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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

जनवरी 10, 2011

*आंखों से बरसा अपनापन*

कलेक्टर के तबादले से दुखी जनता जनार्दन
नागौर। "आम जनता के अधिकारी" की छवि बना चुके डॉ. समित शर्मा को विदाई के लिए शनिवार को आयोजित समारोह में जहां लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके वहीं लोगों का स्नेह देख डॉ. शर्मा की आंखों से भी आंसू छलक पड़े।
विदाई देने शनिवार को नागौर शहर के अलावा विभिन्न गांवों से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो का सैलाब उमड़ पड़ा। इस मौके पर कई लोग शर्मा से लिपट कर बिलखने लगे तो भावुक माहौल में "जनता का कलक्टर" भी फूट-फूट कर रो पड़ा।
डॉ. शर्मा शनिवार दोपहर अभिनंदन समारोह में व्यस्त थे, दूसरी तरफ उनके निवास के समक्ष लोग उमड़ना शुरू हो गए। दोपहर बाद तीन बजे तक वहां हजारों लोग इकटा हो गए। समारोह के बाद जैसे ही डॉ. शर्मा निवास पर पहंुचे, लोगों ने "समित शर्मा जिंदाबाद", "जनता का कलक्टर जिंदाबाद" नारे लगाए। इसी के साथ लोग पुलिसकर्मियों को धकेलते हुए उनके निवास में घुस गए। वहां उन्होंने शर्मा को फूल मालाओं से लाद दिया। डॉ. शर्मा ने सैकड़ों लोगों को पौधे भेट किए।
पुष्प वर्षा
निवास के बाहर महिलाओं ने जिंदाबाद के नारे लगाते हुए शर्मा पर फूल बरसाए। जैसे ही शर्मा अपनी पत्नी सोनिका शर्मा के साथ जयपुर प्रस्थान करने के लिए निकले, लोगों ने जिंदाबाद के नारों से वातावरण गुंजा दिया। भीड़ के चलते कलक्ट्रेट
चौराहे पर यातायात ठप हो गया। कई लोगों से गले मिलते शर्मा की आंखों से आंसू छलक आए।
पांच किमी तक स्वागत
शर्मा लोगों के बीच बैंड-बाजों के साथ सर्किट हाउस तक पैदल चल कर गए। इसके बाद वे गाड़ी में सवार हुए। रास्ते में मानासर चौराहे, मिर्घा कॉलेज के आगे, मूंडवा चौराहे तक करीब पांच किमी लंबे रास्ते पर जगह-जगह लोगों ने उन्हें रोक कर
मालाएं पहनाई। स्कूली बच्चे कतारबद्ध हो कर उनका इंतजार रहे थे। मिर्घा कॉलेज के आगे बुजुर्गो के गले लग कर शर्मा फूट-फूट कर रो पड़े।

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