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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

दिसंबर 31, 2010

नए संकल्प से नव वर्ष का स्वागत

वर्ष भर चले खुशियों का सिलसिला

धर्मेन्द्र गौड़

कुछ खट्टी,कुछ मीठी यादों के साथ कई उतार-चढ़ावों का साक्षी रहा यह २०१० भी बीत गया और अब नया साल नई उम्मीदों,नई सौगातों व ढ़ेरी सारी खुशियां अपनी झोली में समेटे फिर आ गया है। साल की विदाई के साथ ही प्रति वर्ष नए साल की शुरुआत होती है और बधाइयों का दौर शुरू हो जाता है। बीती ताहि बीसार दे आगे की सुध लेय...वाली तर्ज पर लोग पुरानी बातों को भूलाकर या अतीत में की गई गलतियों को सुधारने के संकल्प के साथ करते है नए साल की शुरुआत। नए साल का स्वागत महज एक आयोजन ही नहीं बनना चाहिए। यह समय वर्ष भर में किए गए कार्यों के आत्मावलोकन का समय है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी कार्य की शुरुआत अगर अच्छी हो तो फिर सब ठीक होता है। इसी मनोवृत्ति को दृष्टिगत रखकर लोग कार्य करते हैं। यह सिलसिला महज एक दिन यानी एक जनवरी को ही बल्कि हर सुबह होना चाहिए। वैसे तो भारतीय संस्कृति में ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन कोई पर्व, उपवास या अन्य कोई महत्वपूर्ण प्रसंग नहीं हो। कैलेंडर के ३६५ दिनों में हर सुबह की शुरुआत कुछ इस तरह से की जाए कि दिन चैन व शुकून भरा हो। अगर व्यक्ति प्रतिदिन शुभाशुभ का चिंतन कर शुभ के लिए प्रयास को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना ले तो उसके रोजमर्रा के जीवन में आने वाली अनेक परेशानियां व समस्याएं स्वत: ही खत्म हो जाएगी। साल भर में हमनें क्या खोया और क्या पाया इसके हिसाब का वक्त है नया साल।
राष्ट्र हित में हो चिंतन
हर नई सुबह की पहली किरण हर पल कुछ खास संदेश देती है। वह सुबह मासूम तो दोपहर में तेज व अपराह्न में फिर कमजोर होते होते वह शाम को फिर शीतल हो जाती है। कहते हैं कि रात जितनी घनी व अंधियारी होती है भोर का उजाला उतना ही आनंदायी होता है। अपनी अंतरात्मा से एक ही सवाल करें कि साल भर में उसने राष्ट्र हित में कितने कार्य किए, भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया या उसका डटकर मुकाबला किया, समाज से जुड़े कार्यों में आपका कितना योगदान रहा,समाज में व्याप्त बुराइयों में भागीदार बने या उनका प्रतिकार किया। साल के पहले दिन महज संदेश भेजकर नया साल मुबारक कह देने भर से ही व्यक्ति की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। यह सिलसिला उसे वर्ष भर जारी रखना चाहिए। वर्ष भर शुभकामना संदेश के बदले अपने आसपास,अपने परिवार,समाज या मित्र मंडली के सम्पर्क में रहते हुए उनके सुख-दुख में भागीदार बनकर उनकी समस्याओं का हल निकालने में साझेदार बनें।
भ्रष्टाचार का विरोध जरुरी
आज भौतिकवाद की अंधी दौड़,पाश्चात्य संस्कृति के प्रति बढ़ता आकर्षण,समाज का बदलता स्वरूप, राजनीति की बदलती तस्वीर सबके सामने है। देश भर में व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार का मुकाबला एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है और हर क्षेत्र में बढ़ती राजनीतिक दखलंदाजी के कारण व्यक्ति चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता। लेकिन व्यक्ति नए साल में इतना संकल्प तो कर ही सकता है कि वह किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देगा। कोई काम एक दिन देरी से होगा तो कोई बात नहीं लेकिन सरकारी दफ्तर में किसी बाबु को काम के बदले रिश्वत नहीं देंगे। अगर यात्रा करनी है तो समय रहते आरक्षण टिकट बनवाएंगे। मजबूरी में आपात स्थिति में यात्रा करनी पड़े तो प्रतीक्षा सूची या तत्काल टिकट लेकर जाएंगे लेकिन टिकट से दुगुनी राशि एजेंट को देकर टिकट नहीं बनवाएंगे। यह तो उदाहरण मात्र है। व्यक्ति की देश के सकल घरेलू उत्पाद या यों कहें कि देश के विकास में आम आदमी का अहम योगदान है। व्यक्ति आय कर,रोड टेक्स,प्रोपर्टी टेक्स देता है और अनेक प्रकार से वह राष्ट्र विकास में भागीदार बनता है।
समाज हित सर्वाेपरि
आज समाज में दो तरह के लोग है एक वे जो धारा के साथ चलते हैं और एक वे जो धारा के प्रतिकूल। धारा के साथ चलना सरल है लेकिन धारा के प्रतिकृल चलना न केवल कठिन है बल्कि उसमें जोखिम भी कमतर नहीं है। लेकिन धारा के विपरीत चलकर काम करने के बाद जो आत्म संतुष्टि होती है उसका अलग ही आनंद है। हो सकता है आपके विरोध करने से कुछ जगह आप चर्चा का विषय बन सकते हैं या फिर लोग आपको समाज सुधारक की संज्ञा भी दे सकते हैं लेकिन कानूनी दायरे में रहते हुए सबको अपना कार्य करना चाहिए। आज हर कोई कहता है कि मैं अकेला क्या कर सकता हूं। सभी इसी तरह सोच रहे हैं तो फिर समाज से भ्रष्टाचार बढ़ेगा ही कम नहीं होगा। आज देश में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है। पैसे वाले के लिए रिश्वत देकर काम करवाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन उस आम आदमी का क्या होगा जो महज दो रोटी का जुगाड़ ही मुश्किल से कर पाता है या फिर इतना कमाता है कि उसका गुजारा आराम से चल जाता है। ऐसे में किसी काम के लिए उसके पास रिश्वत कहां से आएगी। आरक्षित टिकट के लिए एजेंट को देने के लिए पांच सौ रुपए वह कहां से लाएगा।
संकल्प को पूरा करें
नया साल पिछली बार भी आया था इस बार भी आया है। हर साल की तरह इस बार भी फिर से शामिल हो गए जिंदगी की दौड़ में। जीने की हौड़ में फिर से आगे बढ़ रहे हैं। नए साल पर संकल्प लें कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वे बच्चों की दिनचर्या पर ध्यान देंगे। समय निकालकर जितना हो सके उतना परोपकार के कार्य में भागीदार बनेंगे। समाज को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करेंगे। नया साल आता है और चला जाता है। हर नए साल का हम उत्साह से स्वागत करते हैं तथा नववर्ष की पूर्व संध्या पर आगामी वर्ष को बेहतर बनाने के लिए संकल्प लेते हैं। हमारे संकल्पों के पूरा न होने का एक कारण तो यही है कि हम अपने संकल्प के प्रति आश्वस्त ही नहीं होते अर्थात हमें विश्वास ही नहीं होता कि हमारा संकल्प पूरा हो जाएगा। यदि आप चाहते हैं कि आपके संकल्प पूरे हों तो सबसे पहले यही संकल्प लीजिए कि मेरे सभी सकारात्मक संकल्प या विचार सदैव पूर्ण होते हैं। यहां एक बात और भी महत्वपूर्ण है कि हम जाने-अनजाने हर क्षण संकल्प लेते ही रहते हैं। हमारे मन में उठने वाला हर विचार एक संकल्प ही तो है। यदि हम अपने अंदर ये विश्वास पैदा कर लें कि हमारे सभी सकारात्मक विचार या संकल्प पूर्णता को प्राप्त होते हैं तो जीवन में एक क्रांति आ जाए। हमारे असंख्य उपयोगी विचार पूर्ण होकर हमारे जीवन और पूरे समाज को बदल डालें। अत: सबसे पहले अपने संकल्प की पूर्णता के प्रति अपने मन में पूर्ण विश्वास पैदा कीजिए।

नए संकल्प से करें नव वर्ष का स्वागत


नए संकल्प से नव वर्ष का स्वागत

दिसंबर 28, 2010

प्री पेड ऑटो सेवा का इंतजार

-सूना पड़ा रेलवे स्टेशन पर केबिन
-यात्री परेशान

हुबली. हुबली रेलवे स्टेशन पर प्री-पेड ऑटो रिक्शा सुविधा बंद होने के चलते यात्रियों को शहर में गंतव्य तक जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। हुबली रेलवे स्टेशन पर शुरू की गई प्री पेड ऑटो रिक्शा सुविधा लगभग एक साल से बंद है। इसका खामियाजा यात्रियों को अधिक किराया चुकाकर भुगतना पड़ रहा है।
हुबली से आसपास के शहरों में नौकरी के सिलसिले में जाने वाले लोग देर तक हुबली पहुंचते हैं और वे जल्दी घर पहुंचने के लिए बस के बजाय ऑटो से जाना ठीक समझते हैं लेकिन प्रीपेड ऑटो नहीं होने के कारण उनको ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। बाहर से आने वाले यात्रियों को स्थानीय नगरीय परिवहन बस सेवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती। ऐसे में वे ऑटो रिक्शा से ही गंतव्य तक जाना उचित समझते हैं।

लेते हैं मुंह मांगा किराया
रेलवे स्टेशन पर आरक्षण काउंटर के आगे प्री पेड ऑटो रिक्शा के लिए जगह निर्धारित कर एक केबिन का निर्माण कराया गया था। इस केबिन में विद्युत कनेक्शन भी है। जो अब उपयोग में नहीं लिया जा रहा है। केबिन खुला ही पड़ा रहता है और इसमें कागज, लकडिय़ां व अन्य फालतू सामान बिखरा पड़ा है। रेल से यात्रा कर हुबली आने वाले यात्रियों को शहर में दूर दराज के इलाकों में जाने के लिए ऑटो में ही जाना पड़ता है। ऐसे में उनको स्टेशन के सामने खड़े ऑटो की सेवाएं लेनी पड़ती है। ये ऑटो चालक मुंह मांगी कीमत मांगते हैं ऐसे में कई बार उनको न चाहते हुए भी अधिक किराये का भुगतान कर घर तक पहुंचना पड़ता है।

प्री पेड ऑटो सुविधा जरुरी
स्टेशन पर प्रीपेड ऑटो सुविधा नहीं होने के कारण वे हुबली पहुंचते ही स्टेशन पर हर रोज अपने घर से किसी को बुलाती हैं। बाहर वाले ऑटो के साथ रात के समय अकेले जाना खतरे से खाली नहीं होता। कभी कभार ऑटो चालक अपने दोस्तों को भी साथ में बिठा लेता है। ऐसे में अकेली महिलाएं ऑटो में जाने से परहेज करतीं है। परंतु प्री पेड ऑटो के साथ यह दिक्कत नहीं है क्योंकि उस ऑटो का रिर्कार्ड ऑटो बूथ पर रहता है। अगर कभी कुछ हादसा हो जाए तो उसकी शिकायत आसानी से की जा सकती है। इसलिए स्टेशन पर बूथ होनी चाहिए। -सुमन रेवणकर, महिला कर्मचारी

ऑटो चालकों के हित में नहीं
प्री पेड ऑटो सेवा से हमको नुकसान होता है। किराये को लेकर रोज ग्राहकों व प्री पेड बूथ वालों के साथ झगड़ा होता था। बूथ वाले बिना सोचे समझे कम किराये में भी शहर में कहीं भी जाने के लिए बोले देते थे। उनको पास पूरे शहर का श्रेणी वार विभाजन कर किराये की दर तय करनी चाहिए। लेकिन वे ग्राहक के कहने पर उस एरिया की रसीद दे देते थे लेकिन कई क्षेत्र काफी लम्बे चौड़े क्षेत्र में होने से हमको वहां तक जाना महंगा पड़ता था। ऐसे में हम घाटा खाकर वहां क्यों जाए। इसके अलावा लगेज को लेकर भी ग्राहकों से तू-तू मैं-मैं हो जाती थी। यह बूथ साल भर से बंद है। -ऑटो चालक

राजस्थान पत्रिका,हुबली संस्करण में २९ दिसम्बर २०१० को प्रकाशित

दिसंबर 27, 2010

जनरल बोगी में भी मिलेगा खाना

महफूज नहीं आपका वाहन

-रेलवे स्टेशन बना चोरों का ठिकाना!
हुबली
अगर आप अपने रिश्तेदार या परिचितों को छोडऩे या लाने हुबली रेलवे स्टेशन पर जा रहे हैं तो वहां पर वाहन खड़ा करने से पहले सोच लें। क्योंकि आप जब तक प्लेटफार्म से बाहर आएंगे आपका दुपहिया वाहन वहां सुरक्षित मिलेगा,इसकी गारंटी नहीं है। हो सकता है आप स्टेशन पर खड़े हों और शातिर चोरों की नजर आपकी गाड़ी पर हो। जब तक आप आएंगे वे अपनी कारस्तानी को अंजाम दे चुके होंगे। बेहतर होगा कि आप अपने वाहन का ध्यान खुद रखें। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों व नागरिकों की सुविधा के लिए रेलवे ने पार्किंग का ठेका दिया है और ठेकेदार का आदमी आपसे पार्किंग का पैसा वसूलेगा लेकिन वाहन की सुरक्षा की गारंटी वह भी नहीं लेता।
...और गायब मिला
तीन दिन पहले बुधवार शाम किसी रिश्तेदार को लाने के लिए रेलवे स्टेशन गए पाठक ने बताया कि जब वह उनको लेकर आए तो उनकी मोटरसाइकिल वहां पर नहीं थी। पहले तो काफी देर तक इधर-उधर तलाश की लेकिन पता नहीं चला। इसके बाद रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस चौकी जाकर जानकारी दी। इस पर चौकी पर तैनात संबंधित पुलिस अधिकारी ने कहा कि गुरुवार शाम तक इंतजार करो, हम अपने स्तर पर गाड़ी को ढ़ूंढने का प्रयास करते हैं। अगर नहीं मिली तो रिपोर्ट लिखवा देना। इसके बाद पीडि़त व्यक्ति वापस आ गया। गुरुवार को भी गाड़ी नहीं मिलने पर पीडि़त फिर पुलिस चौकी गया व गाड़ी के बारे में पूछताछ की लेकिन पुलिस ने बताया कि अभी तक गाड़ी का कोई पता नहीं चला है। शुक्रवार को पीडि़त ने मोटरसाइकिल चोरी होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई।
कहीं भी पार्क कर देते
हालांकि रेलवे ने पार्किंग के लिए एक स्थान तय कर रखा है बावजूद इसके लोग स्टेशन के मुख्य द्वार के सामने तक गाडिय़ां पार्क कर देते हैं। मुख्य द्वार के बायीं तरफ लगे एटीएम के पास भी जगह पर भी लोग वाहन पार्क कर देते हैं। रेलवे या संबंधित ठेकेदार का कोई आदमी वहां लोगों को गाड़ी पार्क करने से नहीं रोकता।
ठेकेदार की है जिम्मेदारी
हुबली मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्टेशन पर वाहन पार्किंग के लिए दी गई निविदा में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि स्टेशन पर शुल्क अदा कर निर्दिष्ट स्थान पर पार्क किए जाने वाले वाहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार की होगी। रेलवे सूत्रों के अनुसार अन्य स्थानों के बाद अब रेलवे स्टेशन परिसर में पार्किंग स्थल से गाड़ी का गायब होना गंंभीर मामला है। इसके पीछे किसी बड़े वाहन गिरोह का हाथ भी हो सकता है। चोरी गई गाडिय़ों की कम बरामदगी से यह स्पष्ट होता है कि चोर यहां से गाड़ी चुराने के बाद या तो उसके पार्ट्स अलग-अलग कर बेच देते हैं या फिर गाड़ी को किसी दूसरे शहर में भेज देते हैं ताकि यहां वह पुलिस की पकड़ में आने से बच सके।
...
मामला दर्ज हुआ है
वैसे तो स्टेशन पर वाहन चोरी के मामले कम ही सामने आते हैं।शुक्रवार दोपहर एक मामला दर्ज किया गया है। पीडि़त की ओर से दर्ज रिपोर्ट के आधार पर जांच की जा रही है। -बाबुराव कुलंदवाड़, सहायक निरीक्षक जीआरपी पोस्ट, हुबली स्टेशन

यह राजस्थान पत्रिका,हुबली के २६ दिसम्बर २०१० के अंक में प्रकाशित हुई है..

नौकरी हिन्दी की, गुणगान अंग्रेजी का

-दपरे की हिन्दी वेब साइट अद्यतन नहीं
-जेडआरयूसीसी सूची भी है गायब

@ हुबली
राजभाषा का दर्जा प्राप्त राष्ट्रभाषा हिन्दी को कार्यालयीन कामकाज की भाषा बनाने के लिए केन्द्र सरकार के अधीन सभी कार्यालयों में अलग से विभाग है। यह हिन्दी को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करता है। सरकार ने इसके लिए अधिकारियों, जिसमें राजभाषा अधिकारी, अनुवाद अधिकारी सहित अनेक छोटे-बड़े पद सृजित कर कर्मचारियों की फौज खड़ी की है।
जेडआरयूसीसी सूची ही नदारद
हिन्दी वर्जन साइट पर अंग्रेजी साइट वाले सारे ऑप्शन मौजूद है लेकिन उसमें जानकारी अद्यतन नहीं है। मिसाल के तौर पर अंग्रेजी वर्जन में जोनल स्तर पर वर्ष २००९-२०११के लिए गठित नई क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति (जेडआरयूसीसी) की सूची दर्ज है जबकि हिन्दी वर्जन में यह नदारद है। जेडआरयूसीसी के लिंक पर जाने पर, वर्ष २००८-२०१० के लिए गठित क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति, को रेलवे बोर्ड के दिनांक ०८.०६.२००९ के पत्र सं.२००९/टी.जी.१/२४/पी के तहत तत्काल प्रभाव से विघटित कर दिया गया है, की सूचना हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित है।

नाम हिन्दी का, काम अंग्रेजी में
रेलवे में भी जोनल व मंडल स्तर पर हिन्दी का विकास व प्रोत्साहन देने के लिए विभाग कार्यरत है। रेलवे वर्ष भर में एक बार सितम्बर में हिन्दी सप्ताह का आयोजन कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर लेता है। हिन्दी को प्रोत्साहन देने, इसको आमजन व सभी कर्मचारियों की भाषा बनाने के लिए रेलवे के बड़े अधिकारी वक्तव्य भी देते हैं लेकिन यह केवल एक दिन, सात दिन या केवल पखवाड़े तक ही सीमित रहता है। इस दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं में अव्वल रहने वाले कर्मचारियों को बड़े अधिकारियों द्वारा पुरस्कृत व प्रोत्साहित करने का सिलसिला भी हर साल चलता है। सबसे कमाऊ महकमे वाले रेलवे दपरे जोन में हिन्दी के विकास की स्थिति यह है कि जोन की अधिकृत वेबसाइट का हिन्दी वर्जन लगभग एक साल से अपडेट ही नहीं हुआ है। इसके अलावा जोन में आयोजित हिन्दी दिवस का समाचार भी संबंधित अधिकारी द्वारा अंग्रेजी में ही भेजा जाता है।
अधिकारी बदले, नाम नहीं

राष्ट्र की जीवन रेखा ध्येय वाक्य वाले रेलवे के दपरे की हिन्दी साइट पिछडऩे के मामले में अंग्रेजी वाली साइट से दो कदम आगे हैं। इसमें महत्वपूर्ण फोन नम्बर वाले कॉलम में जोन के ऐसे अधिकारियों के नाम दिए गए हैं जिनका तबादला जोन या अन्यत्र हो गया है। उदाहरण के लिए इसमें अनुराग को एसडीजीएम बताया गया है जबकि उनका तबादला पहले जोन के वाणिज्यिक विभाग व बाद में चेन्नई हो गया था जबकि इस साइट में अभी भी उनका नाम चल रहा है जो रेलवे की रफ्तार की कहानी बयां करती है। इस साइट में उप महाप्रबंधक प्रेमनारायण को बताया गया है जबकि उनके बाद टी.वी.भूषण व अब समीर बासा कार्यरत हैं। मुख्य सुरक्षा आयुक्त टी.दामोदरन को बताया गया है जबकि उनके स्थान पर सीएससी एस.सी.सिन्हा लगभग एक साल से ज्यादा समय से यहां कार्यरत है।
आधी-अधूरी जानकारी
१० अक्टूबर को पत्रिका में अपडेट नहीं दपरे की वेबसाइट शीर्षक से छपी खबर के बाद हरकत में आए रेल प्रशासन ने वेबसाइट में हमारे बारे में कॉलम में जानकारी को १४ अक्टूबर को अद्यतन कर दिया लेकिन दूसरे कॉलम में जानकारी वही पुरानी है। इसमें हुबली के मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा का स्थानांतरण हो गया है और उनके स्थान पर प्रवीण कुमार मिश्रा नए डीआरएम है लेकिन वेबसाइट पर अभी भी आदेश शर्मा हुबली के, अखिल अग्रवाल बेंगलूरु के व विजयराघवन मैसूर के मंडल प्रबंधक है। जबकि बेंगलूरु में एस.मणि व मैसूर में बी.बी. वर्मा मंडल प्रबंधक हैं।
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अधिकारी कहिन
हिन्दी वर्जन की वेबसाइट अपडेट नहीं होने का कारण पता लगाया जाएगा। इसको शीघ्र ही अद्यतन कर इसमें रही खामियों को दूर कर नवीनतम जानकारी के साथ अपडेट किया जाएगा। -पी.समीर बाशा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, दपरे

दिसंबर 24, 2010

बदले गाडिय़ों के नम्बर

बदले गाडिय़ों के नम्बर
हुबली. देश भर में रेलगाडिय़ों के नम्बरों में एकरूपता लाने के लिए रेल मंत्रालय के आदेश के अनुसार सभी १६ जोन में गाडिय़ों के नम्बर बदलने की प्रक्रिया के चलते दक्षिण पश्चिम रेलवे में २० दिसम्बर से रेल गाडिय़ों के नम्बर बदल जाएंगे। दपरे से प्राप्त के अनुसार एक्सप्रेस गाडिय़ों नई नम्बरिंग प्रणाली के अनुसार एक्सपे्रस गाडिय़ों के नम्बर का पहले अंक१ होगा वहीं स्पेशल गाडिय़ों के नम्बर ० से शुरू होंगे। इसके अलावा शेष अन्य गाडिय़ों के नम्बर जोन व उसके अन्तर्गत आने वाले मंडल व उसके कार्य क्षेत्र में आने वाले डिपो के अनुसार दिए जाएंगे।

क्रम संख्या पुरानी गाड़ी संख्या व विवरण नया नम्बर
१. २०२७/२०२८ एमएएस-एसबीसी शताब्दी एक्सपे्रस १२०२७/१२०२८
२. २०७९/२०८० एसबीसी-यूबीएल जनशताब्दी एक्सपे्रस १२०७९/१२०८०
३. २२५१/२२५२ वाईपीआर-केआरबीए वेणगंगा एक्स.साप्ता. १२२५१/१२२५२
४. २२५३/२२५४ वाईपीआर-बीजीपी अंगा साप्ता.एक्स. १२२५३/१२२५४
५. २२५५/२२५६ वाईपीआर-पीडीवाई ट्राई वीकली गरीब रथ १२२५५/१२२५६
६. २२५७/२२५८ वाईपीआर-केसीवीएल ट्राई वीकली गरीब रथ १२२५७/१२२५८
७. २२९१/२२९२ वाईपीआर - एमएएस साप्ताहिक १२२९१/१२२९२
८. २२९५/२२९६ एसबीसी-पीएनबीई एक्सपे्रस १२२९५/१२२९६
९. २५३९/२५४० वाईपीआर-एलकेओ एक्सपे्रस १२५३९/१२५४०
१०.२५४३/२५४४ वाईपीआर-टीपीटीवाई ट्राई वीकली एक्स. १२५४३/१२५४४
११.२६०७/२६०८ एमएएस-एसबीसी लालबाग एक्स. १२६०७/१२६०८
१२.२६०९/२६१० एमएएस-एसबीसी एक्स. १२६०९/१२६१०
१३.२६१३/२६१४ एसबीसी-एमवाईएस टीपू एक्स. १२६१३/१२६१४
१४.२६२७/२६२८ एसबीसी-एनडीएलएस कर्नाटक एक्स १२६२७/१२६२८
१५.२६२९/२६३० वाईपीआर-एनजेडएम एस.के एक्स.(हुबली) १२६२९/१२६३०
१६.२६४९/२६५० वाईपीआर-एनजेडएम एस.के एक्स.(एससी) १२६४९/१२६५०
१७.२६५७/२६५८ एमएएस-एसबीसी मेल १२६५७/१२६५८
१८.२७२५/२७२६ हुबली-धारवाड़ इंटरसिटी एक्स. १२७२५/१२७२६
१९.२७४१/२७४२ वास्को-पीएनबीई सुपर फास्ट साप्ता.एक्स. १२७४१/१२७४२
२०.२७७७/२७७८ हुबली-केसीवीएल साप्ता.सुपर फास्ट.एक्स. १२७७७/१२७७८
२१.२७७९/२७८० वास्को-निजामुद्दीन गोवा एक्सपे्रस १२७७९/१२७८०
२२.२७८१/२७८२ एमवाईएस-एनजेडएम स्वण जयंती एक्स १२७८१/१२७८२
२३.६२०१/६२०२ एसबीसी-एसएमईटी इंटरसिटी एक्स १६२०१/१६२०२
२४.६२०५/६२०६ एसएमईटी-एमईएस इंटरसिटी एक्स १६२०५/१६२०६
२५.६२०९/६२१० मैसूर-अजमेर द्वि साप्ता.एक्स.. १६२०९/१६२१०
२६.६२१५/६२१६ बेंगलूरु-मैसूर चामुंडी एक्स. १६२१५/१६२१६
२७.६२२१/६२२२ मैसूर/बेंगलूरु-एमएएस कावेरी एक्स. १६२२१/१६२२२
२८.६२२७/६२२८ बेंगलूरु-एसएमईटी एक्स. १६२२७/१६२२८
२९.६२३१/६२३२ एमवी-एमवाईएस एक्सप्रेस १६२३१/१६२३२
३०.६५०१/६५०२ अहमदाबाद-बेंगलूरु एक्सप्रेस १६५०१/१६५०२
३१.६५०५/६५०६ जीआईएम-बेंगलूरु एक्सप्रेस १६५०५/१६५०६
३२.६५०७/६५०८ जोधपुर-बेंगलूरु एक्सपे्रस १६५०७/१६५०८
३३.६५१५/६५१६ यशवंतपुर-एमएक्यू ट्राई वीकली एक्सपे्रस (एएसके) १६५१५/१६५१६
३४.६५१७/६५१८ यशवंतपुर-सीएएन एक्सवाया मैसूर १६५१७/१६५१८
३५.६५१९/६५२० बेंगलूरु-जेटीजे एक्सप्रेस १६५१९/१६५२०
३६.६५२१/६५२२ बेंगलूरु-बीडब्ल्यूटी एक्सप्रेस १६५२१/१६५२२
३७.६५२५/६५२६ सीएपीई-बेंगलूरु एक्सप्रेस १६५२५/१६५२६
३८.६५२७/६५२८ वाईपीआर-सीएएन ट्राई वीकली एक्सप्रेस १६५२७/१६५२८
३९.६५२९/६५३० एसबीसी-सीएसटीएम उद्यान एक्सप्रेस १६५२९/१६५३०
४०.६५३१/६५३२ अजमेर-यशवंतपुर गरीब नवाज एक्सप्रेस १६५३१/१६५३२
४१.६५३३/६५३४ यशवंतपुर-जोधपुर साप्ता.एक्सप्रेस १६५३३/१६५३४
४२.६५३५/६५३६ यशवंतपुर-एसयूआर गोलगुंबज ट्राई वीकली १६५३५/१६५३६
४३.६५३७/६५३८ एसबीसी-एनसीजे साप्ता.एक्स. १६५३७/१६५३८
४४.६५८९/६५९० बेंगलूरु-कोल्हापुर रानी चेन्नम्मा एक्स. १६५८९/१६५९०
४५.६५९१/६५९२ बेंगलूरु-हुबली हम्पी एक्स. १६५९१/१६५९२
४६.६५९३/६५९४ बेंगलूरु- एनईडी एक्स. १६५९३/१६५९४
४७.७३०१/७३०२ मैसूर-धारवाड़ एक्स. १७३०१/१७३०२
४८.७३०३/७३०४ मैसूर-यशवंतपुर एक्स. १७३०३/१७३०४
४९.७३०५/७३०६ हुबली-एडी एक्स. १७३०५/१७३०६
५०.७३०७/७३०८ यशवंतपुर-बीजीके एक्स. १७३०७/१७३०८
५१.७३०९/७३१० यशवंतपुर-वीएसजी एक्स. १७३०९/१७३१०
५२.७३११/७३१२ मैसूर-वीएसजी एक्स. १७३११/१७३१२
५३.७३१३/७३१४ हुबली-मैसूर एक्स. १७३१३/१७३१४
५४.६२०३/६२०४ टीपीटीवाई-एमएएस एक्स. १६२०३/१६२०४
५५.६२३३/६२३४ मइलादुतरई-त्रिची एक्स. १६२३३/१६२३४
५६.०८०३/०८०४ मैसूर- हावड़ा साप्ताहिक विशेष ०८००३/०८००४
५७.०८६९/०८७० पुरी-बेंगलूरु गरीब रथ साप्ता.एक्स. ०८४६९/०८४७०
५८.२२९६a/२२९५ पटना-बेंगलूरु सुपर फास्ट स्पेशल साप्ता. ०३२९५/०३२९६
५९.६५३७a/६५३८ बेंगलूरु-एनसीजे स्पेशल एक्स. ०६५३७/०६५३८
६०.०६८५/०६८६ वाईपीआर-एसएनएसआई साप्ता.स्पेशल ०६५३९/०६५४०
६१.६५३५a/६५३६a यशवंतपुर-बीजेपी स्पेशल ०६५३५/०६५३६
६२.०६९१/०६९२ बेंगलूरु-एनसीजे साप्ता.एक्स.स्पेशल ०६५३७/०६५३८
६३.०६८९/०६९० मैसूर-आरएमएम साप्ता.एक्स.स्पेशल ०६२३३/०६२३४
६४.०६८७/०६८८ मैसूर-एमएएस साप्ता.एक्स.स्पेशल ०६२३५/०६२३६
६५.२७७७a/२७७८a हुबली-यशवंतपुर साप्ता.एक्स.स्पेशल ०२७७७/०२७७८
६६.०६७५/०६७६ वास्को-एनजीटी साप्ता.एक्स.स्पेशल ०६९१७/०६९१८
६७.०६९३/०६९४ हुबली-बीजेपी एक्सपे्रस स्पेशल ०७३१५/०७३१६
६८.०२७७९ वास्को-बेंगलूरु-स्लिप कोचेज ०२७७९
६९.७३०१a मैसूर-एसएमईटी स्लीप कोचेज ०७३०१
७०.६२२८a एसएमईटी-बेंगलूरु स्लीप कोचेज ०६२२८
७१.०१०४८ हुबली-वास्को स्लीप कोचेज ०१०४८

क्रमांक पुरानी गाड़ी संख्या व विवरण नया नम्बर
बेंगलूरु डिपो

१. ३०३/३०४ बीजीए-हुबली पैसेंजर ५६५०१/५६५०२
२. ४३३/४३४ यशवंतपुर-बीजीए पैसेंजर ५६५०३/५६५०४
३. ५२१/५२२ बीडब्ल्यूटी-एमकेएम पैसेंजर ५६५०५/५६५०६
४. ५२३/५२४ एमकेएम-बेंगलूरु फास्ट पैसेंजर ५६५०७/५६५०८
५. ५२५/५२६ एमकेएम-बेंगलूरु पैसेंजर ५६५०९/५६५१०
६. ५२७/५२८ बीडब्ल्यूटी-एमकेएम पैसेंजर ५६५११/५६५१२
७. ५७१/५७२ एस-बेंगलूरु पैसेंजर ५६५१३/५६५१४
८. ५८१/५८२ हुबली-बेंगलूरु पैसेंजर ५६५१५/५६५१६
९. ५८९/५९० सीटीए-एनआरआर पैसेंजर ५६५१७/५६५१८
१० ५९१/५९२ बेंगलूरु सीटीए पैसेंजर ५६५१९/५६५२०
११ ५७९/५८० बेंगलूरु-नेलमंगला पैसेंजर ५६५२१/५६५२२
१२ ५९३/५९४ बेंगलूरु-एचयूपी पैसेंजर ५६५२३/५६५२४
१३ ५९५/५९६ बेंगलूरु-सीबीपी पैसेंजर ५६५२५/५६५२६
१४ ५५१/५५२ बेंगलूरु-सीबीपी पैसेंजर डेमू ७६५५१/७६५५२
१५ ५०१/५०४ बीडब्ल्यूटी-केक्यूजेड पैसेंजर रेल बस ७६५०१/७६५०४
१६ ५०३/५०६ बीडब्ल्यूटी-केक्यूजेड पैसेंजर रेल बस ७६५०३/७६५०६
१७ ५०२/५०५ बीएनसी-केक्यूजेड पैसेंजर डेमू ७६५०२/७६५०५
१८ ५११/५१२ बेंगलूरु/बीडब्ल्यूटी-एमकेएम डेमू ७६५११/७६५१२
१९ ५१३/५१४ बीडब्ल्यूटी-एमकेएम पैसेंजर डेमू ७६५१३/७६५१४
२० ५१५/५१६ बीडब्ल्यूटी-एमकेएम पैसेंजर डेमू ७६५१५/७६५१६
२१ ५२९/५३० बीडब्ल्यूटी-बेंगलूरु पैसेंजर मेमू ६६५२९/६६५३०
२२ ५३१/५३२ बीडब्ल्यूटी-बेंगलूरु पैसेंजर मेमू ६६५३१/६६५३२
२३ ५३३/५३४ केजेएम-बीडब्ल्यूटी पैसेंजर मेमू ६६५३३/६६५३४
२४ ३९१एसडब्ल्यू/३९४एसडब्ल्यू एनसीजे-बीएपीई पैसेंजर ५६५२८/५६५२७
२५ बीके१/केबी१ बीडब्ल्यूटी-केपीएन मेमू ् ६६५३५/६६५३६
२६ वाईएच१ एचवाई-१ यशवंतपुर-एचएसआरए पैसेंजर ०६५९१/०६५९२
२७ वाईएच२एचवाई-२ यशवंतपुर-एचएसआरए पैसेंजर ०६५९३/०६५९४
२८ वाईडी/डीवाई यशवंतपुर-डीएचएल पैसेंजर ०६५९५/०६५९६
२९ एसडी१/डीएस१ बेंगलूरु-डीपीजे पैसेंजर ०६५०१/०६५०२

हुबली डिपो
३० ३५२ धारवाड़-हुबली पैसेंजर ५६९०१/५६९०२
३१ ३५३/३५४ धारवाड़-एसयूआर पैसेंजर ५६९०३/५६९०४
३२ ३५५/३५६ हुबली-बीजापुर पैसेंजर ५६९०५/५६९०६
३३ ३५७ हुबली-धारवाड़ पैसेंजर ५६९०७
३४ ५८३/५८४ बेंगलूरु-एचपीटी पैसेंजर ५६९०९/५६९१०
३५ ५८५/५८६ बेंगलूरु-हुबली पैसेंजर ५६९११/५६९१२
३६ ५८७/५८८ बेंगलूरु-हुबली फास्ट पैसेंजर ५६९१३/५६९१४
३७ ५९७/५९८ हुबली-जेआरयू पैसेंजर ५६९१५/५६९१६
३८ ५७५/५७६ बेंगलूरु-एसएमईटी फास्ट पैसेंजर ५६९१७/५६९१८

वास्को डिपो

३९ ३७१/३७२ कुलेम-वास्को पैसेंजर ५६९६१/५६९६२
४० ३७३/३७४ कुलेम-वास्को पैसेंजर ५६९६३/५६९६४
४१ ३७५/३७६ कुलेम-वास्को पैसेंजर ५६९६५/५६९६६

अरसीकेरे डिपो

४२ १०१/१०२ चेन्नई सेंट्रल-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२६१/५६२६२
४३ २३५/२३६ मैसूर-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२६३/५६२६४
४४ २६१/२६२ अरसीकेरे-मैसूर पैसेंजर ५६२६५/५६२६६
४५ २६५/२६६ अरसीकेरे-मैसूर पैसेंजर ५६२६७/५६२६८
४६ २६७/२६८ मैसूर-शिमोगा टाउन पैसेंजर ५६२६९/५६२७०
४७ ५७७/५७८ शिमोगा टाउन-बिरूर जंक्शन पैसेंजर ५६२७१/५६२७२
४८ २८३/२८४ अरसीकेरे-हुबली पैसेंजर ५६२७३/५६२७४

मैसूर डिपो

४९ २०१/२०२ मैसूर-चामराजनगर पैसेंजर ५६२०१/५६२०२
५० २०३/२०४ मैसूर-चामराजनगर पैसेंजर ५६२०३/५६२०४
५१ २०५/२०६ मैसूर-नंजनगुड पैसेंजर ५६२०५/५६२०६
५२ २०९/२१० मैसूर-चामराजनगर पैसेंजर ५६२०९/५६२१०
५३ २११/२१२ मैसूर-चामराजनगर पैसेंजर ५६२११/५६२१२
५४ २१३/२१४ चामराजनगर-तिरुपति पैसेंजर ५६२१३/५६२१४
५५ २२१/२२२ बेंगलूरु-टुमकुर पैसेंजर ५६२२१/५६२२२
५६ २२३/२२४ बेंगलूरु-अरसीकेरे जंक्शन पैसेंजर ५६२२३/५६२२४
५७ २२५/२२६ बेंगलूरु-टुमकुर पैसेंजर ५६२२५/५६२२६
५८ २२७/२२८ बेंगलूरु-शिमोगा टाउन पैसेंजर ५६२२७/५६२२८
५९ २२९/२३४ मैसूर-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२२९/५६२३०
६० २३१/२३२ मैसूर-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२३१/५६२३२
६१ २३०/२३३ मैसूर-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२३३/५६२३४
६२ २३७/२३८ मैसूर-बेंगलूरु पैसेंजर ५६२३७/५६२३८
६३ २७९/२८० शिमोगा टाउन-बिरुर जंक्शन पैसेंजर ५६२३९/५६२४०
६४ ५७३/५७४ यशवंतपुर-सेलम पैसेंजर ५६२४१/५६२४२
६५ एमएन२/एनएम२ मैसूर-नंजनगुड पैसेंजर ०६२१५/०६२१६

दपरे जोन से गुजरने वाली अन्य जोन की रेलगाडिय़ां
क्रमांक पुरानी गाड़ी संख्या व विवरण नया नम्बर
१ ६३५ /६३६ एसआर मेंगलूरु सेंट्रल-कबकपुट्टुर पैसेंजर ५६६४३/५६६४२
२ ६३७ /६३८ एसआर मेंगलूरु सेंट्रल-कबकपुट्टुर पैसेंजर ५६६४५/५६६४४
३ ६५१ /६५२ एसआर मेंगलूरु सेंट्रल- सुब्रमण्य राव पैसेंजर ५६६४७/५६६४६
४ १३२९/१३३० एसीआर मुम्बई सेंट्रल-बीजापुर पैसेंजर ५१०२९/५१०३०
५ १५६१/१५६२ एसीआर मिरज-बेलगाम पैसेंजर ५१४६१/५१४६२
६ १५६३/१५६४ एसीआर मिरज-बेलगाम पैसेंजर ५१४६३/५१४६४
७ १६०५/१६०६ एसीआर मिरज-केसलरॉक पैसेंजर ५१४०५/५१४०६
८ १६१९/१६२० एसीआर मिरज-हुबली पैसेंजर ५१४१९/५१४२०
९ १६३१/१६३२ एसीआर मिरज-लोंडा जंक्शन पैसेंजर ५१४३१/५१४३२
१० ३११ एसडब्ल्यू बेल्लारी-धारवाड़ पैसेंजर ५१४११
११ ३१२ एसडब्ल्यू हुबली-बेल्लारी पैसेंजर ५१४१२
१२ ३५८ एसडब्ल्यू धारवाड़ हुबली पैसेंजर ५१४५८
१३ ३२९ एसी बीजेपी-बीएमओ पैसेंजर ५७१२९
१४ ३३० एसी एचवाईबी-बीजेपी पैसेंजर ५७१३०
१५ ५४५/५४६ एसी आरसी-बीजेपी पैसेंजर ५७१३३/५७१३४
१६ २५१/२५२ एसी गुंतकल-चिकजाजुर ५७४५१/५७४५२
१७ २५३/२५४ एसी बीवाईए जीटीएल-चिकजाजुर ५७४५३/५७४५४
१८ ३८५/३८६ एसी बीजेपी-एसयूआर ५७६८५/५७६८६
१९ ३४१/३४२ एसी एसयूआर-बागलकोट ५७६४१/५७६४२
२० ३३९/३४० एसी बागलकोट-गदग ५७६४३/५७६४४
२१ २७१/२७२ एसी तिरुपति-हुबली ५७४७१/५७४७२
२२ ५३७/५३८ एसी गुंतकल-हिन्दूपुर ५७४३७/५७४३८
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दिसंबर 18, 2010

हुबली-बीकानेर के बीच गाड़ी चलाने की मांग

आंजणा पटेल समाज ने लिखा रेल मंत्री को पत्र
हुबली. उत्तर कर्नाटक में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी व गुजराती समाज के लोगों को अपने राज्य में जाने के लिए पर्याप्त संख्या में गाडिय़ां नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रवासी यात्रियों की समस्या को देखते हुए स्थानीय श्री आंजणा(पटेल)समाज सेवा संघ के पदाधिकारियों ने सोमवार को सांसद प्रहलाद जोशी को रेल मंत्री ममता बनर्जी को संबोधित पत्र सौंपा। इस पत्र में मांग की कई है कि फिलहाल हुबली से बीकानेर के लिए कोई गाड़ी नहीं है। ऐसे में राजस्थान के मेड़ता,नागौर, नोखा, बीकानेर,गंगानगर आदि शहरों में जाने वाले यात्रियों को जोधपुर तक चलने वाली गाडिय़ों में ही यात्रा करनी पड़ती है। दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन का मुख्यालय होने के बावजूद यहां से कोई भी सीधी गाड़ी राजस्थान के लिए नहीं है। इसलिए आगामी बजट में हुबली से बीकानेर के लिए नईगाड़ी शुरू करनी चाहिए।
तत्काल आरक्षण भी मुश्किल
ज्ञापन में कहा गया है कि राजस्थान जाने वाली मौजूदा गाडिय़ों में आरक्षण तो दूर तत्काल आरक्षण भी नहीं मिल पाता है। ऐसे में बुजुर्गों,महिलाओं व बच्चों को प्रतीक्षा सूची के टिकट पर ही यात्रा करनी पड़ती है। प्रतीक्षा सूची में यात्रा करने से इनको तकलीफों का सामना करना पड़ता है। समाज के सचिव तेजाराम पटेल ने जोशी को बताया कि राजस्थान जोने वाली गाडिय़ों में आरक्षण नहीं मिलता। यहां तक कि तीन महीने पहले टिकट लेने पर भी प्रतीक्षा सूची का ही टिकट मिलता है। रेलवे की तत्काल आरक्षण सुविधा में भी टिकट ले पाना टेढी खीर है। यात्रा दिन से निर्धारित समय पर सुबह टिकट खिड़की खुलते ही एक दो लोगों को आरक्षित टिकट मिलने के बाद प्रतीक्षा सूची आ जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में रहने वाले प्रवासियों की सुविधा के लिए हुबली से बीकानेर तक सीधी गाड़ी शुरू करनी चाहिए। इस अवसर पर समाज के उप सचिव राजाराम आंजणा समाज युवा अध्यक्ष बींजाराम,लिंगराज पाटिल,प्रवासी भंवरलाल शर्मा सहित अन्य प्रवासी उपस्थित थे। समाज के अध्यक्ष खंगाराम पटेल के नेतृत्व में जोशी से मिले प्रतिनिधि मंडल ने सांसद से उनकी मांग रेल मंत्री तक पहुंचाने का आग्रह किया। जोशी ने संसद में यह मुद्दा उठाने का आश्वासन दिया।

हुबली में सोमवार को हुबली से बीकानेर के बीच रेलगाड़ी चलाने की मांग को लेकर सांसद प्रहलाद जोशी को ज्ञापन सौंपते आंजणा पटेल समाज के पदाधिकारी व प्रवासी राजस्थानी।

विलम्ब से पहुंची रानी !

-यात्री हुए परेशान
हुबली. दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन में वीवीआईपी कही जाने वाली गाड़ी संख्या ६५०९ रानी चेन्नम्मा एक्सप्रेस शुक्रवार सुबह निर्धारित से लगभग तीन घंटे विलम्ब से बेंगलूरु पहुंची। रेलवे सूत्रों के अनुसार गुरुवार रात्रि में इस गाड़ी को निर्धारित समय १०.५५ बजे रवाना होना था लेकिन गाड़ी में एक अतिरिक्त कोच जोड़े जाने के चलते यह यहां से लगभग डेढ़ घंटे विलम्ब से चली। गाड़ी में यात्रा कर रहे एक यात्री ने जब इस संबंध में वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक को मैसेज कर सूचना दी कि गाड़ी काफी देर से स्टेशन पर ही खड़ी है तो उनकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने मंडल प्रबंधक को मैसेज किया और उसके कुछ समय बाद ही गाड़ी हुबली से चल दी। यात्री ने पत्रिका को बताया कि गाड़ी के हुबली से रवाना नहीं होने के बारे में कोई बताने को तैयार नहीं था। हुबली से देरी से रवाना होने के चलते गाड़ी बेंगलूरु स्टेशन पर लगभग तीन घंटे देरी से पहुंची। इसके कारण बेंगलूरु से आगे के स्थानों के लिए यात्रा करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। गाड़ी के देरी से पहुंचने के कारण वे आगे की यात्रा के लिए गाड़ी नहीं पकड़ सके। एक अन्य यात्री ने बताया कि उनके माताजी का ह्रदय का ऑपरेशन करवाने के लिए हमें सुबह जल्दी बेंगलूरु पहुंचना था लेकिन गाड़ी विलम्ब से पहुंची जिससे वे समय पर पंजीकरण नहीं करवा सके।

दिसंबर 12, 2010

हुबली-धारवाड़ दोहरीकरण कार्य शीघ्र

-आएगी १०० करोड़ की लागत
-कम होगा यातायात का दबाव
हुबली.
सब कुछ रेलवे की योजना के मुताबिक रहा व कार्य समय पर पूरा हो गया तो दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के हुबली मंडल से नई गाडिय़ां शुरू करने की मांग भी पूरी हो सकती है। फिलहाल हुबली से हेब्सूर तक व धारवाड़ से कम्बरगनवी तक दोहरीकरण का कार्य पूरा हो गया है। हुबली-धारवाड़ के बीच सिंगल लाइन के कारण ज्यादा गाडिय़ों का परिचालन संभव नहीं है।
१०० करोड़ में होगा दोहरीकरण
रेलवे सूत्रों के अनुसार बहु-प्रतीक्षित हुबली-धारवाड़ लाइन के दोहरीकरण को रेलवे ने हरी झण्डी दे दी है और शीघ्र ही इसका कार्य शुरू होने वाला है। लगभग २० किलोमीटर लाइन के दोहरीकरण पर १०० करोड़ रूपए खर्च होंगे। यह कार्य रेलवे बाइपास के समानंतर चलेगा ताकि दोनों मार्गों पर एक साथ परिचालन शुरू होने से हुबली-धारवाड़ के बीच यातायात सुगम हो सके। रेलवे सूत्रों के अनुसार फिलहाल हुबली से नियमित १६ एक्सप्रेस गाडिय़ां,१२ सवारी गाडिय़ां,२२ गैर प्रतिदिन (जिनमें साप्ताहिक,द्वि साप्ताहिक व अन्य) गाडिय़ां व २२ माल गाडिय़ां गुजरती हैं। ऐसे में नई गाडिय़ों शुरू करना संभव नहीं है।
किसानों का पक्ष भी जानें
बेशक रेलवे लाइन बाईपास की योजना बहुत अच्छी है। परन्तु इस योजना का किसान विरोध कर रहे हैं। इस संबंध में उनका पक्ष जानने के बाद इस पर आगे कार्रवाई होनी चाहिए। पर किसानों का विरोध है। 104 एकड जमीन पर रेलवे बाईपास लाइन बिछाने की योजना है। धारवाड़ से लोंडा तथा हुबली से धारवाड़ तक रेलवे लाइन दोहरीकरण किया जा रहा है। बाइपास बनने के बाद इससे मालगाडिय़ां हुबली स्टेशन पर नहीं आएंगी। इससे और यात्री गाडिय़ों को चलाने में सुविधा होगी। रेलवे लाइन बाईपास के निर्माण से यातायात दबाव कम होगा। इस संबंध में किसानों के विरोध तथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए रेल विभाग को अलाइनमेंट बदलने का सुझाव दिया है। रेल विभाग ने इस पर विचार करने का वादा किया है। जोशी ने कहा कि उन्होंने रेल विभाग से पहले अमरगोल से धारवाड़ तक दोहरी लाइल बिछाकर मालगाडिय़ों को इस लाइन से चलाने की मांग की है।
-प्रहलाद जोशी,सांसद

अधिग्रहण के औचित्य पर सवाल

-हुबली-धारवाड़ बाई पास रेलमार्ग
हुबली. हुबली-धारवाड़ रेलमार्ग पर यातायात दबाव कम करने के नाम पर बाइपास बनाने के विरोध में स्वर उठने लगे हैं। हुबली के कुसुगल-अमरगोल के बीच ९.२२ किलोमीटर दूरी की इस योजना का विरोध प्रस्ताव के शुरू में ही हो गया था। रेलवे के कुछ अधिकारियों ने भी दबी जुबान से ४० करोड़ रुपए की योजना के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लगाया था। हालांकि रेल मंत्रालय की ओर से हरी झण्डी मिलने के बाद इसके लिए गत दो दिसम्बर को निविदा भी आमंत्रित कर ली गई है।
चाहिए कम, लेते हैं ज्यादा
प्रस्तावित योजना के तहत भू अधिग्रहण की चपेट में आने वाले भू मालिक किसानों का कहना है कि उनकी यह जमीन उपजाऊ होने के साथ-साथ कीमती भी है। किसानों का अनुरोध है कि रेलवे को इस मार्ग में थोड़ा बदलाव कर करना चाहिए। किसानों का कहना है कि रेलवे जरुरत से ज्यादा भूमि का अधिग्रहण कर रहा है। हालांकि रेल मंत्री ममता बनर्जी ने १७ दिसम्बर २००९ को सर्कुलर जारी कर निर्देश जारी किया था कि कहीं पर भी जरुरत से ज्यादा भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया था कि उपजाऊ कृषि भूूमि का अधिग्रहण किसी भी सूरत में जबरन नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद उनकी बात को नहीं सुना जा रहा है।
मिले उचित मुआवजा
किसानों का तर्क है कि रेलवे के आदेश के बावजूद निर्माण एजेंसियां जरूरत से दोगुनी भूमि का अधिग्रहण कर रही है। इससे किसानों की काफी कृषि भूमि छिन जाएगी। हाल ही किसानों ने इस प्रस्तावित बाइपास का विरोध कर जिलाधिकारी दर्पण जैन को ज्ञापन भी सौंपा है। किसानों का कहना है कि योजना के तहत प्रस्तावित रेलमार्ग को मौजूदा चिह्नित मार्ग के बजाय अन्यत्र शिफ्ट किया सकता है। साथ ही उनकी मांग है कि इसके लिए स्थानीय दर से उचित मुआवजा भी मिलना चाहिए। किसानों का कहना है कि हुबली-धारवाड़ के बीच पहले से मौजूद रेल मार्ग का दोहरीकरण कर यातायात दबाव को कम किया जा सकता है। जब तक इस मार्ग का दोहरीकरण नहीं होगा तब तक इस बाइपास का फायदा नहीं होगा।
किसानों ने किया विरोध
हुबली से धारवाड़ तक बाइपास रेल लाइन बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने अपनी बात जिला प्रशासन के सामने रखी है। मैंने उनकी बात को रेलवे अधिकारियों के सामने रखा है और व्यक्तिगत स्तर पर भी बात ही है। इसके अलावा स्वयं किसानों ने भी रेलवे अधिकारियों से मिलकर पक्ष रखा है। सांसद प्रहलाद जोशी ने भी इस बारे में किसानों की शंकाओं को दूर करने के बाद ही योजना पर आगे की कार्रवाई का अनुरोध किया है। इस मामले में हम केवल भूू अधिग्रहण कार्य तक सीमित है। हमें भूमि अधिग्रहित कर रेलवे को देना है। रेल मार्ग में बदलाव संबंधी कार्य रेलवे के दायरे में ही आता है।-दर्पण जैन, जिलाधिकारी
मदर एक्सप्रेस हुबली में
-मिलेगी टेरेसा जीवन की झलक
हुबली.मदर टेरेसा की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में भारतीय रेलवे की ओर से 'मदर एक्सप्रेस 2010 प्रदर्शनीÓ स्पेशल ट्रेन लोकमान्य तिलक टर्मिनस से रवाना होकर दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के हुबली मंडल के वास्को डि गामा स्टेशन होते हुए यह गाड़ी सोमवार को हुबली रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। प्रदर्शनी ट्रेन को देखने के लिए स्टेशन परिसर में आम जनता का प्रवेश सुबह दस बजे से सायं आठ बजे तक नि:शुल्क रखा गया है। मदर टेरेसा के जीवन एवं मानव सेवा के कार्यों से सुसज्जित वातानुकूलित डिब्बों में सचित्र झांकी उपलब्ध है।
आज पहुंचेगी हुबली
यह गाड़ी १३ दिसम्बर को कर्नाटक राज्य में प्रवेश कर सुबह ०५.३० बजे दपरे के हुबली स्टेशन पहुंचेगी। यहां प्लेटफार्म एक पर सुबह दस बजे मंडल रेल प्रबंधक प्रवीण कुमार मिश्रा व अतिरिक्त प्रबंधक पे्रमचंद की उपस्थिति में स्थानीय मदर टेरेसा चेरिटेबल ट्रस्ट की सिस्टर जोसेफ मेरी प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी। यहां दो दिन रुककर यह गाड़ी १४ दिसम्बर शाम को रवाना होकर वाया मेंगलूूर कोयम्बटूर, अर्नाकुलम, मदुरै, त्रिवेन्द्रम, पांडिचेरी होते हुए २ जनवरी २०११ को ६ बजे दपरे के मैसूर मंडल के अशोकपुरम रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। यहां दो दिन रुकने के बाद यह ४ जनवरी ११ को ४.३० बजे बेंगलूरु मंडल के बेंगलूरु केंटोनमेंट स्टेशन पर पहुंचेगी।
अगस्त में शुरू हुआ सफर
गौरतलब है कि रेल मंत्री ममता बनर्जी २६ अगस्त को सियालदह स्टेशन पर हरी झंडी दिखाकर इस विशेष ट्रेन को रवाना किया था। इसमें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मदर टेरेसा के जीवन और उनके कार्यों को चित्रों और पेंटिग्स के माध्यम से प्रदर्षित किया गया है। पूरी तरह से वातानुकूलित इस प्रदर्शनी गाड़ी में छह कोच होंगे। इसमें तीन कोचों में मदर टेरेसा से संबंधित प्रदर्शनी होगी। रेल हैरिटेज मैनेजर, पूर्व रेलवे की देखरेख में लिलुआ के कोचिंग वर्कशाप में बनी गाड़ी का मूल रंग उजला और नीला है। विदित हो कि मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापिका मदर टेरेसा नीली बार्डर वाली श्वेत साड़ी पहना करती थी। सियालदह स्टेशन से रवाना होने के बाद यह गाड़ी पश्चिम बंगाल के 10 स्टेशनों पर रुकने के बाद अगले महीनों में देश के विभिन्न दूसरे शहरों में जा रही है।
टेरेसा के जीवन की झलक
प्रदर्शनी को देखने के लिए आने वाले लोगों की सुविधा के लिए इस विशेष गाड़ी की प्रत्येक कोच में रेलकर्मचारियों तथा स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवकों को लगाया जा रहा है। 6 डिब्बों की इस ट्रेन में 3 एसी कोच हैं। जिसमें मदर टेरेसा के जीवन मूल्यों, मानव सेवा कार्यों और संदेश की फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें हर फोटो के साथ उसकी विस्तृत जानकारी के लिए कॉमेंट्री का आयोजन भी किया गया है ताकि लोगों को मदर टेरेसा के त्याग, बलिदान और मानव सेवा के बारे में जानकारी मिल सके। गरीबों एवं बीमारों की सेवा कर प्रसिद्धि हासिल करने वाली मदर टेरेसा का व्यक्तित्व नई पीढ़ी को प्रेरित करने वाला है। भारतीय रेल की प्रदर्शनी गाड़ी के माध्यम से उनके विचार नई पीढ़ी को मिलेंगे। मदर टेरेसा का जन्म वर्तमान मेसिडोनिया रिपब्लिक के स्कोपजे शहर में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था। इसीलिए मदर एक्सप्रेस की शुरूआत 26 अगस्त, 2010 को की गई।

स्वयंसेवकों ने किया आपदा राहत प्रदर्शन

नागरिक सुरक्षा संगठन का वार्षिकोत्सव संपन्न
हुबली.दक्षिण पश्चिम रेलवे(दपरे) के नागरिक सुरक्षा संगठन के तत्वावधान में आठवें नागरिक सुरक्षा वार्षिकोत्सव का आयोजन सोमवार को गदग रोड स्थित जोनल मुख्यालय के नए भवन में किया गया।
दपरे के महाप्रबंधक कुलदीप चतुर्वेदी ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का शुभारंभ कर परेड व सुरक्षा दस्ते का निरीक्षण किया। इस अवसर पर चतुर्वेदी ने कहा कि संगठन के दस्ते द्वारा किया गया सुरक्षा प्रदर्शन अर्थपूर्ण व समाज के लिए सहायक है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा संगठन के महत्व को समझते हुए नागरिकों को सुरक्षा का प्रशिक्षण देकर तैयार किया। चतुर्वेदी ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में तत्काल राहत के लिए संगठन को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि स्वयंसेवक तत्परता से कार्रवाई करते हुए राहत व बचाव कार्य कर सके। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नागरिक सुरक्षा संगठन कार्मिकों की सेवाएं देश व रेलवे के लिए अधिक उपयोगी साबित होगी।

संगठन का योगदान महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि रेलवे में दुर्घटना के समय इनकी सेवाओं का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। दपरे के सभी विभागाध्यक्षों को सलाह दी कि वे कर्मचारियों को संगठन से जुडऩे के लिए प्रेरित करें। नागरिक सुरक्षा संगठन प्रदर्शन उन्मुख संगठन है और सभी को इसे सहयोग करना चाहिए। इस मौके पर चतुर्वेदी ने संगठन के कार्मिकों को श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए १० हजार रूपए का सामूहिक पारितोषिक देने की घोषणा की। इससे पूर्व स्वागत करते हुए अतिरिक्त महाप्रबंधक व नागरिक सुरक्षा नियंत्रक पी. समीर बासा ने कहा कि संगठन का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदा सहित अन्य आपातकालीन स्थितियों में समाज को सेवाएं देकर आमजन को बचाकर आपदा से होने वाले नुकसान को कम से कम करना है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को ४५ दिन में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रशिक्षण कॉलेज,नागपुर में प्रशिक्षण दिया गया है और हाल ही २२ से ३० अक्टूबर २०१० तक कार्मिकों ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में वार्षिक शिविर में भी शिरकत की है। इसके अलावा इन्होंने वहां पर दो दिवसीय नागरिक सुरक्षा संगठन सम्मेलन टे्रंडिया-२०१० में भी भाग लिया है। उन्होंने कहा कि संगठन के कार्मिकों ने बेंगलूरु के कंटीरवा स्टेडियम में राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदर्शन किया है।

कार्मिकों को नकद पारितोषिक
इस अवसर पर नागरिक सुरक्षा संगठन की ओर से कर्मियों ने बम विस्फोट, आग, प्राकृतिक संकट जैसी आपात स्थिति में समाज की सुरक्षा के लिए विभिन्न सुरक्षा तरीकों का प्रदर्शन किया। महाप्रबंधक चतुर्वेदी ने उत्कृष्ट सेवाओं के लिए संगठन के स्वयंसेवकों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। अतिरिक्त महाप्रबंधक व नागरिक सुरक्षा नियंत्रक पी. समीर बासा ने आगंतुकों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य सुरक्षा आयुक्त एस. सी. सिन्हा, मंडल प्रबंधक प्रवीण मिश्रा, अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक प्रेमचंद, मुख्य यांत्रिक अभियंता, दपरे देवकुमार सराफ, मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक संजीब हलदर, मुख्य सिग्नल व टेलिकॉम अभियंता एस.लक्ष्मी नारायण, वरिष्ठ उप महाप्रबंधक यू.कृष्ण मूर्ति, मुख्य ट्रेक अभियंता वी.के.अग्रवाल, मुख्य संरक्षा अधिकारी विक्रंात कालरा, मुख्य कम्यूनिकेशन अभियंता आर.भास्करन व महाप्रबंधक के सचिव एस.के.गुप्ता सहित जोनल व हुबली के मंडल के विभिन्नि विभागों के विभागाधिकारी, अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे। दपरे के सहायक उप महाप्रबंधक रवि कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

दपरे वेबसाइट का यूआरएल बदला

हुबली. भारतीय रेलवे ने देशभर में सभी सोलह जोन की वेबसाइटों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से वेबसाइट के यूआरएल में बदलाव किया है। रेलवे ने हाल ही एक आदेश जारी कर सभी जोनल के संबंधित अधिकारियों को मुख्यालय स्तर पर वेबसाइट का यूआरएल बदलने के लिए कहा है। इसके तहत दक्षिण पश्चिम रेलवे ने अपनी अधिकृत वेबसाइट का एड्रेस एसडब्ल्यूआर.इंडियनरेलवेज.जीओवी.इन कर दिया गया है। हालांकि रेलवे ने उपभोक्ताओं व रेलवे की सुविधा के लिए १ जनवरी २०११ तक पुराने यूआरएल को काम में लेने की छूट दी है। इसी प्रकार दक्षिण मध्य रेलवे की वेबसाइट का यूआरएल भी एससीआर.इंडियन रेलवेज.जीओवी.इन कर दिया गया है।

बढ़ रहा सर्दी का अहसास

-ऊनी कपड़ों की मांग बढ़ी
हुबली.दिसम्बर माह दस्तक दे चुका है और फिजा में सर्दी का असर दिखने लगा है। लोगों ने सहेजकर रखे ऊनी कपड़ों की सार सम्भाल शुरू कर दी है। विशेष कर स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं को सुबह गर्म कपड़ों में देखा जा सकता है।
आम तौर पर शहर में दिसम्बर में मौसम सुहाना रहता है लेकिन कुछ दिन पहले उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में हुई बेमौसम की मूसलाधार बारिश के चलते फिजा में सर्दी का असर नजर आ रहा है। दिसम्बर का पहला सप्ताह सामान्य दिनों से थोड़ा सर्द रहा। हालांकि दिन में कड़क धूप का अहसास होता रहता है। दूसरा सप्ताह आते-आते मौसम शहर में सर्दी का ज्यादा असर देखने को मिलेगा। मौसम विभाग के अनुसार सोमवार को आसमान साफ रहेगा लेकिन न्यूनतम १४ डिग्री तापमान के साथ हल्की सर्दी का असर दिन व रात में रह सकता है।

बदला मौसम का मिजाज
मौसम विभाग के अनुसार आगामी दस दिन शहर का तापमान न्यूनतम १४ व अधिकतम २६ रहने की संभावना है। इन दिनों पारे का न्यूनतम स्तर १४ से १७ डिग्री सेल्सियस के आसपास रिकॉर्ड किया गया। दिसम्बर में हुबली का औसतन तापमान १६ से अधिकतम २९ डिग्री सेल्सियस रहता है। शहर में सर्दी की दस्तक के साथ ही बाजार में गर्म कपड़ों की दुकानों पर चहल-पहल नजर आने लगी है। जनता बाजार के पास सभी प्रकार के क्वालिटी वाले गर्म कपड़े रखने वाले एक दुकानदार ने बताया कि आजकल शुद्ध ऊनी कपड़ों की मांग ज्यादा है। साथ ही लोग वुल मार्क वाले बेहतर गुणवत्ता वाले ब्रांडेड कपड़े ज्यादा पसंद करते हैं। विशेष रूप से अंदरूनी थर्मल कपड़ों की काफी मांग है। बच्चों क अलावा कामकाज के सिलसिले में बाहर जाने वाले और देर रात तक काम करने वाले लोग स्वेटर या कोट के बजाय अंदरुनी थर्मल कपड़ों को ज्यादा महत्व देते हैं।

सर्दी ने बढ़ाई चहल-पहल
शहर में बढ़ती सर्दी से इन दिनों गर्म कपड़ों के बाजार में दिन भर चहल-पहल देखी जा सकती है। हुबली धारवाड़ जुड़वां शहर में एक-दूसरे शहर से कामकाज के सिलसिले में दुपहिया वाहन से आने जाने वाले लोग सेहत के प्रति खासे चिंतित दिखाई देते हैं और सर्दी से बचाव के लिए थर्मल कपड़े, स्वेटर या जैकेट में से कोई एक चुनते हैं। रात्रि में हुबली से धारवाड़ जाने या धारवाड़ से हुबली आने पर तेज रफ्तार से चलते वाहन पर सर्दी का ज्यादा अहसास होता है ऐसे में उनके लिए ऊनी कपड़े ज्यादा जरुरी है। इसके अलावा शहर से १०० किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले शहरों में नौकरी के सिलसिले में रोज अप-डाऊन करने वाले भी बाजार में गर्म कपड़े खरीद रहे हैं।
सबकी पंसद जुदा-जुदा
एक अन्य दुकानदार ने बताया कि बाजार में नामी कंपनियों के अलावा लॉकल बं्राड के स्वेटर भी काफी बिक रहे हैं। कपड़े भले ही ऊनी क्यों न हो लेकिन इसमें भी लोग चूजी हो गए हैं। हर आयु वर्ग अपने हिसाब व अंदाज से कुछ खास व नया डिजायन चाहता है जो उसे न केवल सर्दी से बचाता है बल्कि उसके व्यक्तित्व में भी चार चांद लगा देता है। बाजार में इन दिनों लुधियाना,कश्मीर, चंडीगढ सहित अन्य शहरों से ऊनी कपड़े आ रहे हैं।

बढ़ रहा सर्दी का अहसास




आम तौर पर शहर में दिसम्बर में मौसम सुहाना रहता है लेकिन कुछ दिन पहले उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में हुई बेमौसम की मूसलाधार बारिश के चलते फिजा में सर्दी का असर रहा है। दिसम्बर का पहला सप्ताह सामान्य दिनों से थोड़ा सर्द raha , हालांकि दिन में कड़क धूप का अहसास होता रहता है। दूसरा सप्ताह आते-आते मौसम शहर में सर्दी का ज्यादा असर देखने को मिलेगा। मौसम विभाग के अनुसार somvar को आसमान साफ रहेगा लेकिन न्यूनतम १७ डिग्री तापमान के साथ हल्की सर्दी का असर दिन रात में रह सकता है।
बदला मौसम का मिजाज
मौसम विभाग के अनुसार आगामी दस दिन शहर का तापमान न्यूनतम १७ अधिकतम २८ रहने की संभावना है। इन दिनों पारे का न्यूनतम स्तर १७ से १९ डिग्री सेल्सियस के आसपास रिकॉर्ड किया गया। दिसम्बर में हुबली का औसतन तापमान १६ से अधिकतम २९ डिग्री सेल्सियस रहता है। शहर में सर्दी की दस्तक के साथ ही बाजार में गर्म कपड़ों की दुकानों पर चहल-पहल नजर आने लगी है। जनता बाजार के पास सभी प्रकार के क्वालिटी वाले गर्म कपड़े रखने वाले एक दुकानदार ने बताया कि आजकल शुद्ध ऊनी कपड़ों की मांग ज्यादा है। साथ ही लोग वुल मार्क वाले बेहतर गुणवत्ता वाले ब्रांडेड कपड़े ज्यादा पसंद करते हैं। विशेष रूप से अंदरूनी थर्मल कपड़ों की काफी मांग है। बच्चों अलावा कामकाज के सिलसिले में बाहर जाने वाले और देर रात तक काम करने वाले लोग स्वेटर या कोट के बजाय अंदरुनी थर्मल कपड़ों को ज्यादा महत्व देते हैं।
सर्दी ने बढ़ाई चहल-पहल
शहर में बढ़ती सर्दी से इन दिनों गर्म कपड़ों के बाजार में दिन भर चहल-पहल देखी जा सकती है। हुबली धारवाड़ जुड़वां शहर में एक-दूसरे शहर से कामकाज के सिलसिले में दुपहिया वाहन से आने जाने वाले लोग सेहत के प्रति खासे चिंतित दिखाई देते हैं और सर्दी से बचाव के लिए थर्मल कपड़े, स्वेटर या जैकेट में से कोई एक चुनते हैं। रात्रि में हुबली से धारवाड़ जाने या धारवाड़ से हुबली आने पर तेज रफ्तार से चलते वाहन पर सर्दी का ज्यादा अहसास होता है ऐसे में उनके लिए ऊनी कपड़े ज्यादा जरुरी है। इसके अलावा शहर से १०० किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले शहरों में नौकरी के सिलसिले में रोज अप-डाऊन करने वाले भी बाजार में गर्म कपड़े खरीद रहे हैं।
सबकी पंसद जुदा-जुदा
एक अन्य दुकानदार ने बताया कि बाजार में नामी कंपनियों के अलावा लॉकल बं्राड के स्वेटर भी काफी बिक रहे हैं। कपड़े भले ही ऊनी क्यों हो लेकिन इसमें भी लोग चूजी हो गए हैं। हर आयु वर्ग अपने हिसाब अंदाज से कुछ खास नया डिजायन चाहता है जो उसे केवल सर्दी से बचाता है बल्कि उसके व्यक्तित्व में भी चार चांद लगा देता है। बाजार में इन दिनों लुधियाना,कश्मीर, चंडीगढ सहित अन्य शहरों से ऊनी कपड़े रहे हैं।