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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

दिसंबर 28, 2010

प्री पेड ऑटो सेवा का इंतजार

-सूना पड़ा रेलवे स्टेशन पर केबिन
-यात्री परेशान

हुबली. हुबली रेलवे स्टेशन पर प्री-पेड ऑटो रिक्शा सुविधा बंद होने के चलते यात्रियों को शहर में गंतव्य तक जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। हुबली रेलवे स्टेशन पर शुरू की गई प्री पेड ऑटो रिक्शा सुविधा लगभग एक साल से बंद है। इसका खामियाजा यात्रियों को अधिक किराया चुकाकर भुगतना पड़ रहा है।
हुबली से आसपास के शहरों में नौकरी के सिलसिले में जाने वाले लोग देर तक हुबली पहुंचते हैं और वे जल्दी घर पहुंचने के लिए बस के बजाय ऑटो से जाना ठीक समझते हैं लेकिन प्रीपेड ऑटो नहीं होने के कारण उनको ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। बाहर से आने वाले यात्रियों को स्थानीय नगरीय परिवहन बस सेवा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती। ऐसे में वे ऑटो रिक्शा से ही गंतव्य तक जाना उचित समझते हैं।

लेते हैं मुंह मांगा किराया
रेलवे स्टेशन पर आरक्षण काउंटर के आगे प्री पेड ऑटो रिक्शा के लिए जगह निर्धारित कर एक केबिन का निर्माण कराया गया था। इस केबिन में विद्युत कनेक्शन भी है। जो अब उपयोग में नहीं लिया जा रहा है। केबिन खुला ही पड़ा रहता है और इसमें कागज, लकडिय़ां व अन्य फालतू सामान बिखरा पड़ा है। रेल से यात्रा कर हुबली आने वाले यात्रियों को शहर में दूर दराज के इलाकों में जाने के लिए ऑटो में ही जाना पड़ता है। ऐसे में उनको स्टेशन के सामने खड़े ऑटो की सेवाएं लेनी पड़ती है। ये ऑटो चालक मुंह मांगी कीमत मांगते हैं ऐसे में कई बार उनको न चाहते हुए भी अधिक किराये का भुगतान कर घर तक पहुंचना पड़ता है।

प्री पेड ऑटो सुविधा जरुरी
स्टेशन पर प्रीपेड ऑटो सुविधा नहीं होने के कारण वे हुबली पहुंचते ही स्टेशन पर हर रोज अपने घर से किसी को बुलाती हैं। बाहर वाले ऑटो के साथ रात के समय अकेले जाना खतरे से खाली नहीं होता। कभी कभार ऑटो चालक अपने दोस्तों को भी साथ में बिठा लेता है। ऐसे में अकेली महिलाएं ऑटो में जाने से परहेज करतीं है। परंतु प्री पेड ऑटो के साथ यह दिक्कत नहीं है क्योंकि उस ऑटो का रिर्कार्ड ऑटो बूथ पर रहता है। अगर कभी कुछ हादसा हो जाए तो उसकी शिकायत आसानी से की जा सकती है। इसलिए स्टेशन पर बूथ होनी चाहिए। -सुमन रेवणकर, महिला कर्मचारी

ऑटो चालकों के हित में नहीं
प्री पेड ऑटो सेवा से हमको नुकसान होता है। किराये को लेकर रोज ग्राहकों व प्री पेड बूथ वालों के साथ झगड़ा होता था। बूथ वाले बिना सोचे समझे कम किराये में भी शहर में कहीं भी जाने के लिए बोले देते थे। उनको पास पूरे शहर का श्रेणी वार विभाजन कर किराये की दर तय करनी चाहिए। लेकिन वे ग्राहक के कहने पर उस एरिया की रसीद दे देते थे लेकिन कई क्षेत्र काफी लम्बे चौड़े क्षेत्र में होने से हमको वहां तक जाना महंगा पड़ता था। ऐसे में हम घाटा खाकर वहां क्यों जाए। इसके अलावा लगेज को लेकर भी ग्राहकों से तू-तू मैं-मैं हो जाती थी। यह बूथ साल भर से बंद है। -ऑटो चालक

राजस्थान पत्रिका,हुबली संस्करण में २९ दिसम्बर २०१० को प्रकाशित

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