बढ़ते रेल हादसों के मद्देनजर बोर्ड ने लिया निर्णय
धर्मेन्द्र गौड़
हुबली। हाल ही उत्तर-प्रदेश में टुंडला के पास हुई रेल दुर्घटना से सबक लेते हुए रेलवे ने फिलहाल कोहरे वाले क्षेत्रों में जाने वाली टे्रनों के लिए खास निर्देश जारी करते हुए रेलवे बोर्ड ने कहा है कि इन क्षेत्रों की टे्रनों की आखिरी बोगी में यात्रियों को नहीं बैठाया जाएगा। इस बोगी पर ताला लगा रहेगा। शनिवार रात जारी हुए इस आदेश की पालना दक्षिण पश्चिम जोन में शुरू कर दी गई है।
ताला बंद होगा एसएलआर : दपरे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी एस.पी.शास्त्री ने बताया कि रेलवे बोर्ड की ओर से फैक्स के जरिए ऐसे आदेश मिले हैं। और उन पर तुरंत प्रभाव से अमल किया जाना है। रेलवे बोर्ड ने शनिवार रात 11 बजे सभी जोन और मण्डलों को निर्देश दिया है कि ट्रेन की आखिरी बोगी में मुसाफिर नहीं होने चाहिए। गार्ड (एसएलआर) के अलावा इस बोगी में सामान्य यात्रियों के साथ महिलाओं व विकलांगों के लिए व्यवस्था होती है। बोर्ड ने कहा कि जो टे्रनें कोहरे वाले क्षेत्रों से गुजरती हैं, उनमें एसएलआर को ताला बंद किया जाए। फिलहाल यह व्यवस्था अस्थाई रहेगी।
लम्बी दूरी की गाडिय़ों पर होगा लागू : शास्त्री ने बताया कि रेलवे बोर्ड के निर्देश के बाद दपरे के बेंगलूरु, मैसूर व गोवा से राजस्थान,उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों की ओर जाने वाली, विशेष रूप से दिल्ली क्षेत्र की टे्रनों में यह व्यवस्था शुरू कर दी गई है। इसके अन्तर्गत बेंगलूरु से जोधपुर, गांधीधाम, हजरत निजामुद्दीन, यशवंतपुर से जोधपुर, मैसूर से अजमेर, जयपुर, वास्को से हजरत निजामुद्दीन,बेंगलूरु से गोरखपुर सहित कोहरा प्रभावित शहरों की ओर जाने वाली गाडिय़ों में अंतिम डिब्बा खाली रखा जाएगा व उस पर ताला रहेगा। हालांकि यह व्यवस्था घने कोहरे वाले क्षेत्रों में कोहरा रहने तक ही रहेगी।
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- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
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