होसपेट-तिनायघाट रेलमार्ग दोहरीकरण
-२५९ किमी पर खर्च होंगे ९३० करोड़
हुबली. राज्य के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले होसपेट से तिनायघाट तक २५९ किलोमीटर रेलमार्ग के दोहरीकरण को हरी झण्डी मिलने के बाद अब भू अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की गई है। तिनायघाट से वास्को व हुबली-धारवाड़ बाइपास के संबंध में पत्रिका ने इस योजना के मुख्य योजना प्रबंधक (सीपीएम) आलोक तिवारी से खास बातचीत की। पेश है बातचीत के सम्पादित अंश:
पत्रिका: होसपेट-हुबली-लोंडा-तिनायघाट-वास्को डि गामा परियोजना का कार्य किस स्तर पर है?
तिवारी: कुल २१२७ करोड़ रुपए की लागत से ३५२ किलोमीटर योजना में से पहले चरण में होसपेट से तिनायघाट तक २५९ किमी कार्य के लिए भू अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। प्रथम चरण में होसपेट से तिनायघाट तक लगभग ९२८ करोड़ रूपए खर्च होंगे। तिनायघाट से वास्को का काम भी आरवीएनएल को दिया गया है।
पत्रिका: क्या योजना के लिए एशियन विकास बैंक (एडीबी)ने धन मुहैया कराया है?
तिवारी: हां, बैंक ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और उस एग्रीमेंट के तहत बैंक की ओर से जारी फंड से ही पहले चरण का कार्य किया जाएगा।
पत्रिका: घाट सेक्शन में कार्य काफी जरुरी लेकिन दुरूह है, ऐसी स्थिति में वहां काम तय समय पर पूरा हो जाएगा।
तिवारी: हां, यह तो है कि लगभग २६ किलोमीटर घाट सेक्शन में दोहरीकरण का कार्य काफी महत्वपूर्ण व कठिन भी है। वहां फिलहाल सड़क सम्पर्क भी नहीं है और कुछ स्टेशनों पर रोशनी भी नहीं हैं। ऐसे में कार्य कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। फिर भी भू अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होते ही काम को गति मिलेगी।
पत्रिका: रेलवे बोर्ड ने २००९ में एक सर्कुलर जारी कर जरुरत से अधिक भूमि का अधिग्रहण नहीं करने के लिए कहा है? क्या योजना उस अनुरूप चल रही है?
तिवारी:देखिए हम केवल एक एजेंसी हैं जो रेलवे की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करते हैं। जहां तक भू अधिग्रहण का सवाल है हम पूरी पारदर्शिता से रेलवे नियमों के अनुसार ही भूमि ले रहे हैं।
भूमि अधिग्रहण करने के बदले किसानों को नौकरी या वृद्ध किसानों को पैंशन देेने की योजना थी,क्या ऐसा हो रहा है?
तिवारी: मंत्रालय ने योजना सुझाई थी लेकिन फिलहाल इस संबंध में कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ है।
पत्रिका:बाइ पास लाइन का क्या औचित्य है जब तक हुबली-धारवाड़ का दोहरीकरण नहीं हो जाता?
तिवारी: हुबली-होसपेट-वास्को प्रोजेक्ट के साथ ही हुबली-धारवाड़ रेलमार्ग दोहरीकरण व बाइपास का कार्य किया जाएगा। बाइपास बनने से मालगाडिय़ों का दबाव कम होगा जिससे हुबली स्टेशन से अतिरिक्त गाडिय़ां चलाई जा सकती है।
पत्रिका: कहीं ऐसा तो नहीं कि मालगाडिय़ों के साथ सवारी गाडिय़ों का परिचालन भी बाइ पास मार्ग पर शुरू हो जाए?
तिवारी: ऐसा नहीं है, रेलवे जरुरत के अनुसार गाडिय़ों का परिचालन करता है और इस मार्ग से केवल गुड्स गाडिय़ों का परिचालन ही प्रस्तावित है। ऐसे में आम जन की सेहत पर इसका फर्क नहीं पड़ेगा।
मेरे बारे में
- Dharmendra Gaur
- Nagaur, Rajasthan, India
- नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....
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