शीतला मां को ठंडे पकवान का भोग
हुबली,८ मार्च। शीतला सप्तमी पर शहर और उप नगरीय क्षेत्रों में महिलाओंं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। सोमवार तड़के से मंदिरों में चहल पहल देखी गई। इस दिन घर-घर पूजन के बाद रात में बनाया गया भोजन ग्रहण किया गया। एक दिन पूर्व में पकवान बनाए गए। शहर के मंदिरों में माता के मंदिरों में पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ रही। बुधवार को दशा माता का पूजन किया जाएगा। महिलाओं ने सुबह सुविधानुसार घर पर या पीपल के पेड़ के पास जा पूजन कर कथा सुनी व घर जाकर हल्दी कुमकुम के हाथों से छापे लगाए। शनिवार को बिछूड़ा का योग होने के चलते दोपहर डेढ बजे बाद शीतला माता पूजन के लिए खाना बनाकर रविवार को अधिकांश घरों में पूजन किया गया। रविवार को पूजा नहीं किए जाने की भं्राति के चलते कई घरों में रविवार के बजाए सोमवार को पूजन अर्चन किया गया। रविवार को अन्य उत्तर कर्नाटक में धारवाड़,बेलगाम,सिरसी,रायचूर,गदग,हावेरी सहित अन्य शहरों में महिलाओं ने शीतला सप्तमी पर मां शीतला माता की पूजा-अर्चना की। गौरतलब है कि इस दिन महिलाओं ने ताजा खाना नहीं बनाती। सभी महिलाएं एक दिन पूर्व ही खाना बनाकर रख लेती हैं और शीतला सप्तमी के दिन ठंडा खाना खाती हैं। होलिका दहन के बाद महिलाओं द्वारा शीतला माता को छह दिनों तक जल चढ़ाया जाता है। सातवें दिन सप्तमी पर शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता की पूजा में रोली, चावल, हल्दी, मेहंदी, मीठी पूड़ी, मीठे चावल सहित अन्य कई पूजन सामग्री चढ़ाई गई।
इलकल में मनाई शीतलाष्टमी: इलकल से मिली जानकारी के अनुसार वहां पर भी स्थानीय राजस्थानी समाज की महिलाओं ने सोमवार को शीतलामाता की पूजा-अर्चना कर खुद व परिवार के लिए मंगलकामना की। शीतलामाता के व्रत के चलते रविवार को राजस्थानियों के घरों में कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए थे। मारवाडीवास स्थित बनशंकरी देवस्थान के प्रांगण में शीतला माता की प्रतिमा की पूजा कर देवी को भोग चढ़ाया। मंदिर में महिलाएं काफी संख्या में उपस्थित थी। पूजा-अर्चना के बाद परिक्रमा कर महिलाओं ने अपने सुहाग की लम्बी उम्र व बच्चों के स्वास्थ्य की कामना की। मारवाडीवास में सोमवार सुबह चार बजे से ही चहल-पहल शुरू हो गई थी।
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- Dharmendra Gaur
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- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
1 टिप्पणी:
Kuch achha banya to kahna hi padta hai ki bahut khub.
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