ढ़ूढंते रह जाओगे दुल्हनियां भाग-1 में देश भर में कन्याओं को कोख में ही खत्म कर दिए जाने संबंधी सामान्य जानकारी देने का प्रयास किया था। इसमें देश भर में राज्यों में लिंगानुपात की स्थिति का जिक्र कर रहा हूं जिससे यह पता चल सके कि कहां स्थिति कितनी खराब या ठीक ठाक है। राज्यों में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या(०-६ आयु वर्ष-जनगणना वर्ष २००१ )लिंगानुपात एक नजर में:
केरल-१०५८ शिक्षा,स्वास्थ्य व साक्षरता में देश में अव्वल
आन्ध्र प्रदेश-९७८, अरुणाचल प्रदेश-८९३, असम-९३५
बिहार-९८९, छत्तीसगढ़-९८९, गोवा- ९६१
गुजरात-९२०, हरियाणा- ८६१, हिमाचल-९६८
जम्मू कश्मीर-८९२,झारखंड-९४१, कर्नाटक-९६५
मध्यप्रदेश-९२०, महाराष्ट्र-९२२, मणिपुर-९७८
मेघालय-९७२, मिजोरम-९३५, नागालैण्ड-९००
उड़ीसा-९७२, पंजाब-८७६, राजस्थान-९२१
सिक्किम-८७५, तमिलनाडु-९८७, त्रिपुरा-९४८
उत्तराखंड-९६२, उत्तरप्रदेश-८९८, पं.बंगाल-९३४
केन्द्र शासित प्रदेश-अंडमान निकोबार द्वीप समूह-८४६
दादरा एवं नागर हवेली -८१२, चंडीगढ़-७७७
दिल्ली-८२१,दमन दीव-७१०,पुद्दुचेरी-१००१
सूची के अनुसार राज्यों में जहां केरल १०५८ लिंगानुपात के साथ श्रेष्ठ हैं वहीं पंजाब व हरियाणा क्रमश: ८७६,८६१ की स्थिति खराब है। इसी प्रकार केन्द्र शासित प्रदेशों में पुद्दुचेरी १००१ लिंगानुपात के साथ ठीक स्थिति में हैं वहीं चंडीगढ़ का लिंगानुपात सबसे कम ७७७ है।
मेरे बारे में
- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
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