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नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

जनवरी 23, 2010

होसपेट-वास्को रेल मार्ग दोहरीकरण से कम होगा यातायात दबाव

होसपेट-वास्को रेल मार्ग दोहरीकरण से कम होगा यातायात दबाव
धर्मेन्द्र गौड़
हुबली।
दक्षिण पश्चिम रेलवे का हुबली मंडल महाराष्ट्र,आन्ध्रप्रदेश,तमिलनाडु व गोवा आदि राज्यों में जाने वाले यात्रियों को सीधे रेल सेवा से जोड़ता है। मिरज से बेंगलूर तक एक लाइन होने के चलते इस मार्ग पर अधिक गाडिय़ों का संचालन संभव नहीं हो पाता है। इस मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए अधिक गाडिय़ां चलाने के लिए रेलवे ने दपरे जोन के हुबली मंडल में कुछ मार्गों का दोहरीकरण को हरी झण्डी दी है। हुबली मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा ने बताया कि होसपेट-वास्को मार्ग के लगभग तीन सौ किलोमीटर में से ४७ किलोमीटर हिस्से का दोहरीकरण मंडल का निर्माण विभाग कर रहा है और शेष कार्य रेल विकास निगम की ओर से किया जाने वाला है। शर्मा ने बताया कि फिलहाल हुबली से हबसूर के बीच २० किलोमीटर व धारवाड़ से कम्बरगनवी तक २७ किलोमीटर तक का दोहरीकरण कार्य चल रहा है। शर्मा ने बताया कि सिंगल लाइन के बावजूद प्रतिदिन लगभग ९२ गाडिय़ों का संचालन समय पर किया जा रहा है, जो कि मंडल की उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि होसपेट-वास्को रेल मार्ग के शेष भाग का कार्य रेल विकास निगम लिमिटेड करेगा और इस संबंध में बातचीत अंतिम दौर में है। राष्ट्रीय रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति के सदस्य बाबूलाल जी.जैन ने बताया कि करीबन २००० करोड़ की लागत से इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है और इस मार्ग का दोहरीकरण हो जाने के बाद इस टे्रक पर और अधिक गाडिय़ां दौड़ाई जा सकेगी। फिलहाल सिंगल ट्रेक के कारण मालवाहक व सवारी गाडिय़ों के परिचालन में कठिनाई आ रही है। इस क्षेत्र सेे लोह अयस्क का ज्यादा परिवहन होने से लाइन पर यातायात का दबाव बना रहता है। इस मार्ग के पूरा होने के बाद गाडिय़ों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी जिससे यात्रियों को सुविधा होगी।

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