धर्मेन्द्र गौड़
हुबली। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की तरह अब राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के अधिकारी व कर्मचारी भी रेल में परिवार सहित नि:शुल्क यात्रा कर सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने अधिकारियों व कर्मचारियों को सपरिवार मुफ्त रेल सफर के लिए पास देने का निर्णय लिया है। रेलवे की सुरक्षा की जिम्मेदारी राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) दोनों निभाते हैं। आरपीएफ कर्मियों को परिवार मुफ्त रेलवे यात्रा करने के लिए पास मिलता है,लेकिन जीआरपी के जवानों को सिर्फ ड्यूटी पास ही दिया जाता है। जानकारी के अनुसार इस मुद्दे को लेकर जीआरपी ने रेल मंत्री ममता बेनर्जी से मिलकर उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए आरपीएफ की तरह जीआरपी को भी सपरिवार मुफ्त रेल सफर के पास देने की मांग रखी थी जिसे मंजूर कर लिया गया।
आदेश मिलने पर होगा अमल: सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड द्वारा जीआरपी के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी परिवार सहित रेल सफर के लिए पास व पीटीओ देने का निर्णय लिया गया है। इस आशय का आदेश पत्र सभी 16 जोनों को भेज दिया गया है। बोर्ड के आदेश पर जीआरपी को सुविधा प्रदान करने के लिए रेल प्रशासन द्वारा महानिरीक्षक राजकीय रेलवे पुलिस को पत्र लिखा गया है इसमें जीआरपी के अधिकारी व कर्मचारियों की संख्या सहित अन्य जानकारियां मांगी गई हैं। दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के मुख्य पर्सोनेल अधिकारी मोहन मेनन ने बताया कि जोन में रेलवे बोर्ड के आदेश की प्रति अभी तक नहीं मिली है प्रति मिलते ही आदेश को अमल में लाने प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। राजकीय रेलवे पुलिस बेंगलूरु पुलिस महानिदेशक रमेश ने बताया कि इस संबंध में अभी तक रेलवे बोर्ड का पत्र नहीं मिला है और पत्र मिलने तक वे कुछ टिप्पणी नहीं कर सकते।
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- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
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