मेरे बारे में
- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
जनवरी 23, 2010
उतार-चढ़ाव का साक्षी रहा किम्स फिर चर्चा में
पूर्व निदेशक हिरेमठ फिर से निदेशक नियुक्त
धर्मेन्द्र गौड़
हुबली। विभिन्न उतार-चढ़ावों के बीच हाल ही अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरा करने वाला कर्नाटक मेडिकल साइंसेज (किम्स) एक बार फिर चर्चा में है। क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में शूट आउट मामले के आरोपी व पूर्व निदेशक एम.जी.हिरेमठ की फिर से किम्स में नियुक्ति का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार सरकार की ओर से जारी आदेश पर हिरेमठ ने बुधवार को कार्य भार ग्रहण कर लिया है। गौरतलब है कि शूट आउट मामले के आरोपी व पूर्व निदेशक को सीओडी जांच में दोषमुक्त करार दिया गया है।
क्षेत्र का प्रतिष्ठित संस्थान: उत्तर कर्नाटक में चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों की जरुरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वाकांक्षा के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.डी जत्ती ने 1 जनवरी 1960 को मेडिकल कॉलेज के साथ अस्पताल का उद्घाटन किया। मात्र 50 बिस्तर से शुरू यह अस्पताल 50 साल के समाप्त होने के बाद 1,250 रोगियों को समायोजित करने के साथ शुरू है। विभिन्न संकायों में स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए छात्र यहां अध्ययनरत हैं। उत्तर कर्नाटक के अकेले व महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थान ने पिछले 50 साल में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।
नाम बड़े दर्शन खोटे: यहां लगभग सभी जटिल बीमारियों का इलाज उपलब्ध है और संस्थाान ने ऐसे चिकित्सक तैयार किए हैं जो अब विदेशों में चिकित्सा जगत में महत्वपूर्ण पदों पर रहकर उपलब्धि हासिल कर रहे हैं। महाविद्यालय में वरिष्ठ फैकल्टी व अच्छे अनुभवी चिकित्सक रोगियों का इलाज करने के लिए उपलब्ध हैं। यहां कैथ प्रयोगशाला, कोरोनरी एंजियो, एंजियो प्लास्टी, बैलून एंजियो प्लास्टी सहित लगभग सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। इसके अलावा एक ट्रोमा केन्द्र बनाया गया है। गौरतलब है कि अस्पताल में अव्यवस्थाओं व भ्रष्टाचार को लेकर वरिष्ठ पत्रकार पाटिल पुट्टप्पा सहित अनेक संगठन समय-समय पर सरकार से प्रशासन बदलने की मांग करते रहे हैं।
शूट आउट मामले ने किया शर्मसार: संस्थान ने पिछले कई सालों चिकित्सा अधीक्षक शूट आउट प्रकरण सहित कई शर्मनाक घटनाओं का सामना करना पड़ा। शूट आउट मामले में तत्कालीन चिकित्सा निदेशक को दोषी ठहराने का प्रयास किया गया और उन्हें 35 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया। सीओडी जांच के बाद उनको कांड के आरोप से दोषमुक्त किया गया। कई ऐसी घटनाओं से संस्थान की छवि को काफी धक्का लगा। एक स्वायत्त संस्था होने के बावजूद इसे हमेशा एक सरकारी संस्था के रूप में देखा जा रहा था। इस अवधि में कई बार किम्स के चिकित्साकर्मियों के अपनी मांगों को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन के चलते परेशान मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा।
अव्यवस्थाओं का आलम: दवाओं व बिस्तर की कमी, खराब इलाज, सफाई की खराब व्यवस्था, डॉक्टरों और धन की कमी किम्स में जारी रही। अब भी यह100 करोड़ रुपए की परियोजना की मंजूरी के लिए सरकार की ओर देख रहा है। गौरतलब है कि चार साल पहले संस्थान की ओर से १०० करोड़ रूप की परियोजना सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई। जिस पर सरकार भी सैद्धांतिक रूप से सहमत थी लेकिन इसी बीच किम्स में आए कुछ उतार-चढ़ाव के चलते इस परियोजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। गौरतलब है कि अस्पताल में स्थाई नियुक्ति सहित अन्य मांगों को लेकर चिकित्सा सहायक पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
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