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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

जनवरी 29, 2010

देश भर में लहराता है हुबली में तैयार तिरंगा


एकमात्र बेंगेरी खादी ग्रामोद्योग कर रहा उत्पादन
हुबली।
शायद यह बहुत कम लोग जानते हैं कि देश भर में गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश भर में फहराया जाने वाले ध्वज का कपड़ा बुनने वाले बुनकर गिने-चुने ही हैं। केवल खादी या हाथ से काता कपड़ा ही झंडे के लिए उपयुक्त माना जाता है। खादी के लिए कच्चा माल केवल कपास, रेशम और ऊन हैं। झंडा बनाने में दो तरह के खादी का उपयोग किया जाता है। एक वह खादी जिससे कपड़ा बनता है और दूसरा है खादी टाट, जो बेज रंग का होता है और खम्भे में पहनाया जाता है। खादी टाट एक असामान्य प्रकार की बुनाई है जिसमें तीन धागों के जाल जैसे बनते है। यह परम्परागत बुनाई से भिन्न है जहां दो धागों को बुना जाता है। इस प्रकार की बुनाई अत्यंत दुर्लभ है, इस कौशल को बनाए रखने वाले बुनकर भारत में एक दर्जन से भी कम हैं।
देश भर में मात्र जगह उत्पादन : हुबली स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) द्वारा कपड़ा व झंडा तैयार किया जाता है। पहले देश में कई झंडा विनिर्माण इकाइयां थी लेकिन झंडा विनिर्माण की कठोर शर्तों व नियमें पर खरा नहीं उतर पाने की स्थिति में खादी विकास और ग्रामीण उद्योग आयोग (केवीआईसी) ने हुबली के केकेजीएसएस को ही इसके उत्पादन की अनुमति दी है। दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रति वर्ग सेंटीमीटर में 150 सूत्र होने चाहिए। इसके साथ ही कपड़े में प्रति चार सूत्र और एक वर्ग फुट का शुद्ध भार 205 ग्राम ही होना चाहिए। यह बुनी खादी कर्नाटक राज्य के धारवाड़ के निकट गरग और बागलकोट जिलों से मिलती है। फिलवक्त हुबली के बेंगेरी स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) को ही झंडा उत्पादन और आपूर्ति का लाइसेंस प्राप्त है। संघ के सचिव सोमनट्टी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि राष्ट्र ध्वज केवल बेंगेरी के खादी ग्रामोद्योग में ही तैयार किया जाता है। वर्ष 2005 में यहां ध्वज बनाने की अनुमति मिली। इसके अलावा देश में कहीं भी राष्ट्र ध्वज तैयार नहीं किए जाते है।

कुशल हाथों में बुनाई का काम: यहां 14 गुणा 21 फीट से लेकर पाकेट साइज के राष्ट्र ध्वज तैयार किए जाते हैं। राष्ट्र ध्वज के लिए जरूरी कपड़ा बागलकोट जिले के तुलसिगेरी तथा बादामी तालुक के जालिहाल इकाइयों में तैयार किया जाता है। प्रतिदिन एक जुलाहा 10 से 15 मीटर तक कपड़ा बुनता है। इन जुलाहों को उनके कार्य के आधार पर वेतन दिया जाता है। एक जुलाहा प्रति दिन 80 से 100 रुपए कमा लेता है। राष्ट्र ध्वज का कपड़ा बुननेवाले जुलाहों को प्रति मीटर को 8 से 10 रुपए के आधार पर काम सौंपा जाता है। जुलाहे अपनी क्षमता के आधार पर 10 से 15 मीटर प्रति दिन कपड़ा बुनते हैं। इसे बेंगेरी खादी ग्रामोद्योग में रंगने के बाद छपाई, सिलाई आदि की जाती है। राष्ट्र ध्वज 18 अलग-अलग परीक्षणों से गुजरता है। इसे बेहद सूक्ष्मता से बनाया जाता है। राष्ट्र ध्वज की नाट, रस्सी आदि को भी बारीकी से परखा जाता है। 25 से 30 मीटर टक (मोटा कपड़ा)कपड़े को तैयार करने में एक सप्ताह लगता है। जालिहाल तथा तुलिगेरी में एक सौ कर्मचारी कार्यरत हैं। बेंगेरी में ध्वज को रंगने, सिलाई, इस्त्री आदि कार्यों में चालीस लोग लगे हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग के नियमानुसार राष्ट्र ध्वज तथा वेतन दिया जाता है। राष्ट्र ध्वज में कोई छूट, कमीशन आदि कुछ नहीं होता। प्रति माह खादी ग्रामोद्योग में आठ से दस लाख तथा वार्षिक 80 से 90 लाख की लागत के ध्वज तैयार किए जाते हैं। हर वर्ष 60 से 70 लाख की बिक्री होती है।
हर साल बढ़ती है मांग: बेंगेरी से ही देश तथा विदेशों में स्थित भारत के सभी कार्यालयों के लिए राष्ट्र ध्वज भेजे जाते हैं। यहां नौ आकार के राष्ट्र ध्वजों का उत्पादन किया जाता है। 14 गुणा 21 फीट ध्वज केवल ग्वालियर के किले, कोल्हापुर के रायगढ़ तथा नवलगुंद आदि तीन जगहों में ही फहराया जाता है। 8 गुणा 12 ध्वज संसद भवन, विधान सभा भवन तथा लाल किले पर फहराया जाता है। 6 गुणा 9 फीट के ध्वज को सेना तथा मिनी विधानसभाओं व ऊंचे किलों पर, 4 गुणा 6 फीट के ध्वज को जिलाधिकारी तथा पुलिस आयुक्तालयों पर, 3 गुणा साढ़े चार तथा दो गुणा तीन फीट के ध्वज को स्कूलों, कालेजों, सार्वजनिक स्थलों, गलियों, ऑटो रिक्शा स्टैण्ड आदि पर फहराया जाता है। तीन गुणा साढ़े चार फीट के ध्वज को 20 फीट ऊंचे पोल पर तथा दो गुणा तीन फीट के ध्वज को 15 फीट ऊंचे पोल पर फहराया जाता है। इसके अलावा १२ गुणा १८ इंच का ध्वज राष्ट्रपति के वाहन तथा विमान पर ,६ गुणा ९ इंच आकार वाला ध्वज मंत्रियों की कार पर तथा ४ गुणा ६ इंच का ध्वज टेबल पर लगाया जाता है।

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