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माँ प्यार तुम्हारा ..........
सुन्दर फूलों के उपवन सा
जीवन बना हमारा
मन के आँगन जब से बरसा
माँ प्यार तुम्हारा।।
जीना क्या होता है इसका
अर्थ समझ में आया
दु:ख की बंजर सी धरती पर
सुख ने आधार बनाया।।
आप की ममता से मुस्कुराया
यह घर द्वार हमारा
मन के आँगन जब से बरसा
माँ प्यार तुम्हारा।।
आप के मीठे बोलों से
मन हुआ सार्थक ऐसे
प्यासे को मिले
अमृत की धारा जैसे ।।
माँ को मान सम्मान देना
अब आधार हमारा
मन के आँगन जब से बरसा
माँ प्यार तुम्हारा ।।
नीतू कुंवर पी.राजपुरोहित,बेलगाम
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