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Nagaur, Rajasthan, India
नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

दिसंबर 27, 2010

नौकरी हिन्दी की, गुणगान अंग्रेजी का

-दपरे की हिन्दी वेब साइट अद्यतन नहीं
-जेडआरयूसीसी सूची भी है गायब

@ हुबली
राजभाषा का दर्जा प्राप्त राष्ट्रभाषा हिन्दी को कार्यालयीन कामकाज की भाषा बनाने के लिए केन्द्र सरकार के अधीन सभी कार्यालयों में अलग से विभाग है। यह हिन्दी को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करता है। सरकार ने इसके लिए अधिकारियों, जिसमें राजभाषा अधिकारी, अनुवाद अधिकारी सहित अनेक छोटे-बड़े पद सृजित कर कर्मचारियों की फौज खड़ी की है।
जेडआरयूसीसी सूची ही नदारद
हिन्दी वर्जन साइट पर अंग्रेजी साइट वाले सारे ऑप्शन मौजूद है लेकिन उसमें जानकारी अद्यतन नहीं है। मिसाल के तौर पर अंग्रेजी वर्जन में जोनल स्तर पर वर्ष २००९-२०११के लिए गठित नई क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति (जेडआरयूसीसी) की सूची दर्ज है जबकि हिन्दी वर्जन में यह नदारद है। जेडआरयूसीसी के लिंक पर जाने पर, वर्ष २००८-२०१० के लिए गठित क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति, को रेलवे बोर्ड के दिनांक ०८.०६.२००९ के पत्र सं.२००९/टी.जी.१/२४/पी के तहत तत्काल प्रभाव से विघटित कर दिया गया है, की सूचना हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित है।

नाम हिन्दी का, काम अंग्रेजी में
रेलवे में भी जोनल व मंडल स्तर पर हिन्दी का विकास व प्रोत्साहन देने के लिए विभाग कार्यरत है। रेलवे वर्ष भर में एक बार सितम्बर में हिन्दी सप्ताह का आयोजन कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर लेता है। हिन्दी को प्रोत्साहन देने, इसको आमजन व सभी कर्मचारियों की भाषा बनाने के लिए रेलवे के बड़े अधिकारी वक्तव्य भी देते हैं लेकिन यह केवल एक दिन, सात दिन या केवल पखवाड़े तक ही सीमित रहता है। इस दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं में अव्वल रहने वाले कर्मचारियों को बड़े अधिकारियों द्वारा पुरस्कृत व प्रोत्साहित करने का सिलसिला भी हर साल चलता है। सबसे कमाऊ महकमे वाले रेलवे दपरे जोन में हिन्दी के विकास की स्थिति यह है कि जोन की अधिकृत वेबसाइट का हिन्दी वर्जन लगभग एक साल से अपडेट ही नहीं हुआ है। इसके अलावा जोन में आयोजित हिन्दी दिवस का समाचार भी संबंधित अधिकारी द्वारा अंग्रेजी में ही भेजा जाता है।
अधिकारी बदले, नाम नहीं

राष्ट्र की जीवन रेखा ध्येय वाक्य वाले रेलवे के दपरे की हिन्दी साइट पिछडऩे के मामले में अंग्रेजी वाली साइट से दो कदम आगे हैं। इसमें महत्वपूर्ण फोन नम्बर वाले कॉलम में जोन के ऐसे अधिकारियों के नाम दिए गए हैं जिनका तबादला जोन या अन्यत्र हो गया है। उदाहरण के लिए इसमें अनुराग को एसडीजीएम बताया गया है जबकि उनका तबादला पहले जोन के वाणिज्यिक विभाग व बाद में चेन्नई हो गया था जबकि इस साइट में अभी भी उनका नाम चल रहा है जो रेलवे की रफ्तार की कहानी बयां करती है। इस साइट में उप महाप्रबंधक प्रेमनारायण को बताया गया है जबकि उनके बाद टी.वी.भूषण व अब समीर बासा कार्यरत हैं। मुख्य सुरक्षा आयुक्त टी.दामोदरन को बताया गया है जबकि उनके स्थान पर सीएससी एस.सी.सिन्हा लगभग एक साल से ज्यादा समय से यहां कार्यरत है।
आधी-अधूरी जानकारी
१० अक्टूबर को पत्रिका में अपडेट नहीं दपरे की वेबसाइट शीर्षक से छपी खबर के बाद हरकत में आए रेल प्रशासन ने वेबसाइट में हमारे बारे में कॉलम में जानकारी को १४ अक्टूबर को अद्यतन कर दिया लेकिन दूसरे कॉलम में जानकारी वही पुरानी है। इसमें हुबली के मंडल प्रबंधक आदेश शर्मा का स्थानांतरण हो गया है और उनके स्थान पर प्रवीण कुमार मिश्रा नए डीआरएम है लेकिन वेबसाइट पर अभी भी आदेश शर्मा हुबली के, अखिल अग्रवाल बेंगलूरु के व विजयराघवन मैसूर के मंडल प्रबंधक है। जबकि बेंगलूरु में एस.मणि व मैसूर में बी.बी. वर्मा मंडल प्रबंधक हैं।
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अधिकारी कहिन
हिन्दी वर्जन की वेबसाइट अपडेट नहीं होने का कारण पता लगाया जाएगा। इसको शीघ्र ही अद्यतन कर इसमें रही खामियों को दूर कर नवीनतम जानकारी के साथ अपडेट किया जाएगा। -पी.समीर बाशा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, दपरे

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