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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

अप्रैल 10, 2010

हुबली मंडल ने पूरा किया माल ढुलाई लक्ष्य

माल ढुलाई-३३.६ मिलियन टन, राजस्व -२७६२ करोड़
हुबली अव्वल,मैसूर द्वितीय व बेंगलूर तीसरे स्थान पर
धर्मेन्द्र गौड़, हुबली! देश भर में माल परिवहन से राजस्व संग्रहण में अव्वल ६४ मंडलों में पहले पांच मंडलों में शुमार दक्षिण पश्चिम रेलवे के हुबली मंडल ने गत वर्ष में अप्रेल ०९ से मार्च १० तक माल परिवहन ढुलाई के लक्ष्य को शत प्रतिशत पूरा करते हुए ३३.६ मिलियन टन माल का परिवहन किया। मंडल का इस अवधि में ३३.६ मिलियन टन माल परिवहन का लक्ष्य था और मंडल ने मंदी के बावजूद लक्ष्य को छूते हुए २७६२ करोड़ का राजस्व अर्जित किया। हालांकि मंडल को पहले ३१ मिलियन टन का लक्ष्य दिया गया था जिसे बाद में बढ़ाकर ३३.६ किया गया। गत वर्ष समान अवधि में मंडल ने ३५ मिलियन टन माल ढुलाई कर ३३०० करोड़ का राजस्व अर्जित किया। हुबली मंडल के प्रबंधक आदेश शर्मा ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि दपरे जोन में कुल ४० मिलियन टन माल ढुलाई में से ३३.६ मिलियन टन अकेले हुबली मंडल ने की जो कुल माल ढुलाई का ८४ प्रतिशत है। मैसूर का इस अवधि में ५.४६ मिलियन टन जबकि बेंगलूरु का योगदान महज १.०६ प्रतिशत रहा।माल ढुलाई बढ़ी, आय घटी: हुबली मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने बताया कि मंदी के चलते मई २००९ में रेलवे में माल परिवहन में जबरदस्त कमी दर्ज की गई। माल परिवहन के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के लिए रेलवे बोर्ड की ओर से माल परिवहन में रियायत देने का निर्णय लिया गया जिसके बाद कंपनियों ने माल ढ़ुलाई के लिए रेलवे का रुख किया। इसकी वजह से मंडल का माल ढुलाई का लक्ष्य तो पूरा हो गया लेकिन आय कम हो गई। शर्मा ने बताया कि दिसम्बर तक मंडल ने २४.६७ मिलियन टन माल की ढुलाई कर २१४० करोड़ रुपए अर्जित किए। जो कि गत वर्ष से लगभग ५०० करोड़ कम है। पिछले वर्ष २५.६० मिलियन टन माल की ढ़ुलाई कर मंडल ने २६६० करोड़ रूपए अर्जित किए थे। राजस्व वृद्धि की उम्मीद: उन्होंने बताया कि मंडल ने फरवरी माह में २३७ करोड़ व अकेले मार्च माह में ३१३ करोड़ की माल ढुलाई की। निर्यात किए जाने वाले लोह अयस्क पर मंडल द्वारा १७ मार्च से माल भाड़ा बढ़ाने के कारण मार्च माह में राजस्व बढ़ा। इसके आगामी तीन महीनों में और बढऩे की संभावना है। शर्मा ने बताया कि यात्री भाड़ा,माल ढुलाई व अन्य स्रोतों से मंडल को २९६८ करोड़ रूपए की आय हुई है जो कि गत वर्ष समान अवधि में ३५०० करोड़ थी। रेलवे बोर्ड द्वारा माल भाड़े में कमी करने के चलते आय में कमी आई। मंडल में बेटिकट यात्रियों से ४.०६ लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया पिछले वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा ३.७९ करोड़ था।लेटलतीफी का ग्राफ कम: शर्मा ने बताया कि हुबली मंडल दपरे के कुल राजस्व का अस्सी प्रतिशत राजस्व दे रहा है। जिसमें माल भाड़े के रूप में अर्जित आय,यात्री भाड़ा व अन्य स्रोतों से प्राप्त आय शामिल है। उन्होंने बताया कि मंडल द्वारा चलाई जाने वाली गाडिय़ों के संचालन मामले में भी मंडल आगे हैंं और मंडल की गाडिय़ों का लेटलतीफी का ग्राफ कम है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन हुबली से संचालित होने वाली गाडिय़ों का समय पालन का प्रतिशत ९२ है जबकि दपरे के अन्य मंडलों का समय पालन का ग्राफ लगभग ८० फीसदी है।

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