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नागौर जिले के छोटे से गांव भूण्डेल से अकेले ही चल पड़ा मंजिल की ओर। सफर में भले ही कोई हमसफर नहीं रहा लेकिन समय-समय पर पत्रकारिता जगत में बड़े-बुजुर्गों,जानकारों व शुभचिंतकों की दुआ व मार्गदर्शन मिलता रहा। उनके मार्गदर्शन में चलते हुए तंग,संकरी गलियों व उबड़-खाबड़ रास्तों में आने वाली हर बाधा को पार कर पहुंच गया गार्डन सिटी बेंगलूरु। पत्रकारिता में बीजेएमसी करने के बाद वहां से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक के साथ जुड़कर पत्रकारिता का क-क-ह-रा सीखा और वहां से पहुंच गए राजस्थान की सिरमौर राजस्थान पत्रिका में। वहां लगभग दो साल तक काम करने के बाद पत्रिका हुबली में साढ़े चार साल उप सम्पादक के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद अब नागौर में ....

दिसंबर 12, 2010

अस्पताल में हो घर जैसा माहौल : रामटेके

व्यवहार में बदलाव समय की जरुरत
हुबली.
नर्सिंग स्टाफ को बदलते समय में अद्यतन तकनीक का उपयोग करते हुए रोगी की देखभाल के साथ उसकी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी जरुरी है। रोगी की सेवा सुश्रुषा के लिए अस्पताल में कार्यरत लेब,फार्मेसी,नर्सिंग सभी को अपनी महत्पवूर्ण भूमिका अदा करनी चाहिए। रेलवे बोर्ड नई दिल्ली,रेलवे स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डा.वी.के रामटेके ने यह बात कही। वे शनिवार को रेलवे ऑफिसर्स क्लब में इंडियन रेलवे नर्सिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन (आईआरएनओए) के छठे वार्षिक सम्मेलन-इरनोकॉन को संबोधित कर रहेथे। रामटेके ने नॢसंगकर्मियों से अपने पेश के प्रति समर्पित भाव से काम करते हुए रोगियों को अस्पताल में घर जैसा महौल देने की जरुरत पर बल दिया।

रोगियों के प्रति बदलें रवैया
उन्होंने कहा कि तेजी से बदल रहे समय के साथ बहुत सारी चीजें बदली है। लोगों को पुरानी पद्धति से कार्यरत स्टाफ को अपने रवैये में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। हालांकि इसमें थोड़ी कठिनाईजरुर आती है लेकिन यह असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ज्ञान में वृद्धि करनी चाहिए लेकिन केवल ज्ञानार्जन तक ही सीमित रहने से काम नहीं चल सकता। व्यक्ति को चाहिए कि वह उस ज्ञान का सही समय पर त्वरित गति से उपयोग करें। तब कहीं ज्ञान की सार्थकता सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में आईसीयू हो या अन्य कोई विभाग नर्सिंग स्टाफ की जिम्मेदारी अहम होती है। उनको रोगी के इलाज के साथ-साथ सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए।

ज्ञान साझा करने का मंच
अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करने कार्मिकों का आपसी सामंजस्य जरुरी है। इलाज करते समय वरिष्ठ या कनिष्ठ की भावना से दूर रहते हुए स्थिति अनुसार जो सही व रोगी के हित व समय की जरुरत हो, वह कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हुबली-धारवाड़ से उनका पुराना रिश्ता है और इस क्षेत्र के प्रति उनका लगाव हमेशा रहा है। हुबली रेलवे अस्पताल को उत्कृष्ट दर्जे का बताते हुए उन्होंने कहा कि ओर अधिक प्रयास कर सभी मिलकर बेहतर कार्यकर सकते हैं। सम्मेलन के माध्यम से स्टाफ को नई पद्धतियों,नए उपकरणों व आपसी ज्ञान को साझा करने का अवसर मिलता है। हुबली अस्पताल में समर्पित टीम है और उसकी बदौलत उसकी अपनी अलग ही पहचान है। यह सम्मेलन एक तरह से वैज्ञानिक कार्यक्रम है और यहां नर्सिंग से जुड़े सभी विषयों को शामिल किया गया है। इससे विषय विशेष के बारे में लोगों को ओर अधिक जानने का मौका मिला है। यहां मिली जानकारी को कार्यक्षेत्र में जाकर कार्यरूप में बदलने से ही इसकी सार्थकता सिद्ध होगी।

विशेषज्ञों ने किया मार्गदर्शन
इससे पूर्व सिद्धारुढ मठ की नेत्रहीन बालिका अंजली ने नाइंटेगल फ्लोरेंस के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए सबको भावुक कर दिया। एसोसिएशन की ओर से अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस असपर पर अतिथियों ने स्मारिका का विमोचन भी किया। सम्मेलन में राज्य के ८२ व अन्य राज्यों से ४८ प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं। रेलवे अस्पताल की मुख्य स्वास्थ्य निदेशक के.बी गिरजा ने विचार व्यक्त किए। प्रतिभागियों को विषय विशेषज्ञों ने वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता दपरे के मुख्य चिकित्सा निदेशक डा.एन.परशिवमूर्ति ने की। केन्द्रीय अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा.डी.जयकुमार ने आगंतुकों का स्वागत किया। आईआरएनओए की महासचिव टी.सुब्बलक्ष्मी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। आयोजन सचिव आई. विश्वभारती ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन दीपा ने किया।

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