता है निश्चेष्ट
ऐसे में होता है ह्दय विदारक कविता का सृजन।।
ह्दय की प्रसन्नता चेहरे पर मुस्कान बन खिलती है
अधर हो जाते हैं विलक और गा उठ उठते हैं कंठ
मस्तिष्क मस्त हो जाता है,नाचे मन मयूर
ऐसे में होता है खिलती मुस्काती कविता का सृजन।।
कंठ रुंध जाता है, मूक हो जाते हैं अधर
जिह्वा निष्क्रिय और मस्तिष्क हो जाता है निश्चेष्ट
ऐसे में होता है ह्दय विदारक कविता का सृजन।।
ह्दय की प्रसन्नता चेहरे पर मुस्कान बन खिलती है
अधर हो जाते हैं विलक और गा उठ उठते हैं कंठ
मस्तिष्क मस्त हो जाता है,नाचे मन मयूर
ऐसे में होता है खिलती मुस्काती कविता का सृजन।।
वीरान शहर सूनी जिन्दगी
बेहद वीरान सा एक शहर
चारों और पसरा सन्नाटा
सूनी सड़कों के किनारे
पेड़ों पर बैठे पक्षियों का
कलरव भी अब बंद है
शाम को डराता हल्का धुंधलका
क्यों ऐसा जिन्दगी में होता है
अंधेरी घनी डरावनी रातें हैं
रास्तों का काला घना तम
साथ में देख घना अकेलापन
डर सा जाता है मन
सिहर उठता है बदन
एक सूनापन,एक ऊबती
घुटन भरी जिन्दगी मानो
कराहते हुए छटपटा रही है
शायद दर्द ही सच्चाई है
पता नहीं यह असहनीय पीड़ा
कहां से आई है शहर में
चारों और पसरा सन्नाटा
सूनी सड़कों के किनारे
पेड़ों पर बैठे पक्षियों का
कलरव भी अब बंद है
शाम को डराता हल्का धुंधलका
क्यों ऐसा जिन्दगी में होता है
अंधेरी घनी डरावनी रातें हैं
रास्तों का काला घना तम
साथ में देख घना अकेलापन
डर सा जाता है मन
सिहर उठता है बदन
एक सूनापन,एक ऊबती
घुटन भरी जिन्दगी मानो
कराहते हुए छटपटा रही है
शायद दर्द ही सच्चाई है
पता नहीं यह असहनीय पीड़ा
कहां से आई है शहर में
क्या यही है जिन्दगी
नीर का क्षणिक बुलबुला है
जो उस बुलबुले की भंाति
पल भर में ही मिट जाती है
बिल्कुल अस्तित्व हीन हो गए
फिर से नहीं लौटने के लिए
कहीं यही है जिन्दगी
दर्द का एक दरिया है
अथाह वेदना को कर सीने में दफन
सुख-दु:ख की लहरों को
अपने में समाए बुझे मन से
सब कुछ साथ बहा ले जाती है
क्या यही है जिन्दगी
बीती हुई बातें और मुलाकातें
कड़वा अहसास या मीठी यादें
गुजरे जमाने के बेजबां लोग
उन पत्थर दिल लोगों की बातें
पल पर में खत्म सब कुछ
क्या यही है जिन्दगी
जो उस बुलबुले की भंाति
पल भर में ही मिट जाती है
बिल्कुल अस्तित्व हीन हो गए
फिर से नहीं लौटने के लिए
कहीं यही है जिन्दगी
दर्द का एक दरिया है
अथाह वेदना को कर सीने में दफन
सुख-दु:ख की लहरों को
अपने में समाए बुझे मन से
सब कुछ साथ बहा ले जाती है
क्या यही है जिन्दगी
बीती हुई बातें और मुलाकातें
कड़वा अहसास या मीठी यादें
गुजरे जमाने के बेजबां लोग
उन पत्थर दिल लोगों की बातें
पल पर में खत्म सब कुछ
क्या यही है जिन्दगी
राह का प्रस्तर
उसने समझा कि मैं एक पत्थर हूं
अनजान राह में पड़ा हुआ
जिसकी कोई सुध नहीं लेता
बेकार सा,मैला,कुचैला
एक राहगीर ने उसे भी ठोकर
मार कर उसे हिला दिया
मगर पत्थर की किस्मत
उसे कहां से कहां ले गई
वह लुढ़कते, गिरते ,पड़ते
ठोकरों से आगे चलता गया
काश एक दिन उस पर
पैर पड़ जाए किसी तपस्वी के
ताकि उसे इस अनजान से बंधन से
मुक्ति तो मिल जाए
अनजान राह में पड़ा हुआ
जिसकी कोई सुध नहीं लेता
बेकार सा,मैला,कुचैला
एक राहगीर ने उसे भी ठोकर
मार कर उसे हिला दिया
मगर पत्थर की किस्मत
उसे कहां से कहां ले गई
वह लुढ़कते, गिरते ,पड़ते
ठोकरों से आगे चलता गया
काश एक दिन उस पर
पैर पड़ जाए किसी तपस्वी के
ताकि उसे इस अनजान से बंधन से
मुक्ति तो मिल जाए
प्यार का पौधा
पल्लवित हो रहे हमारे प्यार के
एक छोटे से पौधे को भी
कुछ पानी चाहिए था जीने के लिए
थी दरकार कुछ रोशनी की उसे भी
कुछ भी नहीं मिल पाया इस
नन्हें पौधे की जड़ों को
जिसकी इन्हें जरुरत थी
मैं नहीं दे पाया और कुछ वह न दे पाई
पता नहीं कौन था जिम्मेदार इसके लिए
मगर तुम तो उस बगिया की मालकिन थी
सब कुछ तुम्हारा ही था तो,
फिर क्यों सब उसने ही उजाड़ कर
उसको सुनसान बना दिया
मैंने सोचा कि एक पुष्प बनकर
महकूंगा उसकी वेणी में
मगर उसके लिए मैं कभी
कांटों से ज्यादा कुछ था ही नहीं
काश एक बार वो कहकर तो
देखती,क्या पता हम खुद ही
उस बगिया से रुखसत हो जाते
पर अफसोस ऐसा नहीं हुआ
मन को कचोटते अकेलेपन
को दूर करने के लिए
फिर से वह चल पड़ी मंजिल पाने
पता नहीं मंजिल मिली या नहीं
पर इतना तो तय है वैसा पौधा
फिर कभी उस बगिया में
नहीं पनप सकेगा स्वेच्छा से
एक छोटे से पौधे को भी
कुछ पानी चाहिए था जीने के लिए
थी दरकार कुछ रोशनी की उसे भी
कुछ भी नहीं मिल पाया इस
नन्हें पौधे की जड़ों को
जिसकी इन्हें जरुरत थी
मैं नहीं दे पाया और कुछ वह न दे पाई
पता नहीं कौन था जिम्मेदार इसके लिए
मगर तुम तो उस बगिया की मालकिन थी
सब कुछ तुम्हारा ही था तो,
फिर क्यों सब उसने ही उजाड़ कर
उसको सुनसान बना दिया
मैंने सोचा कि एक पुष्प बनकर
महकूंगा उसकी वेणी में
मगर उसके लिए मैं कभी
कांटों से ज्यादा कुछ था ही नहीं
काश एक बार वो कहकर तो
देखती,क्या पता हम खुद ही
उस बगिया से रुखसत हो जाते
पर अफसोस ऐसा नहीं हुआ
मन को कचोटते अकेलेपन
को दूर करने के लिए
फिर से वह चल पड़ी मंजिल पाने
पता नहीं मंजिल मिली या नहीं
पर इतना तो तय है वैसा पौधा
फिर कभी उस बगिया में
नहीं पनप सकेगा स्वेच्छा से
मार्च 20, 2010
क्या यही है तेरा प्यार
भ्रमित व दिशाहीन था मैं
तूने ही तो दिया जीने का मकसद
आई तू हवा के झोंके सी
पर उड़ चली तितली बनकर
क्या यही है तेरा प्यार।।
अकस्मात आया एक बुलबुला
बदल गई जीवन की दिशा
रात हुई तो दिन की आस
भौर में दे दर्शन करती उपकार
क्या यही है तेरा प्यार।।
वो पल अविस्मरणीय मेरे लिए
जो साथ हंस,खेल बिताए हमने
फौलाद सी दृढ़ थी तू हर समय
अंकित है दिल पर एक यादगार
क्या यही है तेरा प्यार।।
हंसाया,रुलाया,अपना बनाया
दी हौसलों की ऊंची उड़ान
पर बीच भंवर में छोड़ चली
जब थी मुझे तेरी दरकार
क्या यही है तेरा प्यार।।
साथ चली थी ना रुकने के लिए
पर क्यों डगमगाए पग बीच राह में
क्या भरोसा न था तुझे मुझ पर
या फिर दूर होना गुजरा दुश्वार
क्या यही है तेरा प्यार।।
चाहत मन में कुछ कर गुजरने की
पर अधूरी चाहत लिए चलते रहे
उस चाहत के लिए चाहत से
हम कुछ कर न सके जीवन भर
क्या यही है तेरा प्यार।।
मुझे खुद नहीं मालुम कि
मैं क्या चाहता था तुझसे
पर भूल यह कि अपना माना तुझे
भूलना चाहू पर भूल पाऊंगा ना भूलकर
क्या यही है तेरा प्यार।।
तूने ही तो दिया जीने का मकसद
आई तू हवा के झोंके सी
पर उड़ चली तितली बनकर
क्या यही है तेरा प्यार।।
अकस्मात आया एक बुलबुला
बदल गई जीवन की दिशा
रात हुई तो दिन की आस
भौर में दे दर्शन करती उपकार
क्या यही है तेरा प्यार।।
वो पल अविस्मरणीय मेरे लिए
जो साथ हंस,खेल बिताए हमने
फौलाद सी दृढ़ थी तू हर समय
अंकित है दिल पर एक यादगार
क्या यही है तेरा प्यार।।
हंसाया,रुलाया,अपना बनाया
दी हौसलों की ऊंची उड़ान
पर बीच भंवर में छोड़ चली
जब थी मुझे तेरी दरकार
क्या यही है तेरा प्यार।।
साथ चली थी ना रुकने के लिए
पर क्यों डगमगाए पग बीच राह में
क्या भरोसा न था तुझे मुझ पर
या फिर दूर होना गुजरा दुश्वार
क्या यही है तेरा प्यार।।
चाहत मन में कुछ कर गुजरने की
पर अधूरी चाहत लिए चलते रहे
उस चाहत के लिए चाहत से
हम कुछ कर न सके जीवन भर
क्या यही है तेरा प्यार।।
मुझे खुद नहीं मालुम कि
मैं क्या चाहता था तुझसे
पर भूल यह कि अपना माना तुझे
भूलना चाहू पर भूल पाऊंगा ना भूलकर
क्या यही है तेरा प्यार।।
दपरे महाप्रबंधक ने थपथपाई हुबली मंडल की पीठ
होटगी-अलमाटी खंड पर यात्री सुविधाओं व रख-रखाव को बताया प्रशंसनीय
हुबली, मार्च। रेलवे यात्रयों की सुरक्षा,संरक्षा व उनको दी जानी वाली सुविधाओं की जांच करने के लिए वर्ष में एक बार किए जाने वाले वार्षिक निरीक्षण में हुबली मंडल के एक विशेष खंड के निरीक्षण के दौरान यात्री सुविधाओं,टे्रक व सुरक्षा-संरक्षा को लेकर दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी ने संतोष व्यक्त करते हुए मंडल की ओर से तत्परता से यात्री हित में किए जा रहे कार्य को प्रशंसनीय बताया है। दपरे महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी व हुबली मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने दपरे के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों,हुबली मंडल की विभिन्न शाखाओं के अधिकारियों के साथ मंडल के होटगी-अलमाटी ख्ड का निरीक्षण किया। कुलदीप चतुर्वेदी, आदेश शर्मा ने प्रधान मुख्य इंजीनियर डी.जी.दिवाटे व दपरे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) विजय कुमारन सहित अन्य अधिकारियों के साथ मंडल के होटगी-अलमाटी खंड के अन्तर्गत पडनूर के पास भीमा नदी पर पुल संख्या ९१ का निरीक्षण किया।
बेहतर यात्री सुविधाओं का भरोसा: इस अवसर पर पडनूर के स्थानीय लोगों ने शॉल व पुष्प गुच्छ भेंट कर चतुर्वेदी का स्वागत करते हुए महाप्रबंधक से स्टेशन पर प्लेटफार्म का स्तर बढ़ाने है और स्टेशन के पास एक लेवल क्रॉसिंग गेट प्रदान करने की मांग की। महाप्रबंधक और अधिकारियों की टीम लाचयान स्टेशन के पास मोड़ ८ व मानव रहित लेवल क्रॉसिंग गेट क्रमांक 110 का निरीक्षण किया। वहां के लोगों ने महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया कि स्टेशन पर सोलापुर-यशवंतपुर गोलगुम्बज एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव सुनिश्चित करने की मांग की। इसके बाद चतुर्वेदी ने इंडी रोड स्टेशन का दौरा किया व ट्रैक और उप स्टेशन मास्टर के कक्ष, पैनल बोर्ड, यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) कार्यालय, बुकिंग कक्ष, जलपान स्टाल आदि का निरीक्षण कर कार्य संतोषजनक बताया। साधारण श्रेणी प्रतीक्षा हॉल व पे एंड यूज शौचालय का उद्घाटन भी किया। आदेश शर्मा की उपस्थिति में इंडी रोड स्टेशन पर पट्टिका का अनावरण किया गया।
रेलवे बोर्ड को भेजेंगे प्रस्ताव: हुबली मंडल के वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) विपिन कुमार, महाप्रबंधक के सचिव एस के गुप्ता,और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। वहां पर जी.बी चौधरी के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने महाप्रबंधक चतुर्वेदी व आदेश शर्मा को शॉल ओढ़ाकर व एक गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने शिरडी के लिए जाने वाले गरीब रथ एक्सप्रेस के ठहराव का अनुरोध किया। साथ ही इंडी रोड स्टेशन पर जोधपुर व अजमेर जाने वाली गाडिय़ों को वाया इंडी चलाने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने वर्तमान में इंटर सिटी एक्सप्रेस के रूप में चल रही बीजापुर-यशवंतपुर का विस्तार हुबली तक करने की मांग की। इस अवसर पर चतुर्वेदी ने कहा कि प्लेटफार्म के स्तर को ऊपर उठाने व एफओबी का निर्माण शुरू किया जाएगा। व इंडी रोड पर विभिन्न गाडिय़ों के ठहराव का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा।
कर्मचारियों को प्रोत्साहन पुरस्कार: टीम ने इंडी रोड व बीजापुर स्टेशन के बीच मानव लेवल क्रॉसिंग गेट क्रमांक 84 का दौरा कर वहां काम कर रहे इंजीनियरिंग अनुभाग के कर्मचारियों को प्रोत्साहित कर नकद पुरस्कार प्रदान किए। चतुर्वेदी ने गैंगमैन,गेटमैन व प्वाइंट मैन सहित अन्य कर्मचारियों को लगभग एक लाख से अधिक की राशि के नकद प्रोत्साहन पुरस्कार दिए। महाप्रबंधक के निरीक्षण दल ने बीजापुर स्टेशन का दौरा किया और स्टेशन के प्लेटफार्म, स्टेशन प्रबंधक कक्ष, लोको रनिंग स्टाफ,विश्रांति गृह, रेलवे चिकित्सा, बुकिंग कार्यालय स्वास्थ्य यूनिट, पेयजल, जलपान की दुकान व पे एंड यूज शौचालय का निरीक्षण किया। उन्होंने कई सिग्नल एवं दूरसंचार प्रणालियोंं,जिनमें गदग-होटगी के बीच डाटा लोगर्स,टोकनलेस ब्लॉक वर्किंग तथा बागलकोट और होटगी खंड के बीच केबल आदि शामिल हैं, के कार्यों के फलक का अनावरण किया।
यात्री सेवाओं को उद्घाटन: चतुर्वेदी ने बीजापुर स्टेशन पर पीएनआर,आगमन-प्रस्थान व अन्य जानकारी के लिए टच स्क्रीन मशीन का भी शुभारंभ किया। निरीक्षण के बाद कुलदीप चतुर्वेदी, श्री आदेश शर्मा, मुख्य कार्मिक अधिकारी ए.के. ब्रह्म,मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण), एस विजयकुमारन, प्रधान मुख्य अभियंता डी.जी.दिवाटे, मुख्य संचालन प्रबंधकरे.डी.गोस्वामी,मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक एस.के. बेहरा, मुख्य यांत्रिक इंजीनियर आलोक जौहरी, मुख्य बिजली इंजीनियर वी के टेम्पे, मुख्य भंडार नियंत्रक डा. एस.के.अहेरवार, मुख्य चिकित्सा निदेशक, डा.सीके मेहरोत्रा,दपरे के चीफ जनरल इंजीनियर एस.के श्रीवास्तव ने बीजापुर स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 1 से सटे स्थान पर पौधे लगाए गए। वहां पर महाप्रबंधक ने बीजापुर स्टेशन के रखरखाव, ट्रेन संचालन में समर्पित भाव से काम के लिए इंजीनियरिंग, सिग्नल एवं दूरसंचार, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, संचालन और वाणिज्यिक शाखाओं के कर्मचारियों को नकद पुरस्कार प्रदान किया।
विकास कार्यों का शुभारंभ: चतुर्वेदी और अधिकारियों की टीम ने बसवनबागेवाड़ी रोड स्टेशन का दौरा किया और उप स्टेशन मास्टर के कक्ष, पैनल बोर्ड, प्लेटफार्मों, उपहार कक्ष और स्टेशन परिसंचारी क्षेत्र, पुराने स्वास्थ्य यूनिट आदि का निरीक्षण किया। अंत में चतुर्वेदी, शर्मा व अधिकारियों ने अलमाटी स्टेशन का दौरा कर स्टेशन का प्रति मिनट का निरीक्षण किया। वहां पर प्लेट फार्म संख्या 1 और 2 तथा शौचालय में सुधार कार्य पट्टिका का अनावरण अधिकारियों की उपस्थिति में किया। वहां भी अलमाती के स्थानीय लोगों ने महाप्रबंधक व आदेश शर्मा का स्वागत करने के बाद उनको ज्ञापन प्रस्तुत कर उनसे पुल के नीचे सड़क व पीओबी निर्माण का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि गदग सोलापुर नई गाड़ी सुबह में उपयुक्त समय में चलाई जाए। साथ ही धारवाड़-गदग गाड़ी का सोलापुर तक विस्तार कर इसका अलमाती में ठहराव तय किया जाए। कुलदीप चतुर्वेदी ने उन्हें सकारात्मक जवाब दिया।
बेहतर रख-रखाव प्रशंसनीय: कुलदीप चतुर्वेदी ने (अधिकारियों की अपनी टीम के साथ) स्टेशन प्रबंधक हुबली रेलवे स्टेशन कक्ष में निरीक्षण में मेहनत करने वाले अन्य कर्मचारियों को समन्वय के लिए नकद पुरस्कार दिया। चतुर्वेदी ने हुबली मंडल के इस पूरे खंड पर यात्री सुविधाओं के साथ, ट्रैक और स्टेशनों के रखरखाव पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने उत्कृष्ट समन्वय सह ट्रेन संचालन, ट्रैक के आवधिक रख-रखाव के रूप में अच्छी तरह के विभिन्न स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की व्यवस्था करने विभाग में समन्वय बनाए रखने के लिए मंडल रेल प्रबंधक आदेश शर्मा और हुबली मंडल के अधिकारियों व उनकी टीम को बधाई दी।
यात्री सुविधाएं बढ़ाने का आग्रह
मंडल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति बैठक संपन्न
हुबली, २० मार्च। हुबली मंडल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति की शुक्रवार को मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा की अध्यक्षता में आहूत बैठक में बागलकोट का प्रतिनधित्व कर रहे सतिति सदस्य दामोदर दास आर राठी ने गाड़ी संख्या १४२३/१४२४ सोलापुर-गदग सोलापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस का हुबली तक विस्तार करने,गाड़ी संख्या ३५३/३५४ धारवाड़-गदग-धारवाड़ सवारी गाड़ी का विस्तार सोलापुर तक करने,हाल ही रेलवे बजट में घोषित गाड़ी संख्या ३४२ बागलकोट-सोलापुर का गदग से समय बदलने,अलमाती,बादामी व होले अलूर स्टशनों पर फुट ऑवर ब्रिज व अलमाती स्टेशन पर अंडर ब्रिज बनाने का अनुरोध किया। बेल्लारी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के एस. ब्रहमैया ने हुबली-गुंतकल के बीच इंटरसिटी हुबली-बेंगलूरु वाया गदग, होसपेट, बेल्लारी के बीच इंटरसिटी चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने चेन्नई-मुम्बई के बीच वाया गुंतकल,बेल्लारी,होसपेट, गदग, बीजापुर व सोलापुर गाड़ी चलाने का सुझाव दिया। हुबली के कांतिलाल बोहरा ने स्टेशन पर कुलियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया। बैठक में समिति सदस्य अर्जुन शिरके,राजेन्द्र कुमार हरकुनी,भरत मुंडोदी, वी.बी. देसाई,डी.एस.गुड्डोदगी,देवानंद एस.एन भंडारी,फिलिप वल्ड्रेस,जी.एस. मोराजकर, श्रीकांत एस.गुरेड्डी,भंवर लाल डी जैन,दामोदर दास राठी,एस. ब्रहमैया,कांतिलाल बोहरा,एस.श्रीनिवास,प्रवीण कमलानी व माधुरी कुलकर्णी आदि के सुझाव सुनने के बाद अपने स्तर पर यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए कार्य करने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके सुझावों को रेलवे बोर्ड में भेजा जाएगा। बैठक में सभी सदस्यों ने समिति सदस्य दामोदर दास राठी को जोनल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति का सदस्य चुना। डीआरयूसीसी सचिव व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विनायक नायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में मंडल के केन्द्रीय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.ए.हरिहरन,अपर मंडल प्रबंधक प्रेमचंद,वरिष्ठ मंंडल अभियंता समन्वय विपिन कुमार,वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक अनिल कुमार पाटके,वरिष्ठ मंडल सिग्रल व टैलिकॉम अभियंता भोलेन्द्र सिंह,वरिष्ठ मंडल इलेक्ट्रिक अभियंता श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव, मंडल मैकेनिकल अभियंता(पावर),एस.के.गिरी, मंडल सहायक वाणिज्य प्रबंधक एच.हनुमंतप्पा व रेलवे सुरक्षा बल हुबली मंडल के इंस्पेक्टर एन.एफ कटाबू आदि भी उपस्थित थे।
हुबली, २० मार्च। हुबली मंडल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति की शुक्रवार को मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा की अध्यक्षता में आहूत बैठक में बागलकोट का प्रतिनधित्व कर रहे सतिति सदस्य दामोदर दास आर राठी ने गाड़ी संख्या १४२३/१४२४ सोलापुर-गदग सोलापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस का हुबली तक विस्तार करने,गाड़ी संख्या ३५३/३५४ धारवाड़-गदग-धारवाड़ सवारी गाड़ी का विस्तार सोलापुर तक करने,हाल ही रेलवे बजट में घोषित गाड़ी संख्या ३४२ बागलकोट-सोलापुर का गदग से समय बदलने,अलमाती,बादामी व होले अलूर स्टशनों पर फुट ऑवर ब्रिज व अलमाती स्टेशन पर अंडर ब्रिज बनाने का अनुरोध किया। बेल्लारी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के एस. ब्रहमैया ने हुबली-गुंतकल के बीच इंटरसिटी हुबली-बेंगलूरु वाया गदग, होसपेट, बेल्लारी के बीच इंटरसिटी चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने चेन्नई-मुम्बई के बीच वाया गुंतकल,बेल्लारी,होसपेट, गदग, बीजापुर व सोलापुर गाड़ी चलाने का सुझाव दिया। हुबली के कांतिलाल बोहरा ने स्टेशन पर कुलियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया। बैठक में समिति सदस्य अर्जुन शिरके,राजेन्द्र कुमार हरकुनी,भरत मुंडोदी, वी.बी. देसाई,डी.एस.गुड्डोदगी,देवानंद एस.एन भंडारी,फिलिप वल्ड्रेस,जी.एस. मोराजकर, श्रीकांत एस.गुरेड्डी,भंवर लाल डी जैन,दामोदर दास राठी,एस. ब्रहमैया,कांतिलाल बोहरा,एस.श्रीनिवास,प्रवीण कमलानी व माधुरी कुलकर्णी आदि के सुझाव सुनने के बाद अपने स्तर पर यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए कार्य करने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके सुझावों को रेलवे बोर्ड में भेजा जाएगा। बैठक में सभी सदस्यों ने समिति सदस्य दामोदर दास राठी को जोनल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति का सदस्य चुना। डीआरयूसीसी सचिव व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विनायक नायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में मंडल के केन्द्रीय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.ए.हरिहरन,अपर मंडल प्रबंधक प्रेमचंद,वरिष्ठ मंंडल अभियंता समन्वय विपिन कुमार,वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक अनिल कुमार पाटके,वरिष्ठ मंडल सिग्रल व टैलिकॉम अभियंता भोलेन्द्र सिंह,वरिष्ठ मंडल इलेक्ट्रिक अभियंता श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव, मंडल मैकेनिकल अभियंता(पावर),एस.के.गिरी, मंडल सहायक वाणिज्य प्रबंधक एच.हनुमंतप्पा व रेलवे सुरक्षा बल हुबली मंडल के इंस्पेक्टर एन.एफ कटाबू आदि भी उपस्थित थे।
हुबली मंडल ने कमाए २६५५ करोड़
चालू वित्त वर्ष में यात्री भार में १९.०६ प्रतिशत वृद्धि
हुबली, २० मार्च। चालू वित्त वर्ष 2009-10 में फरवरी के अंत में हुबली मंडल की कुल आय २६५५.०१ करोड़ रही और इस अवधि में मंडल ने ३.३० करोड़ यात्री ढ़ोए। जो कि गत वर्ष २.७८ था और इस वर्ष इसमें १९.०६ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) के हुबली मंडल के मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने यह बात कही। वे मंडल की ओर से आयोजित16 वीं मंडल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति (डीआरयूसीसी) की बैठक में बोल रहे थे। मंडल रेलवे प्रबंधक कार्यालय के सम्मेलन हॉल में आदेश शर्मा की अध्यक्षता में आहूत बैठक में शर्मा ने नवगठित समिति के सदस्यों को बधाई देते हुए मंडल द्वारा यात्रियों के लिए की गई सुविधाओं की जानकारी दी।
नई गाडिय़ों के साथ बढाई ठहराव अवधि: उन्होंने कहा कि गाड़ी संख्या ६५३५ ए व ६५३६ ए यशवंतपुर बीजापुर एक्सपे्रस सप्ताह में चार दिन और सप्ताह में तीन दिन के लिए गाड़ी संख्या६५३५/६५३६यशवंतपुर बीजापुर एक्सपे्रस शुरू कर इन गाडिय़ों का ठहराव अन्निगेरी,होले आलूर,गुलेदगुड्ड रोड,अलमाती व बसवन बागेवाडी रोड स्टेशनों पर तय किया गया है। इसके अतिरिक्त गाड़ी संख्या २७१/२७२ हुबली-तिरुपति-हुबली सवारी गाड़ी की बेल्लारी केंटोनमेंट पर तीस जून तक ठहराव अवधि बढ़ाई गई है। गाड़ी संख्या१४२३/१४२४ सोलापुर-गदग-सोलापुर इंटरसिटी का तडवाल,गाड़ी संख्या३८५/३८६ बागलकोट-सोलापुर-बागलकोट का सुलेरजवलगी,गाड़ी संख्या ३८६ सोलापुर-बीजापुर का चोरगी स्टेशन पर ठहराव ३० जून तक बढ़ा दिया गया है।
यात्री भार कम करने अतिरिक्त कोच: शर्मा ने कहा कि इसी प्रकार गाड़ी संख्या ७४१५/७४१६कोल्हापुर-तिरुपति-हैदराबाद हरिप्रिया एक्सप्रेस का बसवन बागेवाड़ीरोड, गाड़ी संख्या 7307/7308यशवंतपुर-बागलकोट यशवंतपुर बसवा एक्सप्रेस का अलमाती,गाड़ी संख्या 8047/8048 हावड़ा-वास्को हावड़ा अमरावती एक्सप्रेस का धारवाड़ व तोरंगल्लु,गाड़ी संख्या 2629/2630 यशवंतपुर -निजामुद्दीन-यशवंतपुर कर्नाटक संपर्क क्रांति एक्सप्रेस का धारवाड़,गाड़ी संख्या 6531/6532 अजमेर-यशवंतपुर -अजमेर गरीब नवाब एक्सप्रेस का कोप्पल स्टेशन पर 31 मार्च 2010 तक ठहराव बढ़ा दिया गया है।
स्थाई ठहराव अवधि का विस्तार: शर्मा ने बताया कि इसी प्रकार गाड़ी संख्या ०६८५/०६८६यशवंतपुर-शिरडी-यशवंतपुर एक्सप्रेस का कोप्पल स्टेशन पर स्थाई ठहराव कर दिया है। इसके अलावा गाड़ी संख्या ०६९०/०६८९ हुबली-यशवंतपुर-हुबली व गाड़ी संख्या ०७९१/०७९२ हुबली-कोचुवेली एक्सप्रेस की अवधि ३१ मार्च २०१० तक बढा दी गई है। शर्मा ने बताया कि अप्रेल २००९ से फरवरी २०१० तक अलग-अलग गाडिय़ों में यात्री भार को कम करने के लिए ४३९ अतिरिक्त कोच लगाए गए हैं। डीआरयूसीसी सचिव व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विनायक नायक ने मंडल की शाखा के अधिकारियों व समिति सदस्यों का स्वागत किया। बैठक में विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले १८ सदस्य उपस्थित थे।
मंडल के स्टशनों का हुआ विकास: शर्मा ने बैठक में कहा कि हुबली मंडल में यात्री सुविधाओं का विस्तार कर स्टेशनों पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। हुबली स्टेशन पर नए प्लेटफार्म पर कंक्रीट तल,टच स्क्रीन मशीन व पीआरएस सुविधा मुहैया कराई गई है। धारवाड़ स्टेशन पर भी टच स्क्रीन मशीन व पीआरएस के अलावा मैसूर धारवाड़ व बेंगलूरु इंटरसिटी एक्सप्रेस के लिए नए प्लेटफार्म बनाए गए हैं। साथ ही विविध स्टाल भी आवंटित किए गए हैं। शर्मा ने बताया कि इनके अलावा लोंडा, बेलगाम,वास्को,होसपेट,बेल्लारी,गदग व बीजापुर स्टेशनों पर अनेक सुविधाएं दी गई है। शर्मा ने बताया कि हुबली,बेलगाम,वास्को,होसपेट,बेल्लारी व बीजापुर स्टेशनों पर विशेष सफाई कार्य के अलावा हुबली मंडल की कुछ चलती गाडिय़ों में सफाई व आठ गाडिय़ों में साफ-सुथरे कालीन व बेड रोल दिए जा रहे हैं।
हुबली, २० मार्च। चालू वित्त वर्ष 2009-10 में फरवरी के अंत में हुबली मंडल की कुल आय २६५५.०१ करोड़ रही और इस अवधि में मंडल ने ३.३० करोड़ यात्री ढ़ोए। जो कि गत वर्ष २.७८ था और इस वर्ष इसमें १९.०६ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) के हुबली मंडल के मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने यह बात कही। वे मंडल की ओर से आयोजित16 वीं मंडल रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति (डीआरयूसीसी) की बैठक में बोल रहे थे। मंडल रेलवे प्रबंधक कार्यालय के सम्मेलन हॉल में आदेश शर्मा की अध्यक्षता में आहूत बैठक में शर्मा ने नवगठित समिति के सदस्यों को बधाई देते हुए मंडल द्वारा यात्रियों के लिए की गई सुविधाओं की जानकारी दी।
नई गाडिय़ों के साथ बढाई ठहराव अवधि: उन्होंने कहा कि गाड़ी संख्या ६५३५ ए व ६५३६ ए यशवंतपुर बीजापुर एक्सपे्रस सप्ताह में चार दिन और सप्ताह में तीन दिन के लिए गाड़ी संख्या६५३५/६५३६यशवंतपुर बीजापुर एक्सपे्रस शुरू कर इन गाडिय़ों का ठहराव अन्निगेरी,होले आलूर,गुलेदगुड्ड रोड,अलमाती व बसवन बागेवाडी रोड स्टेशनों पर तय किया गया है। इसके अतिरिक्त गाड़ी संख्या २७१/२७२ हुबली-तिरुपति-हुबली सवारी गाड़ी की बेल्लारी केंटोनमेंट पर तीस जून तक ठहराव अवधि बढ़ाई गई है। गाड़ी संख्या१४२३/१४२४ सोलापुर-गदग-सोलापुर इंटरसिटी का तडवाल,गाड़ी संख्या३८५/३८६ बागलकोट-सोलापुर-बागलकोट का सुलेरजवलगी,गाड़ी संख्या ३८६ सोलापुर-बीजापुर का चोरगी स्टेशन पर ठहराव ३० जून तक बढ़ा दिया गया है।
यात्री भार कम करने अतिरिक्त कोच: शर्मा ने कहा कि इसी प्रकार गाड़ी संख्या ७४१५/७४१६कोल्हापुर-तिरुपति-हैदराबाद हरिप्रिया एक्सप्रेस का बसवन बागेवाड़ीरोड, गाड़ी संख्या 7307/7308यशवंतपुर-बागलकोट यशवंतपुर बसवा एक्सप्रेस का अलमाती,गाड़ी संख्या 8047/8048 हावड़ा-वास्को हावड़ा अमरावती एक्सप्रेस का धारवाड़ व तोरंगल्लु,गाड़ी संख्या 2629/2630 यशवंतपुर -निजामुद्दीन-यशवंतपुर कर्नाटक संपर्क क्रांति एक्सप्रेस का धारवाड़,गाड़ी संख्या 6531/6532 अजमेर-यशवंतपुर -अजमेर गरीब नवाब एक्सप्रेस का कोप्पल स्टेशन पर 31 मार्च 2010 तक ठहराव बढ़ा दिया गया है।
स्थाई ठहराव अवधि का विस्तार: शर्मा ने बताया कि इसी प्रकार गाड़ी संख्या ०६८५/०६८६यशवंतपुर-शिरडी-यशवंतपुर एक्सप्रेस का कोप्पल स्टेशन पर स्थाई ठहराव कर दिया है। इसके अलावा गाड़ी संख्या ०६९०/०६८९ हुबली-यशवंतपुर-हुबली व गाड़ी संख्या ०७९१/०७९२ हुबली-कोचुवेली एक्सप्रेस की अवधि ३१ मार्च २०१० तक बढा दी गई है। शर्मा ने बताया कि अप्रेल २००९ से फरवरी २०१० तक अलग-अलग गाडिय़ों में यात्री भार को कम करने के लिए ४३९ अतिरिक्त कोच लगाए गए हैं। डीआरयूसीसी सचिव व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विनायक नायक ने मंडल की शाखा के अधिकारियों व समिति सदस्यों का स्वागत किया। बैठक में विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले १८ सदस्य उपस्थित थे।
मंडल के स्टशनों का हुआ विकास: शर्मा ने बैठक में कहा कि हुबली मंडल में यात्री सुविधाओं का विस्तार कर स्टेशनों पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। हुबली स्टेशन पर नए प्लेटफार्म पर कंक्रीट तल,टच स्क्रीन मशीन व पीआरएस सुविधा मुहैया कराई गई है। धारवाड़ स्टेशन पर भी टच स्क्रीन मशीन व पीआरएस के अलावा मैसूर धारवाड़ व बेंगलूरु इंटरसिटी एक्सप्रेस के लिए नए प्लेटफार्म बनाए गए हैं। साथ ही विविध स्टाल भी आवंटित किए गए हैं। शर्मा ने बताया कि इनके अलावा लोंडा, बेलगाम,वास्को,होसपेट,बेल्लारी,गदग व बीजापुर स्टेशनों पर अनेक सुविधाएं दी गई है। शर्मा ने बताया कि हुबली,बेलगाम,वास्को,होसपेट,बेल्लारी व बीजापुर स्टेशनों पर विशेष सफाई कार्य के अलावा हुबली मंडल की कुछ चलती गाडिय़ों में सफाई व आठ गाडिय़ों में साफ-सुथरे कालीन व बेड रोल दिए जा रहे हैं।
मार्च 13, 2010
अपनों के बीच बेगाने हुए बाबूलाल
पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कामकाज से दूर
बेलगाम, 12 मार्च। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते प्रदेश भाजपा आलाकमान ने बेलगाम जिला महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बाबूलाल राजपुरोहित को पार्टी के सक्रिय कामकाज से दूर कर दिया है। एक दशक पूर्व पार्टी के महत्वपूर्ण नेता के तौर पर उन्होंने अपनी छवि बनाई थी। वर्ष 1994 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी से टिकट पाकर सफलतापूर्वक दूसरा नम्बर हासिल करने वाले राजपुरोहित को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार शंकरगौड़ा पाटिल के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी आलाकमान द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। सूत्रों का कहना है कि नोटिस को एक साल बीत जाने पर जवाब नहीं देने पर आलाकमान ने यह कदम उठाया है। अब स्थानीय पार्टी नेताओं ने विभिन्न समारोहों के आयोजनों में बनाई जानी वाली कार्यक्रम पत्रिका में उनका नाम शामिल करना बंद कर दिया है।
सीएम के दौरों के दौरान गायब रहे
स्थानीय भाजपा नेताओं के मुताबिक बाबूलाल राजपुरोहित की गणना उन नेताओं में की जाती है जो सिर्फ किसी बड़े नेता के दौरे के दौरान उनके आसपास मंडराते हैं। भाजपा की सत्ता आए राज्य में दो साल का समय लगभग पूरा हो रहा है और इस दौरान मुख्यमंत्री बी.एस.येडिड्यूरप्पा ने कई बार जिले का दौरा किया है। इस दौरान वे गायब ही रहे। अलबत्ता राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के दौरे के दौरान वे बिना बुलाए चले आते थे। वे रेलवे मंत्रालय द्वारा शुरू की गाडिय़ों व बेलगाम में उनका ठहराव करवाने में अपनी भूमिका के लिए भी खुद की पीठ थपथपाते रहे हैं।
पार्टी कार्यकारिणी में कोई जगह नहीं
सूत्रों का कहना है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते ही उन्हें नई कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया गया है। पार्टी की शहर इकाई के अध्यक्ष राघवेन्द्र पुजार ने बताया कि बाबूलाल राजपुरोहित को पार्टी से नहीं निकाला गया है। चंूकि वे जिला महानगर भाजपा अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं, ऐसे में अब कार्यकारिणी में दूसरा कोई पद उन्हें नहीं दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद बाबूलाल का पार्टी सांसद सुरेश अंगड़ी तथा विधायक अभय पाटिल, संजय पाटिल और कर्नाटक वन औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष शंकरगौड़ा पाटिल के साथ भी कोई संपर्क नहीं है। सूत्रों ने यह भी बताया कि हाल ही पार्टी के नए अध्यक्ष बने के.एस.ईश्वरप्पा के साथ बाबूलाल अच्छे रिश्ते रखने के प्रयासों में जुटे हुए हैं लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं ने नई गठित होने वाली कार्यकारिणी में उन्हें स्थान नहीं देने की गुहार लगाई थी। इस संबंध में बाबूलाल राजपुरोहित से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन सम्पर्क क्षेत्र से बाहर था।
BELGAUM se prakash bilgoji
बेलगाम, 12 मार्च। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते प्रदेश भाजपा आलाकमान ने बेलगाम जिला महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बाबूलाल राजपुरोहित को पार्टी के सक्रिय कामकाज से दूर कर दिया है। एक दशक पूर्व पार्टी के महत्वपूर्ण नेता के तौर पर उन्होंने अपनी छवि बनाई थी। वर्ष 1994 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी से टिकट पाकर सफलतापूर्वक दूसरा नम्बर हासिल करने वाले राजपुरोहित को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार शंकरगौड़ा पाटिल के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी आलाकमान द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। सूत्रों का कहना है कि नोटिस को एक साल बीत जाने पर जवाब नहीं देने पर आलाकमान ने यह कदम उठाया है। अब स्थानीय पार्टी नेताओं ने विभिन्न समारोहों के आयोजनों में बनाई जानी वाली कार्यक्रम पत्रिका में उनका नाम शामिल करना बंद कर दिया है।
सीएम के दौरों के दौरान गायब रहे
स्थानीय भाजपा नेताओं के मुताबिक बाबूलाल राजपुरोहित की गणना उन नेताओं में की जाती है जो सिर्फ किसी बड़े नेता के दौरे के दौरान उनके आसपास मंडराते हैं। भाजपा की सत्ता आए राज्य में दो साल का समय लगभग पूरा हो रहा है और इस दौरान मुख्यमंत्री बी.एस.येडिड्यूरप्पा ने कई बार जिले का दौरा किया है। इस दौरान वे गायब ही रहे। अलबत्ता राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के दौरे के दौरान वे बिना बुलाए चले आते थे। वे रेलवे मंत्रालय द्वारा शुरू की गाडिय़ों व बेलगाम में उनका ठहराव करवाने में अपनी भूमिका के लिए भी खुद की पीठ थपथपाते रहे हैं।
पार्टी कार्यकारिणी में कोई जगह नहीं
सूत्रों का कहना है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते ही उन्हें नई कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया गया है। पार्टी की शहर इकाई के अध्यक्ष राघवेन्द्र पुजार ने बताया कि बाबूलाल राजपुरोहित को पार्टी से नहीं निकाला गया है। चंूकि वे जिला महानगर भाजपा अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं, ऐसे में अब कार्यकारिणी में दूसरा कोई पद उन्हें नहीं दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद बाबूलाल का पार्टी सांसद सुरेश अंगड़ी तथा विधायक अभय पाटिल, संजय पाटिल और कर्नाटक वन औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष शंकरगौड़ा पाटिल के साथ भी कोई संपर्क नहीं है। सूत्रों ने यह भी बताया कि हाल ही पार्टी के नए अध्यक्ष बने के.एस.ईश्वरप्पा के साथ बाबूलाल अच्छे रिश्ते रखने के प्रयासों में जुटे हुए हैं लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं ने नई गठित होने वाली कार्यकारिणी में उन्हें स्थान नहीं देने की गुहार लगाई थी। इस संबंध में बाबूलाल राजपुरोहित से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन सम्पर्क क्षेत्र से बाहर था।
BELGAUM se prakash bilgoji
मार्च 08, 2010
प्रवासियों ने मनाई शीतलाष्टमी
शीतला मां को ठंडे पकवान का भोग
हुबली,८ मार्च। शीतला सप्तमी पर शहर और उप नगरीय क्षेत्रों में महिलाओंं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। सोमवार तड़के से मंदिरों में चहल पहल देखी गई। इस दिन घर-घर पूजन के बाद रात में बनाया गया भोजन ग्रहण किया गया। एक दिन पूर्व में पकवान बनाए गए। शहर के मंदिरों में माता के मंदिरों में पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ रही। बुधवार को दशा माता का पूजन किया जाएगा। महिलाओं ने सुबह सुविधानुसार घर पर या पीपल के पेड़ के पास जा पूजन कर कथा सुनी व घर जाकर हल्दी कुमकुम के हाथों से छापे लगाए। शनिवार को बिछूड़ा का योग होने के चलते दोपहर डेढ बजे बाद शीतला माता पूजन के लिए खाना बनाकर रविवार को अधिकांश घरों में पूजन किया गया। रविवार को पूजा नहीं किए जाने की भं्राति के चलते कई घरों में रविवार के बजाए सोमवार को पूजन अर्चन किया गया। रविवार को अन्य उत्तर कर्नाटक में धारवाड़,बेलगाम,सिरसी,रायचूर,गदग,हावेरी सहित अन्य शहरों में महिलाओं ने शीतला सप्तमी पर मां शीतला माता की पूजा-अर्चना की। गौरतलब है कि इस दिन महिलाओं ने ताजा खाना नहीं बनाती। सभी महिलाएं एक दिन पूर्व ही खाना बनाकर रख लेती हैं और शीतला सप्तमी के दिन ठंडा खाना खाती हैं। होलिका दहन के बाद महिलाओं द्वारा शीतला माता को छह दिनों तक जल चढ़ाया जाता है। सातवें दिन सप्तमी पर शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता की पूजा में रोली, चावल, हल्दी, मेहंदी, मीठी पूड़ी, मीठे चावल सहित अन्य कई पूजन सामग्री चढ़ाई गई।
इलकल में मनाई शीतलाष्टमी: इलकल से मिली जानकारी के अनुसार वहां पर भी स्थानीय राजस्थानी समाज की महिलाओं ने सोमवार को शीतलामाता की पूजा-अर्चना कर खुद व परिवार के लिए मंगलकामना की। शीतलामाता के व्रत के चलते रविवार को राजस्थानियों के घरों में कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए थे। मारवाडीवास स्थित बनशंकरी देवस्थान के प्रांगण में शीतला माता की प्रतिमा की पूजा कर देवी को भोग चढ़ाया। मंदिर में महिलाएं काफी संख्या में उपस्थित थी। पूजा-अर्चना के बाद परिक्रमा कर महिलाओं ने अपने सुहाग की लम्बी उम्र व बच्चों के स्वास्थ्य की कामना की। मारवाडीवास में सोमवार सुबह चार बजे से ही चहल-पहल शुरू हो गई थी।
हुबली,८ मार्च। शीतला सप्तमी पर शहर और उप नगरीय क्षेत्रों में महिलाओंं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। सोमवार तड़के से मंदिरों में चहल पहल देखी गई। इस दिन घर-घर पूजन के बाद रात में बनाया गया भोजन ग्रहण किया गया। एक दिन पूर्व में पकवान बनाए गए। शहर के मंदिरों में माता के मंदिरों में पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ रही। बुधवार को दशा माता का पूजन किया जाएगा। महिलाओं ने सुबह सुविधानुसार घर पर या पीपल के पेड़ के पास जा पूजन कर कथा सुनी व घर जाकर हल्दी कुमकुम के हाथों से छापे लगाए। शनिवार को बिछूड़ा का योग होने के चलते दोपहर डेढ बजे बाद शीतला माता पूजन के लिए खाना बनाकर रविवार को अधिकांश घरों में पूजन किया गया। रविवार को पूजा नहीं किए जाने की भं्राति के चलते कई घरों में रविवार के बजाए सोमवार को पूजन अर्चन किया गया। रविवार को अन्य उत्तर कर्नाटक में धारवाड़,बेलगाम,सिरसी,रायचूर,गदग,हावेरी सहित अन्य शहरों में महिलाओं ने शीतला सप्तमी पर मां शीतला माता की पूजा-अर्चना की। गौरतलब है कि इस दिन महिलाओं ने ताजा खाना नहीं बनाती। सभी महिलाएं एक दिन पूर्व ही खाना बनाकर रख लेती हैं और शीतला सप्तमी के दिन ठंडा खाना खाती हैं। होलिका दहन के बाद महिलाओं द्वारा शीतला माता को छह दिनों तक जल चढ़ाया जाता है। सातवें दिन सप्तमी पर शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता की पूजा में रोली, चावल, हल्दी, मेहंदी, मीठी पूड़ी, मीठे चावल सहित अन्य कई पूजन सामग्री चढ़ाई गई।
इलकल में मनाई शीतलाष्टमी: इलकल से मिली जानकारी के अनुसार वहां पर भी स्थानीय राजस्थानी समाज की महिलाओं ने सोमवार को शीतलामाता की पूजा-अर्चना कर खुद व परिवार के लिए मंगलकामना की। शीतलामाता के व्रत के चलते रविवार को राजस्थानियों के घरों में कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए थे। मारवाडीवास स्थित बनशंकरी देवस्थान के प्रांगण में शीतला माता की प्रतिमा की पूजा कर देवी को भोग चढ़ाया। मंदिर में महिलाएं काफी संख्या में उपस्थित थी। पूजा-अर्चना के बाद परिक्रमा कर महिलाओं ने अपने सुहाग की लम्बी उम्र व बच्चों के स्वास्थ्य की कामना की। मारवाडीवास में सोमवार सुबह चार बजे से ही चहल-पहल शुरू हो गई थी।
ग्रीष्मकालीन अवकाश में सफर नहीं आसां
जोधपुर,अजमेर की सभी गाडिय़ां फुल
जून के प्रथम सप्ताह तक नहीं आरक्षण
हुबली,८ मार्च। कभी सावों की सीजन के चलते तो कभी पर्व-त्योहार के चलते सदा हाउस फुल रहने वाली राजस्थान की ओर जाने वाली गाडिय़ों में अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते आरक्षित टिकट पर यात्रा करना काफी मुश्किल हो गया है। राज्य से हुबली के रास्ते राजस्थान,गुजरात जाने वाले यात्रियों के लिए दो-दो द्वि साप्ताहिक (६२१० व ६५०८) व एक-एक साप्ताहिक (६५३२ व ६५३४) गाड़ी है यानी हफ्ते में छह दिन इस मार्ग पर गाडिय़ां चलती है। लेकिन इसके बावजूद इन गाडिय़ों में तीन महीने अग्रिम बुक कराने पर भी आरक्षण उपलब्ध नहीं है।
तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में भी प्रतीक्षा सूची: रेलवे की अधिकृत साईट पर यशवंतपुर-अजमेर गरीब नवाज एक्सप्रेस वाया गुंतकल होकर चलने वाली गाड़ी संख्या ६५३२ में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। शुक्रवार को बेंगलूरु से चलकर शनिवार को सुबह ०६.२५ बजे हुबली पहुंचने वाली इस गाड़ी में १३ मार्च से २९ मई तक द्वितीय श्रेणी शयन यान व तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। इस गाड़ी में ५ जून को ४७ सीटें द्वितीय श्रेणी शयन यान में और तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में आरएसी उपलब्ध है। मैसूर-अजमेर एक्सप्रेस गाड़ी संख्या ६२१० में भी लम्बी प्रतीक्षा सूची के चलते प्रवासी परेशान है। मैसूर से प्रति मंगलवार व गुरुवार को चलकर बुधवार व शुक्रवार को हुबली पहुंचने वाली इस गाड़ी में १० मार्च से ४ जून तक द्वितीय श्रेणी शयन यान में और तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में प्रतीक्षा सूची है।
अप्रेल में नहीं मिल रहा आरक्षित टिकट: इस गाड़ी में ७,१४,१६,२१,२८,३० अप्रेल व ५,१२,१४,१९ मई को द्वितीय श्रेणी शयन यान व १९ मई को तृतीय श्रेणी वातानुकूलित यान में रिगे्रट है। यशवंतपुर-जोधपुर एक्सप्रेस गाड़ी संख्या ६५३४ में भी आगामी मीन महीनों तक आरक्षण उपलब्ध नहीं है। रविवार को यशवंतपुर से चलकर सोमवार को हुबली पहुंचने वाली इस एक्सप्रेस में १५ मार्च से २४ मई तक प्रतीक्षा सूची के बीच १० मई को रिग्रेट है। हालांकि इस गाड़ी में ३१ मई व ७ जून को द्वितीय श्रेणी शयन यान व तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में आरक्षण उपलब्ध है। इसी प्रकार बेंगलूरु से प्रति सोमवार व बुधवार को चलकर मंगल व गुरुवार को हुबली पहुंचने वाली गाड़ी संख्या ६५०८ में द्वितीय श्रेणी शयन यान में ९ मार्च से ३ जून तक द्वितीय श्रेणी शयन यान में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। इतना ही नहीं ११ व १३ मई को तो टिकट उपलब्ध ही नहीं है यानी रिग्रेट है। इसके अलावा इसी समान अवधि में तृतीय श्रेणी वातानुकूलित यान में भी प्रतीक्षा सूची बनी हुई है।
जून के प्रथम सप्ताह तक नहीं आरक्षण
हुबली,८ मार्च। कभी सावों की सीजन के चलते तो कभी पर्व-त्योहार के चलते सदा हाउस फुल रहने वाली राजस्थान की ओर जाने वाली गाडिय़ों में अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते आरक्षित टिकट पर यात्रा करना काफी मुश्किल हो गया है। राज्य से हुबली के रास्ते राजस्थान,गुजरात जाने वाले यात्रियों के लिए दो-दो द्वि साप्ताहिक (६२१० व ६५०८) व एक-एक साप्ताहिक (६५३२ व ६५३४) गाड़ी है यानी हफ्ते में छह दिन इस मार्ग पर गाडिय़ां चलती है। लेकिन इसके बावजूद इन गाडिय़ों में तीन महीने अग्रिम बुक कराने पर भी आरक्षण उपलब्ध नहीं है।
तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में भी प्रतीक्षा सूची: रेलवे की अधिकृत साईट पर यशवंतपुर-अजमेर गरीब नवाज एक्सप्रेस वाया गुंतकल होकर चलने वाली गाड़ी संख्या ६५३२ में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। शुक्रवार को बेंगलूरु से चलकर शनिवार को सुबह ०६.२५ बजे हुबली पहुंचने वाली इस गाड़ी में १३ मार्च से २९ मई तक द्वितीय श्रेणी शयन यान व तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। इस गाड़ी में ५ जून को ४७ सीटें द्वितीय श्रेणी शयन यान में और तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में आरएसी उपलब्ध है। मैसूर-अजमेर एक्सप्रेस गाड़ी संख्या ६२१० में भी लम्बी प्रतीक्षा सूची के चलते प्रवासी परेशान है। मैसूर से प्रति मंगलवार व गुरुवार को चलकर बुधवार व शुक्रवार को हुबली पहुंचने वाली इस गाड़ी में १० मार्च से ४ जून तक द्वितीय श्रेणी शयन यान में और तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में प्रतीक्षा सूची है।
अप्रेल में नहीं मिल रहा आरक्षित टिकट: इस गाड़ी में ७,१४,१६,२१,२८,३० अप्रेल व ५,१२,१४,१९ मई को द्वितीय श्रेणी शयन यान व १९ मई को तृतीय श्रेणी वातानुकूलित यान में रिगे्रट है। यशवंतपुर-जोधपुर एक्सप्रेस गाड़ी संख्या ६५३४ में भी आगामी मीन महीनों तक आरक्षण उपलब्ध नहीं है। रविवार को यशवंतपुर से चलकर सोमवार को हुबली पहुंचने वाली इस एक्सप्रेस में १५ मार्च से २४ मई तक प्रतीक्षा सूची के बीच १० मई को रिग्रेट है। हालांकि इस गाड़ी में ३१ मई व ७ जून को द्वितीय श्रेणी शयन यान व तृतीय श्रेणी वातानुकूलित में आरक्षण उपलब्ध है। इसी प्रकार बेंगलूरु से प्रति सोमवार व बुधवार को चलकर मंगल व गुरुवार को हुबली पहुंचने वाली गाड़ी संख्या ६५०८ में द्वितीय श्रेणी शयन यान में ९ मार्च से ३ जून तक द्वितीय श्रेणी शयन यान में लम्बी प्रतीक्षा सूची है। इतना ही नहीं ११ व १३ मई को तो टिकट उपलब्ध ही नहीं है यानी रिग्रेट है। इसके अलावा इसी समान अवधि में तृतीय श्रेणी वातानुकूलित यान में भी प्रतीक्षा सूची बनी हुई है।
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