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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

दिसंबर 12, 2010

मदर एक्सप्रेस हुबली में
-मिलेगी टेरेसा जीवन की झलक
हुबली.मदर टेरेसा की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में भारतीय रेलवे की ओर से 'मदर एक्सप्रेस 2010 प्रदर्शनीÓ स्पेशल ट्रेन लोकमान्य तिलक टर्मिनस से रवाना होकर दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के हुबली मंडल के वास्को डि गामा स्टेशन होते हुए यह गाड़ी सोमवार को हुबली रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। प्रदर्शनी ट्रेन को देखने के लिए स्टेशन परिसर में आम जनता का प्रवेश सुबह दस बजे से सायं आठ बजे तक नि:शुल्क रखा गया है। मदर टेरेसा के जीवन एवं मानव सेवा के कार्यों से सुसज्जित वातानुकूलित डिब्बों में सचित्र झांकी उपलब्ध है।
आज पहुंचेगी हुबली
यह गाड़ी १३ दिसम्बर को कर्नाटक राज्य में प्रवेश कर सुबह ०५.३० बजे दपरे के हुबली स्टेशन पहुंचेगी। यहां प्लेटफार्म एक पर सुबह दस बजे मंडल रेल प्रबंधक प्रवीण कुमार मिश्रा व अतिरिक्त प्रबंधक पे्रमचंद की उपस्थिति में स्थानीय मदर टेरेसा चेरिटेबल ट्रस्ट की सिस्टर जोसेफ मेरी प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी। यहां दो दिन रुककर यह गाड़ी १४ दिसम्बर शाम को रवाना होकर वाया मेंगलूूर कोयम्बटूर, अर्नाकुलम, मदुरै, त्रिवेन्द्रम, पांडिचेरी होते हुए २ जनवरी २०११ को ६ बजे दपरे के मैसूर मंडल के अशोकपुरम रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। यहां दो दिन रुकने के बाद यह ४ जनवरी ११ को ४.३० बजे बेंगलूरु मंडल के बेंगलूरु केंटोनमेंट स्टेशन पर पहुंचेगी।
अगस्त में शुरू हुआ सफर
गौरतलब है कि रेल मंत्री ममता बनर्जी २६ अगस्त को सियालदह स्टेशन पर हरी झंडी दिखाकर इस विशेष ट्रेन को रवाना किया था। इसमें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मदर टेरेसा के जीवन और उनके कार्यों को चित्रों और पेंटिग्स के माध्यम से प्रदर्षित किया गया है। पूरी तरह से वातानुकूलित इस प्रदर्शनी गाड़ी में छह कोच होंगे। इसमें तीन कोचों में मदर टेरेसा से संबंधित प्रदर्शनी होगी। रेल हैरिटेज मैनेजर, पूर्व रेलवे की देखरेख में लिलुआ के कोचिंग वर्कशाप में बनी गाड़ी का मूल रंग उजला और नीला है। विदित हो कि मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापिका मदर टेरेसा नीली बार्डर वाली श्वेत साड़ी पहना करती थी। सियालदह स्टेशन से रवाना होने के बाद यह गाड़ी पश्चिम बंगाल के 10 स्टेशनों पर रुकने के बाद अगले महीनों में देश के विभिन्न दूसरे शहरों में जा रही है।
टेरेसा के जीवन की झलक
प्रदर्शनी को देखने के लिए आने वाले लोगों की सुविधा के लिए इस विशेष गाड़ी की प्रत्येक कोच में रेलकर्मचारियों तथा स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवकों को लगाया जा रहा है। 6 डिब्बों की इस ट्रेन में 3 एसी कोच हैं। जिसमें मदर टेरेसा के जीवन मूल्यों, मानव सेवा कार्यों और संदेश की फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें हर फोटो के साथ उसकी विस्तृत जानकारी के लिए कॉमेंट्री का आयोजन भी किया गया है ताकि लोगों को मदर टेरेसा के त्याग, बलिदान और मानव सेवा के बारे में जानकारी मिल सके। गरीबों एवं बीमारों की सेवा कर प्रसिद्धि हासिल करने वाली मदर टेरेसा का व्यक्तित्व नई पीढ़ी को प्रेरित करने वाला है। भारतीय रेल की प्रदर्शनी गाड़ी के माध्यम से उनके विचार नई पीढ़ी को मिलेंगे। मदर टेरेसा का जन्म वर्तमान मेसिडोनिया रिपब्लिक के स्कोपजे शहर में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था। इसीलिए मदर एक्सप्रेस की शुरूआत 26 अगस्त, 2010 को की गई।

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