देश विकास के लिए युवाओं का सुदृढ होना जरुरी: नयपदमसागर महाराज
बेलगाम,१३ अप्रेल। जैन धर्म भाषा और प्रांतवाद में नहीं बल्कि देश प्रेम में विश्वास करता है और देश का समुचित विकास करने के लिए युवाओं को सुदृढ बनाना जरुरी है। बेलगाम प्रवास पर आए नयपदमसागर महाराज ने पांगुल गली स्थित चन्द्रप्रभु जैन मंदिर में पत्रिका से विशेष वार्ता में यह बात कही। उन्होंने कहा कि मन में देश प्रेम की भावना,मांसाहार का त्याग व माता-पिता की सेवा आदि तीन नियमों का पालन करने से युवा अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं।
भाषा व जाति बंधन से दूर है धर्म: उन्होंने कहा कि धर्म भाषा व जाति से दूर होता है। वह तो केवल जीवन जीने की शैली बताता है। माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा करने व सदाचार युक्त जीवन जीने वाला व्यक्ति कर्म मुक्त हो सकता है। युवाओं को चाहिए कि वे माता-पिता को वृद्धश्रम भेजने के बजाय घर में ही सेवा सुश्रुषा करें।
भारत में ज्यादा सुरक्षित है मुस्लिम: उन्होंने अपने विदेश भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की है और वहां के जन जीवन को नजदीकी से देखा है। लेकिन भारत भूमि में जो पवित्रता की भावना, मित्रता, आतिथ्य व आदर सत्कार है वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा। इसलिए अन्य स्थानों की अपेक्षा मुसलमान देश में ज्यादा सुरक्षित हैं।
युवाओं का सही मार्गदर्शन जरुरी:उन्होंने कहा कि पैदल भ्रमण जैन साधु की दिनचर्या का हिस्सा है और वे भी ५५ हजार किमी पैदल घूम चुके हैं। इस दौरान उन्होंने महसूस किया है कि युवाओं को धर्म को सही व तार्किक ढ़ंग से कोई बात बताई जाए तो वे जल्दी समझ जाते हैं। अगर उनका सही प्रकार से मार्गदर्शन कर भारतीय संस्कृति के बारे में बताया जाए तो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे नहीं भागेंगे। उन्होंने कहा कि साधु-संतों का मुख्य कार्य समाज में जागृति लाना है। व्यसन मुक्त समाज का निर्माण कर उनको नई दिशा देना है। जीव दया,अहिंसा का प्रचार करना ही एक साधु का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। भारत की आत्मा गांवों में बसी है इसलिए गांव पवित्र बनने से पूरा देश पवित्र बन जाएगा।
प्रामाणिकता से कार्य करें व्यापारी: उन्होंने कहा कि व्यापारी भी प्रामाणिकता से कार्य करें। अगर वे साधु-संतों के सान्निध्य में आकर प्रामाणिकता अपना व्यवसाय कर समय पर कर अदायगी करेंगे तो उनका लाभ और अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र में खाद्यान्न से शराब बनाने को गलत बताते हुए कहा कि एक तरफ समाज को नशा मुक्त किया जा रहा है वहीं दूसरी गांवों में शराब उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता धर्म प्रिय है और सभी के मन में परोपकार व कर्मठता की भावना जरुरी है। - प्रकाश बिलागोजी
भाषा व जाति बंधन से दूर है धर्म: उन्होंने कहा कि धर्म भाषा व जाति से दूर होता है। वह तो केवल जीवन जीने की शैली बताता है। माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा करने व सदाचार युक्त जीवन जीने वाला व्यक्ति कर्म मुक्त हो सकता है। युवाओं को चाहिए कि वे माता-पिता को वृद्धश्रम भेजने के बजाय घर में ही सेवा सुश्रुषा करें।
भारत में ज्यादा सुरक्षित है मुस्लिम: उन्होंने अपने विदेश भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की है और वहां के जन जीवन को नजदीकी से देखा है। लेकिन भारत भूमि में जो पवित्रता की भावना, मित्रता, आतिथ्य व आदर सत्कार है वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा। इसलिए अन्य स्थानों की अपेक्षा मुसलमान देश में ज्यादा सुरक्षित हैं।
युवाओं का सही मार्गदर्शन जरुरी:उन्होंने कहा कि पैदल भ्रमण जैन साधु की दिनचर्या का हिस्सा है और वे भी ५५ हजार किमी पैदल घूम चुके हैं। इस दौरान उन्होंने महसूस किया है कि युवाओं को धर्म को सही व तार्किक ढ़ंग से कोई बात बताई जाए तो वे जल्दी समझ जाते हैं। अगर उनका सही प्रकार से मार्गदर्शन कर भारतीय संस्कृति के बारे में बताया जाए तो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे नहीं भागेंगे। उन्होंने कहा कि साधु-संतों का मुख्य कार्य समाज में जागृति लाना है। व्यसन मुक्त समाज का निर्माण कर उनको नई दिशा देना है। जीव दया,अहिंसा का प्रचार करना ही एक साधु का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। भारत की आत्मा गांवों में बसी है इसलिए गांव पवित्र बनने से पूरा देश पवित्र बन जाएगा।
प्रामाणिकता से कार्य करें व्यापारी: उन्होंने कहा कि व्यापारी भी प्रामाणिकता से कार्य करें। अगर वे साधु-संतों के सान्निध्य में आकर प्रामाणिकता अपना व्यवसाय कर समय पर कर अदायगी करेंगे तो उनका लाभ और अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र में खाद्यान्न से शराब बनाने को गलत बताते हुए कहा कि एक तरफ समाज को नशा मुक्त किया जा रहा है वहीं दूसरी गांवों में शराब उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता धर्म प्रिय है और सभी के मन में परोपकार व कर्मठता की भावना जरुरी है। - प्रकाश बिलागोजी
1 टिप्पणी:
aadrniya bhaaijaan aapne dhrm k flsfe ko smjh kr ise aam aadmi ko smjhaane kaa stik pryaas kiyaa he iske liyen bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajasthan
एक टिप्पणी भेजें